Ayodha: साध्वी प्राची दीदी ने बहन प्रज्ञा और भाइयों के साथ की थी कार सेवा

Published By-Poline Barnard

Ayodha: अयोध्या में भगवान राम की जन्मस्थली पर मंदिर का निर्माण जोरों पर है। 22 जनवरी 2024 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में यहां मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा होने जा रही है। इस शुभ अवसर पर देशभर में भक्ति और खुशी का माहौल है। हालाँकि, इसके साथ ही हिंदू समाज उन राम भक्तों का भी सम्मान कर रहा है जिन्होंने मुगल काल से लेकर मुलायम शासन तक रामजन्मभूमि के लिए अपने प्राणों की आहुति दी। और कुछ ने कार सेवा कर गुम्बद को तोड़ा था। उन्हीं में शामिल साध्वी प्राची दीदी और उनका परिवार था।

Ayodha: बागपत जिले के बड़ौत तहसील में साध्वी प्राची दीदी ने कहा है कि आज मुझे राम लला की प्राण प्रतिष्ठा होते देख अपने आनंद की अनुभूति के लिए शब्द नहीं सूझ रहे है।बस बार बार एक ही बात दोहराने का मन करता है हमारा संघर्ष सफल हो गया।उन्होंने बताया कि राम मंदिर निर्माण के लिए बहुत कठिन लड़ाई लड़ी है।उन्होंने आगे ये भी कहा कि बागपत जिला भी श्री राम लला मंदिर निर्माण में पीछे नहीं रहा था। यहां से भी सैकड़ों लोग इस आंदोलन से जुड़े थे। उन्होंने आगे बताया कि यहां से 20 से अधिक महिला और पुरुष कार सेवा के लिए अयोध्या गए थे।

सगी बहन और भाई के साथ लिया था कारसेवा में भाग

Ayodha: साध्वी प्राची दीदी ने कहा कि नवंबर 1990 में जब अयोध्या गोलीकांड हो गया था तो लोगों में उस समय मौजूदा सरकार के लिए आक्रोश था। वो आगे बताती है कि वो अपनी सगी बहनों के साथ गांव गांव गली मोहल्ले जा कर लोगों में जन जागरण का अभियान चला रही थी। वो बताती है उस टाइम लोग उनका विरोध भी कर रहे थे। लेकिन हमने हार नहीं मानी। यहां से सैकड़ों कार सेवक पैदल ,बसों और ट्रेनों में भर भरकर अयोध्या पहुंचने के लिए निकल रहे थे। वो बताती है कि उनको अस्थाई जेल मेरठ और शामली में कैद कर के रखा गया। उसके बाद भी उन्होंने अयोध्या पहुंच कर कार सेवा में हिस्सा लिया था।उनके साथ उनकी बहन प्रज्ञा आर्य, माता विधोत्मा आर्य, और उनका छोटा भाई प्रशांत आर्य, प्रणव आर्य भी थे।

कार सेवा में हो गई थी दोनों बहन घायल

Ayodha: साध्वी प्राची दीदी बताती है कि उस समय उनकी उम्र 12 वर्ष और बहन प्रज्ञा की आयु 10 वर्ष थी। उन्होंने बताया कि गुंबद तोड़ते समय हम दोनों बहनें घायल हो गईं थीं।उस समय तो ऐसा लग रहा था मानो जैसे हम जिंदा बचेंगे भी या नहीं। वो बताती हैं कि उनकी मां दूसरों के घर उनके लिए खाना बना कर लाती थी। बड़े संघर्षों के साथ यहां वापस आए थे।आज भगवान राम का मंदिर बन रहा है। यह एक ऐसी खुशी है जिसको शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता है। उनके और उनके परिवार के द्वारा चलाए गए जन जागरण अभियान की सफलता भगवान मिलने के बराबर लग रही है।

Written By: Vineet Attri

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बेबाक लिखती है मेरी कलम, देशद्रोहियों की लेती है अच्छे से खबर, मेरी कलम ही मेरी पहचान है।