Red Fort News: सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की याचिका, अशफाक की फांसी की सजा बरकरार, लाल किले पर किया था हमला

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Red Fort News: दिल्ली के लाल किले पर साल 2000 में हुए हमले में आतंकी अशफाक को दोषी पाये जाने के बाद से सुप्रीम कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई थी। आतंकी मोहम्मद आरिफ उर्फ अशफाक आरिफ लाल किले पर किए गए आतंकवादी हमले के दोषियों में से एक है। लश्कर ए तैयबा आतंकवादी और पाकिस्तानी नागरिक आरिफ को 2011 में सुप्रीम कोर्ट ने फांसी की सज़ा दी थी। 22 दिसंबर 2000 को लाल किला पर हुए हमले में 3 लोगों की मौत हुई थी। इनमें एक संतरी था और 2 राजपूताना राइफल्स के जवान थे। आपको बता दें, कि कोर्ट ने पुनर्विचार याचिका खारिज करते हुए, अशफाक की फांसी की सज़ा बरकरार रखी है।

आतंकी अशफाक ने किया था गुनाह कबूल

साल 2000 में लाल किला पर हमले के बाद पुलिस ने फोन रिकॉर्ड के आधार पर अशफाक को गिरफ्तार किया था। उसने अपना गुनाह कबूल किया था। उसने यह भी माना था कि वह पाकिस्तानी है। उसका दूसरा साथी अब्दुल शमल एनकाउंटर में मारा गया था। 2005 में निचली अदालत ने भारत के खिलाफ युद्ध छेड़ने और हत्या के आरोप में उसे फांसी की सज़ा दी थी। 2007 में हाईकोर्ट ने इस सज़ा की पुष्टि की। 2011 में सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस वी.एस सिरपुरकर की अध्यक्षता वाली बेंच ने भी इस सज़ा को बरकरार रखा।

Red Fort News: साल 2013 में आरिफ की रिव्यू पेटिशन और 2014 में क्यूरेटिव याचिका खारिज हुई लेकिन साल 2014 में ही आए एक फैसले की वजह से उसे दोबारा अपनी बात रखने का मौका मिल गया। इस फैसले में संविधान पीठ ने यह तय किया था, कि फांसी के मामले में रिव्यू पेटिशन को खुली अदालत में सुना जाना चाहिए। इससे पहले फांसी के मामले में भी पुनर्विचार याचिका पर बंद कमरे में जज विचार करते थे।

फांसी की तिथि तय होना बाकी

Red Fort News: सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में इस दलील को स्वीकार किया है, कि ऐसे मामलों में सिर्फ इलेक्ट्रॉनिक सबूत यानी फोन कॉल वगैरह को आधार नहीं बनाया जा सकता लेकिन जजों का यह मानना था कि इलेक्ट्रॉनिक सबूतों के परे भी मामला निर्विवाद रूप से साबित हो रहा है। ऐसे में 2011 में दिए फैसले को बदलने का कोई आधार नहीं है। इस फैसले के बाद मामला एक बार फिर निचली अदालत में जाएगा। वहां से फांसी की तारीख तय होगी और डेथ वारंट जारी होगा। हालांकि, अशफाक के वकील अभी भी क्यूरेटिव याचिका और राष्ट्रपति को दया याचिका भेजने जैसे कदम उठा सकते हैं।

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By Susheel Chaudhary

मेरे शब्द ही मेरा हथियार है, मुझे मेरे वतन से बेहद प्यार है, अपनी ज़िद पर आ जाऊं तो, देश की तरफ बढ़ते नापाक कदम तो क्या, आंधियों का रुख भी मोड़ सकता हूं ।