Chattisgarh High Court: डिजिटल हो चुकी दुनिया के इस दौर में ऐसी तमाम तकनीक इंसान की जिंदगी को आसान बनाने का काम कर रही हैं, जिनके बारे आज से कुछ साल पहले सोचा भी नहीं जाता था। इसी बीच ये तकनीकीकरण अपने साथ कुछ जटिलताएं भी लेकर आया है जिसकी ओर ध्यान देना और सतर्क रहना भी उतना ही जरूरी है। हाल ही में छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने अपने फैसले में एक ऐसी बात कह दी है जो आपके लिए जानना बेहद जरूरी है। आजकल कॉल रिकॉर्डिंग का चलन है। हर दूसरा शख्स अपने स्मार्टफोन में कॉल रिकॉर्डिंग से जुड़े एप्लिकेशन रखता है। अगर आपको भी ये आदत है तो अभी सावधान हो जाएं नहीं तो कभी भी मुश्किल में फंस सकते हैं।
Chattisgarh High Court: बातचीत रिकॉर्ड करना ‘निजता के अधिकार’…
Chattisgarh High Court: दरअसल, हम बात कर रहे हैं छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के उस फैसले की जिसमें कहा गया है कि बिना किसी शख़्स की अनुमति के उसकी बातचीत रिकॉर्ड करना ‘निजता के अधिकार’ का उल्लंघन है। हाईकोर्ट में एक मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस राकेश मोहन पांडे ने कहा कि संबंधित व्यक्ति की अनुमति के बिना उसकी बातचीत रिकॉर्ड करना संविधान के अनुच्छेद 21 का का उल्लंघन है।
हाईकोर्ट ने सुनाया अहम फैसला
Chattisgarh High Court: पक्षों की तमाम दलीलें सुनने के बाद न्यायमूर्ति राकेश मोहन पांडे की एकल पीठ ने महासमुंद परिवार न्यायालय द्वारा पारित 21 अक्टूबर 2021 का आदेश रद्द कर दिया। अदालत ने माना है कि किसी व्यक्ति की अनुमति के बिना उसकी बातचीत रिकॉर्ड करना कानून का उल्लंघन है।
यह है पत्नी के गुजारा भत्ते से जुड़ा मामला
Chattisgarh High Court: छत्तीसगढ़ की फैमिली कोर्ट ने गुजारा भत्ते से जुड़े केस की सुनवाई करते हुए पति को गवाह के तौर पर कॉल रिकॉर्डिंग पेश करने को कहा। दूसरे पक्ष ने इसके खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की, जिसके पक्ष में फैसला सुनाते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि “संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत बिना इजाजत फोन पर किसी की बातचीत रिकॉर्ड करना ‘निजता का उल्लंघन’ है। इसलिए फैमिली कोर्ट के आदेश को निरस्त किया जाता है।”
Chattisgarh High Court: कॉल रिकॉर्ड पेश करने का आदेश रद्द
Chattisgarh High Court: फैमिली कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ पत्नी ने 21 अक्टूबर 2021 को हाईकोर्ट में याचिका दायर की। उसने याचिका में कहा कि “पति ने बिना बताए उसकी कॉल रिकॉर्ड की है, जिसे इस्तेमाल नहीं किया जा सकता। यह उसकी निजता का उल्लंघन है। हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस राकेश मोहन पांडेय की एकल पीठ ने सुनवाई करते हुए फैमिली कोर्ट को कॉल रिकॉर्ड पेश करने के आदेश को रद्द कर दिया। हाईकोर्ट ने कहा कि संबंधित व्यक्ति की परमिशन के बिना फोन पर बातचीत रिकॉर्ड करना संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत उसके निजता के अधिकार का उल्लंघन है।”
महिला ने दी दलील
Chattisgarh High Court: फैमिली कोर्ट के इस आदेश के बाद महिला ने 21 अक्टूबर 2021 को हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था और फोन की रिकॉर्डिंग बतौर साक्ष्य पेश करने के आदेश को रद्द करने की मांग की थी। महिला की दलील थी कि यह उसके निजता के अधिकार का उल्लंघन होगा। याचिकाकर्ता के वकील ने दलील दी कि फैमिली कोर्ट ने कॉल रिकॉर्डिंग पेश करने की अनुमति देकर कानूनी त्रुटि की है। याचिकाकर्ता की जानकारी के बिना प्रतिवादी द्वारा बातचीत रिकॉर्ड की गई थी, इसलिए इसका उपयोग उसके खिलाफ नहीं किया जा सकता।
Written By- Vineet Attri.
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