Chandrayaan 3: चंद्रयान-3 अपने साथ छह उपकरण ले गया है, जो चंद्रमा की मिट्टी से संबंधित समझ बढ़ाने और चंद्र कक्षा से नीले ग्रह की तस्वीरें लेने में इसरो की मदद करेंगे। भारत के इस तीसरे चंद्र मिशन का लक्ष्य चंद्रमा की सतह पर ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ करना है, जो भविष्य के अंतर-ग्रहीय अभियानों के लिए मार्ग प्रशस्त करेगा। इन उपकरणों में ‘रंभा’ और ‘इल्सा’ भी शामिल हैं। ये 14-दिवसीय मिशन के दौरान सिलसिलेवार ढंग से ‘पथ-प्रदर्शक’ प्रयोगों को अंजाम देंगे। चंद्रमा के वायुमंडल का अध्ययन करेंगे। इसकी खनिज संरचना को समझने के लिए सतह की खुदाई करेंगे।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) का 15 वर्ष में यह तीसरा चंद्र मिशन है। जिसने शुक्रवार को दो बजकर 35 मिनट पर श्रीहरिकोटा से चंद्रमा की ओर अपनी यात्रा शुरू की। पांच अगस्त को इसके चंद्र कक्षा में पहुंचने की उम्मीद है। यह 23 अगस्त की शाम को चंद्रमा पर उतरने का प्रयास करेगा। इसरो अध्यक्ष एस सोमनाथ ने कहा, ‘हम जानते हैं कि चंद्रमा पर कोई वायुमंडल नहीं है। लेकिन यह पूरी तरह सच नहीं है, क्योंकि इससे गैस निकलती हैं।
वे आयनित हो जाती हैं और सतह के बहुत करीब रहती हैं। यह दिन और रात के साथ बदलता रहता है।’लैंडर के साथ लगा उपकरण ‘रेडियो एनाटॉमी ऑफ मून बाउंड हाइपरसेंसिटिव आयनोस्फियर एंड एटमॉस्फियर (रंभा) चंद्र सतह के नजदीक प्लाज्मा घनत्व और समय के साथ इसके बदलाव को मापेगा। चंद्रमा की सतह पर अमेरिका, पूर्व सोवियत संघ और चीन ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ कर चुके हैं। लेकिन उनकी ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र पर नहीं हुई थी।
अगर भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) का 600 करोड़ रुपये का चंद्रयान-3 मिशन चार साल में अंतरिक्ष एजेंसी के दूसरे प्रयास में लैंडर को उतारने में सफल हो जाता है, तो अमेरिका, चीन और पूर्व सोवियत संघ के बाद भारत चंद्र सतह पर ‘सॉफ्ट-लैंडिंग’ की तकनीक में महारत हासिल करने वाला चौथा देश बन जाएगा।
India today embarked on its historic space journey with the successful launch of Chandrayaan-3.
My heartfelt congratulations to the @ISRO scientists whose tireless pursuit has today propelled India on the path of scripting a remarkable space odyssey for generations to cherish. pic.twitter.com/YPZCHPbZoq
— Amit Shah (@AmitShah) July 14, 2023
रात के तापमान में आ जाती है भारी गिरावट
Chandrayaan 3: लैंडर का चंद्र सतह पर उतरने का समय काफी मायने रखता है, क्योंकि इससे उपकरणों के अध्ययन करने की अवधि का निर्णय होता है। चंद्रयान-3 अपने लैंडर को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास 70 डिग्री अक्षांश पर उतारेगा। चंद्रमा पर रात का तापमान शून्य से 232 डिग्री सेल्सियस नीचे तक गिर जाता है। सोमनाथ ने कहा, “तापमान में भारी गिरावट आती है और प्रणाली के रात के उन 15 दिनों तक बरकरार रहने की संभावना को देखना होगा। यदि यह उन 15 दिनों तक बरकरार रहती है और नए दिन की सुबह होने पर बैटरी चार्ज हो जाती है, तो यह संभवतः अंतरिक्ष यान के जीवन को बढ़ा सकता है।
चंद्रयान-2 ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ में सफल नहीं रहा था, इसलिए चंद्रयान-3 और अधिक महत्वपूर्ण हो जाता है। जिसकी सफलता के लिए पूरा देश प्रतीक्षा और प्रार्थना कर रहा है।
Written By: Poline Barnard
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