Ram Mandir: 22 जनवरी का दिन इतिहास के पन्नों में हमेशा के लिए दर्ज हो चुका है। इस दिन श्रीराम की प्राण प्रतिष्ठा सम्पन्न हुई, जिसका गवाह पूरा विश्व बना। देशवासियों के लिए ये पल बेहद ऐतिहासिक था, जो सालों तक याद रहेगा। रामलाला की प्राण प्रतिष्ठा के अगले दिन भी दर्शन के लिए मंदिर में भक्तों का तांता लगा रहा।
Ram Mandir: रामलला के दर्शन करने के लिए पहुंच गए हनुमान…
Ram Mandir: अब प्राण प्रतिष्ठा के अगले दिन मंदिर में कुछ ऐसा देखने को मिला है, जिसे जानकर हर किसी को हैरानी हो रही है। हर कोई हैरान है कि भला ये आज के समय में कैसे हो सकता है। इसे देखने के बाद हर कोई यही कह रहा है कि रामलला के दर्शन करने को हनुमान स्वयं पधारे हैं।
Ram Mandir: दरअसल, राम मंदिर की सुरक्षा में लगे सुरक्षाकर्मियों ने बताया कि एक बंदर बाहर से आकर सीधे गर्भगृह में घुस गया। सुरक्षाकर्मियों ने उसे ये सोचकर रोकना चाहा कि कहीं वो किसी को नुकसान ना पहुंचा दे। मगर हैरानी की बात है कि बंदर ने किसी को भी नुकसान नहीं पहुंचाया और वो सीधे गर्भगृह से बाहर की ओर निकल आया। अब खुद राम मंदिर ट्रस्ट की ओर से इसे लेकर बयान सामने आया है, जिसमें इस बंदर को साक्षात भगवान हनुमान का रूप बताया जा रहा है।
Ram Mandir: ट्रस्ट ने एक बयान जारी किया और कहा कि “आज श्री रामजन्मभूमि मंदिर में हुई एक सुंदर घटना का वर्णन। आज सायंकाल लगभग 5:05 बजे एक बंदर दक्षिणी द्वार से गूढ़ मंडप से होते हुए गर्भगृह में प्रवेश करके उत्सव मूर्ति के पास तक पहुंचा।बाहर तैनात सुरक्षाकर्मियों ने देखा, वे बन्दर की ओर यह सोच कर भागे कि कहीं यह बन्दर उत्सव मूर्ति को जमीन पर न गिरा दे। परन्तु जैसे ही पुलिसकर्मी बंदर की ओर दौड़े, वैसे ही बंदर शांतभाव से भागते हुए उत्तरी द्वार की ओर गया।”
Ram Mandir: उन्होंने आगे कहा कि “द्वार बंद होने के कारण पूर्व दिशा की ओर बढ़ा और दर्शनार्थियों के बीच में से होता हुआ बिना किसी को कष्ट पहुंचाए पूर्वी द्वार से बाहर निकल गया। सुरक्षाकर्मी कहते हैं कि ये हमारे लिए ऐसा ही है, मानो स्वयं हनुमान जी रामलला के दर्शन करने आये हों।”
राम जन्मभूमि मुक्ति आंदोलन के तहत वानर की उपस्थिति
Ram Mandir: अयोध्या में वानर की इस तरह उपस्थिति की यह कोई पहली घटना नहीं है। राम जन्मभूमि मुक्ति आंदोलन के दौरान कई प्रमुख मोड़ो पर इसी तरह वानर की उपस्थिति देखी गई है। इसका एक प्रमाण पत्रकार हेमंत शर्मा की किताब ‘युद्ध में अयोध्या’ में मिलता है। फैजाबाद जिला अदालत ने 1 फरवरी 1986 को विवादित स्थल का ताला खोलने का आदेश दिया था। जिला जज कृष्णमोहन पांडेय के इस आदेश के पीछे एक काले बंदर की दैवीय प्रेरणा को माना जाता है। दरअसल उस दिन एक काला बंदर सारा दिन फैजाबाद की जिला अदालत की छत पर बैठा रहा था।
Ram Mandir: जज कृष्णमोहन पांडेय 1991 में प्रकाशित अपनी आत्मकथा में लिखा है, “जिस रोज मैं ताला खोलने का आदेश लिख रहा था, मेरी अदालत की छत पर एक काला बंदर पूरे दिन फ्लैग पोस्ट को पकड़कर बैठा रहा। वे लोग जो फैसला सुनने के लिए अदालत आए थे, उस बंदर को फल और मूँगफली देते रहे, पर बंदर ने कुछ नहीं खाया। चुपचाप बैठा रहा। फैसले के बाद जब डीएम और एसएसपी मुझे मेरे घर पहुँचाने गए, तो मैंने उस बंदर को अपने घर के बरामदे में बैठा पाया। मुझे आश्चर्य हुआ। मैंने उसे प्रणाम किया। वह कोई दैवीय ताकत थी।”
Ram Mandir: मुंबई की 96 साल की कारसेवक शालिनी रामकृष्ण दबीर ने विवादित ढाँचा विध्वंस की साक्षी रही हैं। उन्होंने 6 दिसंबर 1992 के दिन भी वानर की उपस्थिति के बारे में बताया था। उन्होंने कहा था, “वो पल याद आता है जब वो एक दीवार टूटती ही नहीं थी। हम सुबह से मारुति स्त्रोत बोलते थे, लेकिन कुछ हो नहीं रहा था। क्या करें क्या न करें की स्थिति थी, क्योंकि 5 बजे सूर्यास्त हो जाता तो हम कुछ नहीं कर पाते। फिर वहाँ पास के पेड़ से एक वानर आया वो दीवार पर बैठा। हम सब देखने लगे कि क्या बात है ये। वानर ने इधर-उधर सिर घुमाकर देखा और वहाँ से चला गया और फिर धड़ से दीवार गिरी। इसके बाद दो घंटे तक धूल के गुबार से हमें वहाँ कुछ दिखाई नहीं दिया था।”
Written By- Swati Singh
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