Aligarh News: जिले की तहसील अतरौली के बिजौली खंड के विकास खंड अधिकारी को सूचना अधिकार अधिनियम 2005(आरटीआई) के तहत सूचना न देना इतना महंगा पड़ गया कि सूचना आयुक्त ने बीडीओ पर 25 हजार रुपए का जुर्माना लगा दिया। साथ ही आयुक्त ने अधिकारी के वेतन से जुर्माने की राशि वसूल करने के आदेश दिए हैं। पत्र के मुताबिक शिकायत मिलने पर सूचना आयुक्त ने माना कि बीडीओ ने जानबूझकर लापरवाही की है।
#Aligarh: #अतरौली #बिजौली के खंड विकास अधिकारी को आरटीआई के तहत सूचना न देना इतना भारी पड़ गया कि अपीलकर्ता की शिकायत के बाद सूचना आयुक्त ने #बीडीओ पर 25 हजार रुपए का जुर्माना लगा दिया। तत्कालीन बीडीओ पंकज कुमार के वेतन से काटी जाएगी जुर्माने की राशि @Dm_Aligarh @myogiadityanath pic.twitter.com/VOkYOiX6Bl
— Keshavmalan (@Keshavmalan93) January 10, 2023
जानकारी के मुताबिक शिकायतकर्ता गुलाब सिंह मऊपुर भाऊपुर ने बिजौली खंड के बीडीओ से कुछ सूचनाएं आरटीआई के तहत मांगी थीं, जिसके लिए गुलाब सिंह ने पहली अपील 8 मार्च 2022 को और दूसरी अपील 13 मई 2022 को की, लेकिन इसके बाद भी बीडीओ ने उक्त जानकारियां उपलब्ध नहीं करायीं। इससे नाराज अपीलकर्ता ने 15 सितंबर 2022 को जनसूचना अधिकारी के यहां आपत्ति दाखिल की।
आपत्ति पर सुनवाई करते हुए जनसूचना अधिकारी ने पाया कि अपीलकर्ता की दो बार अपील के बाद भी बीडीओ द्वारा कोई जानकारी लिखित में नहीं दी गई और न ही अपील के आधार पर सूचना देने के लिए कोई प्रगति की गई। इसे ध्यान में रखते हुए सूचना अधिकारी ने तत्कालीन बीडीओ पंकज कुमार पर 25 हजार रुपए का जुर्माना लगाते हुए समस्या का निस्तारण करने का आदेश दिया है। साथ ही अधिकारियों को आदेशित किया है कि बीडीओ से जुर्माना उनके बेतन से काटकर वसूल किया जाए।
बीडीओ से गांव में पौधा रोपण की मांगी थी लिखित जानकारी
Aligarh News: अपीलकर्ता गुलाब सिंह ने खबर इंडिया से बात करते हुए बताया कि बिजौली के बीडीओ ने गांव मऊपुर भाऊपुर में सैकड़ों पौधे लगाने के नाम पर सरकार से लाखों रुपए प्रप्त किए। जबकि जमीनी हकीकत यह थी की बीडीओ के द्वारा गांव में कहीं भी कोई पौधा पोरण किया ही नहीं गया। इसकी जानकारी जब आरटीआई के माध्यम से मैंने मांगी तो बीडीओ ने नहीं दी, जिसकी शिकायत मैंने सूचना अधिकारी को की थी। बीडीओ पर लगे अर्थदंड से अन्य अधिकारियों को सबक लेकर समाजहित में कार्य करना चाहिए।
आपको बता दें कि भ्रष्टाचार के खिलाफ 2005 में लागू किए गए एक अधिनियम सुचना का अधिकार को RTI कहा जाता है। इसके अंतर्गत कोई भी नागरिक किसी भी सरकारी विभाग से कोई भी जानकारी ले सकता है बस शर्त यह है कि RTI के तहत पूछी जाने वाली जानकारी तथ्यों पर आधारित होनी चाहिए।
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