Air Pollution: किसकी चपेट में आने से फेफड़ों पर हुआ असर, पढ़िए पूरी रिपोर्ट

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Air Pollution: खानपान और धूम्रपान के कारण सांस और फेफड़े के रोगियों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है। हर साल लाखों लोग फेफड़े से सम्बन्धित बीमारी से पीडि़त हो रहे हैं। लेकिन केवल ये दो कारण ही इस बीमारी के लिए जिम्मेदार नहीं हैं। एक नए अध्ययन में दावा किया गया है कि देश में लगभग 97 प्रतिशत सफाई कर्मचारियों, 95 प्रतिशत कचरा बीनने वालों और 82 प्रतिशत सुरक्षा गार्ड के अपने काम के दौरान वायु प्रदूषण की चपेट में आने का जोखिम है। इस अध्ययन की रिपोर्ट शुक्रवार को जारी की गई।

पर्यावरण से जुड़े गैर-सरकारी संगठन ‘चिंतन’ द्वारा कराया गया अध्ययन तीन आवश्यक समूहों – कचरा बीनने वाले, सफाई कर्मी और सुरक्षा गार्ड के लिए वायु प्रदूषण और श्वसन बीमारी के बीच सह-संबंधों का आकलन है। अध्ययन में कहा गया है कि 60 प्रतिशत से अधिक सफाई कर्मचारी, 50 प्रतिशत कचरा बीनने वाले और 30 प्रतिशत सुरक्षा गार्ड ‘पीपीई किट के बारे में नहीं जानते जो उनके जोखिम प्रदूषण को कम कर सकता है।

वायु प्रदूषण से फेफड़ो पर हुआ असर

Air Pollution: अध्ययन में कहा गया है, “75 प्रतिशत कचरा बीनने वालों, 86 प्रतिशत स्वच्छता कर्मचारियों और 86 प्रतिशत सुरक्षा गार्डों में फेफड़े असामान्य रूप से कार्य कर रहे थे। नाक और गले से धूल के कणों को प्रभावी ढंग से हटाने के लिए ड्यूटी के घंटों के बाद गरारे करने का प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए। कार्यस्थल के पास हाथ और चेहरा धोने की सुविधाएं अनिवार्य की जानी चाहिए और खुले में जलने को कम करने के लिए सर्दियों के दौरान गर्म बोतलें उपलब्ध कराई जानी चाहिए”।

2003 और 2004 में पैदा हुए 1300 बच्चों में से 238 पर हुए यह अध्ययन जर्नल ऑफ एक्सपोजर साइंस एंड एनवायर्नमेंटल एपिडेमियोलॉजी में प्रकाशित हुआ है। शोधकर्ताओं ने बताया कि मनुष्यों में स्वस्थ हड्डियों के विकास और सामान्य चयापचय के लिए थोड़ी मात्रा में तांबा और जस्ता जैसी धातुएं आवश्यक हैं। अध्ययन के प्रोफेसर गैट्जके कोप्प ने कहा, इस उम्र के बच्चों में भारी धातुओं के स्तर से हम आश्चर्यचकित थे।

Air Pollution: दिल्ली के सफाई कर्मी और सुरक्षा गार्ड व कूड़ा बीनने वाले प्रभावित

Air Pollution: एम्स के पूर्व निदेशक डॉ रणदीप गुलेरिया और डॉ. तेजस मेनन सूरी की निगरानी में हुए, इस अध्ययन मेंं सामने आया है कि दिल्ली में 86 प्रतिशत सफाई कर्मियों और 75 प्रतिशत सुरक्षा गार्ड एवं कूड़ा बीनने वालों के फेफडे़ खराब हैं। पुरुषों की तुलना में महिला सफाई कर्मियों के फेफडे़ खराब होने की संभावना छह गुना अधिक है। 47 प्रतिशत सफाई कर्मी, 80 प्रतिशत कूड़ा बीनने वाले और 45 प्रतिशत सुरक्षा कर्मी अपने काम से आने के बाद खांसी, गले में खराब, सिरदर्द और आंखों में खुजली की शिकायत करते हैं।

Written By: Poline Barnard

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By खबर इंडिया स्टाफ