India Canada: भारत और कनाडा के रिश्ते में पिछले कुछ दिनों में भारी गिरावट देखने को मिली है। लेकिन एक समय हुआ करता था जब दोनों देशों के बीच अच्छी दोस्ती हुआ करती थी। वहीं अब बदलते हालातों को देखते हुए ऐसा लग रहा है कि, इन दोनों देशों में दुश्मनी की जंग सी छिड़ गई हो, और अगर दोनों देशों के डिप्लोमेटिक लेवल पर संबंध बिगड़ने के असर पर बात की जाए तो इसका भुगतान दोनों देशों को भुगतना पड़ सकता है। तो चलीए जानते हैं कि आखिर कैसे दोनों देशों के बीच संबंध खराब होने से अर्थव्यवस्था, व्यापार, बाजार आदि पर कैसे असर हो सकते हैं।
भारत और कनाडा के संबंध किस तरह से बिगड़े
India Canada: इसकी शुरुआत कनाडा के पीएम जस्टिन ट्रुडो के एक बयान से हुई। जिसमें उन्होंने अपने देश की संसद को संबोधित करते हुए एक कनाडाई नागरिक की हत्या को भारत के सिक्रेट एजेंट और भारत सरकार से जोड़ दिया था। लेकिन अगर आपको इसका सत्य बताए तो, जिस शख्स के हत्या की ट्रूडो बात कर रहे थे, असल में वह एक अलगाववादी खालिस्तानी अभियान का नेता था और भारत में कई अपराधों में वांछित था।
जब कनाडा के पीएम द्वारा ये इल्जाम भारत पर लगाए गए तो भारत ने इससे साफ इनकार कर दिया। जिसके बाद से दोनों देशों ने बारी-बारी सें सीनियर डिप्लोमेट को बाहर कर दिया। इतना ही नहीं इसका असर यातायात पर भी हुआ दोनों देश ने एक-दूसरे के लिए ट्रैवल एडवाइजरी जारी कर दिए। कनाडा के फैसले से पहले भारत ने अपनी तरफ से कनाडा के लिए वीजा पर रोक लगा दी। जिससे यह तो साफ हो चुका है कि, दोनों देशों के बीच संबंध कुछ ज्यादा ही बिगड़ चुके हैं।
ये थी यातायात की बात अब दोनों देशों के व्यापक संबंधों के बारे में जान लेते हैं। जैसा की कनाडा बहुत समय से भारतीयों का मन पसंदीदा जगह रहा है। चाहे घुमना हो या पढ़ना, यहां पर हर साल भारत से लाखों लोग कनाडा जाते हैं। आप यह भी कह सकते हैं कि, कनाडा में भारत के लोगों की एक बड़ी जनसंख्या है। इसका अंदाजा ऐसे लगाइए कि 2021 की जनगणना के हिसाब से कनाडा की पूरी आबादी है करीब 3.7 करोड़, जिसमें करीब 14 लाख लोग भारतीय थे। यानी कनाडा में भारतीय मूल का हिस्सा करीब 3.7 फीसदी है। इसमें सिख धर्म के अनुयायियों की संख्या बड़ी है। उनकी संख्या 7.70 लाख से ज्यादा यानी कनाडा की आबादी के करीब 2 फीसदी के बराबर है।
भारत- कनाडा के बीच कितना व्यापारिक लेन-देन?
India Canada: अगर दोनों देशों के आपसी व्यापारिक लेन-देन की बात करें तो हाल ही में कुछ सालों में काफी तेज़ी आई थी। सरकारी आकड़ों की बात करें तो, 2022 में कनाडा और भारत के बीच द्विपक्षीय व्यापार करीब 9 बिलियन डॉलर का हुआ था। जिसमें बाकी की तुलना में 57 फीसदी की जबरदस्त वृ्द्धि देखी गई थी। जिसमें दोनों देशों का बराबर की भागीदारी थी और इतना ही नहीं दोनों देशों के बीच करीब 4.5 बिलियन डॉलर का निर्यात हुआ था। बता दें भारत कनाडा से मुख्य तौर पर कोयला, कोक, फर्टिलाइजर खरीदता है, जबकि कंज्यूमर गुड्स, गारमेंट, ऑटो पार्ट, एयरक्राफ्ट इक्विपमेंट, इलेक्ट्रॉनिक सामान आदि का निर्यात करता है।
2022 में भारत कनाडा के लिए 10वा सबसे बड़ा बाजार बना। जिसके बाद दोनों देशों के बीच व्यापार को लेकर आपसी समझौते पर बातचीत चल रही थी। लेकिन जब दोनों देशों के बीच खटास बढ़ी तो इन्होने तीन माह पहले दोनों देशों द्वारा प्रस्तावित CEPA के शुरुआती समझौते पर हस्ताक्षर कर दिया था और ऐसी उम्मीद की जा रही थी कि जल्दी ही इसे अमलीजामा पहना दिया जाएगा। इस प्रस्ताव से यह अनुमान लगाया जा रहा था कि दोनों देशों के बीच आपसी व्यापार डबल हो सकता है। वहीं कनाडा कि सरकार को इस डील से यह उम्मीद थी कि उन्हें 2035 तक जीडीपी में 4 से 6 बिलियन डॉलर की मदद मिल जाएगी।
लेकिन आपसी विवाद के बाद यह डील दोनों देशों कि तरफ से रोक दी गई है। जब तक इस मसले का हल नहीं निकल जाता और दोनों देशों के संबंधों में तल्खी दूर नहीं होती है, तब तक इस डील पर कोई बात नहीं की जाएगी। वहीं दूसरी तरफ यह खतरा भी है कि पहले से जो व्यापार दोनों देशों के बीच हैं अब वे भी सामान्य नहीं रह जायेंगे। इतना ही नहीं कनाडा की जो डील भारत के अलावा यूरोप के साथ चल रही थी उसपर भी असर हो सकता है।
भारत कनाडा के लिए इंटरनेशनल स्टूडेंट का बना सबसे बड़ा सोर्स
India Canada: हालांकि ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक ने विवाद के बाद कहा है कि भारत के साथ चल रही व्यापार वार्ता पटरी पर बरकरार है, ऐसे तो कनाडा भारतीय शेयर बाजार के लिए जरुरी है और कनाडा के फंड भारतीय बाजार के सबसे बड़े विदेशी निवेशकों में शामिल हैं। लेकिन अब इस पर भी खतरा मड़राते नज़र आ रहा है। एसइक्विटी के अनुसार, कोटक महिंद्रा बैंक, जोमैटो, डेल्हीवरी, इंडस टावर्स, पेटीएम, नायका जैसी कंपनियों में कनाडा के फंडों ने ठीक-ठाक पैसे लगाए हैं।
वहीं कनाडा के पेंशन फंड के पास इन कंपनियों के 1.5 से 6 फीसदी शेयर हैं, जिनकी वैल्यू मार्किट में 16,062 करोड़ रुपये है। कनाडा की FPI मिलकर भारतीय बाजार में 1,50,871 करोड़ रुपये के एसेट को मैनेज करती है और इस नज़रिये से कनाडा फिलहाल भारतीय बाजार के लिए 7वां सबसे बड़ा स्रोत है। व्यापार के अलावा कनाडा भारत के युवाओं के लिए शिक्षा का एक बड़ा क्षेत्र है।
आंकड़े बताते हैं कि 2018 से भारत ही कनाडा के लिए इंटरनेशनल स्टूडेंट का सबसे बड़ा सोर्स बना। यानी पिछले 5 साल से कनाडा को सबसे ज्यादा विदेशी विद्यार्थी भारत से मिले है। जिसकी संख्या पिछले साल यानि 2022 में बढ़ कर करीब 3.20 लाख पर पहुंच गई। कनाडा में पढ़ रहे कुल विदेशी विद्यार्थियों का 40 फीसदी है।
Written By: Poline Barnard
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