Tamil Nadu Jallikattu News: तमिलनाडु के अवनियापुरम में जलीकट्टू के दौरान एक सब-इंस्पेक्टर समेत 36 लोग घायल, क्यों मनाया जाता हैं जलीकट्टू पढ़िए पूरी रिपोर्ट

Published By-Poline Barnard

Tamil Nadu Jallikattu News: साल 2024 का पहला बड़ा जल्लीकट्टू अवनियापुरम में शुरू हो चुका है। आयोजन में 1000 सांडों और 600 काबू करने वालों को रजिस्टर्ड किया गया है। जिला कलेक्टर संगीता की मौजूदगी में शपथ ग्रहण के बाद सुबह 8 बजे से कार्यक्रम शुरू किया गया। इसमें अब तक एक सब इंस्पेक्टर सहित 36 लोग घायल हो चुके हैं।इनमें से छह की हालत गंभीर होने के चलते उन्हें सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया गया है। चिकित्सा सहायता के लिए 20 मेडिकल टीमें तैनात की गई हैं। आपको बता दें कि आज कार्यक्रम स्थल पर 800 पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया है। आज के आयोजन में बैलों को वश में करने वालों को सींग पकड़ने और उसके पैरों से चिपकने की अनुमति नही दी गई है।

Tamil Nadu Jallikattu News: दरअसल, शुभ महीने के पहले दिन जब सूर्या पोंगल मनाया जाता है। अवनियापुरम में सुबह 8 बजे से शाम 4 बजे के बीच 8 राउंड में जल्लीकट्टू का आयोजन किया जाता है।प्रत्येक राउंड के लिए वादीवासल से 50 से 75 बैल छोड़े जाते हैं और जो व्यक्ति ज्यादा बैलों को पकड़ने में सक्षम होता है, उसे अगले राउंड में भेज दिया जाता है।

सांडों और उनकी पकड़ने वाले लोगों का किया जाता है मेडिकल चेकअप

Tamil Nadu Jallikattu News: मेडिकल चेकअप के बाद सांडों को वडिवासल के पीछे पंक्तिबद्ध किया जाता है और छोड़ दिया जाता है। इसी तरह का मेडिकल टेस्ट सांडों को काबू करने वालों का भी किया जाता है। सांडों और सांडों को काबू करने वालों के लिए चिकित्सा शिविर भी लगाए जाते हैं। यदि किसी को अस्पताल ले जाने की आवश्यकता होती है तो कई एम्बुलेंस स्टैंडबाय खड़ी रहती है।

क्या है जल्लीकट्टू ?

Tamil Nadu Jallikattu News: दरअसल, फसल कटाई के मौके पर तमिलनाडु में चार दिन का पोंगल उत्सव मनाया जाता है जिसमें तीसरा दिन मवेशियों के लिए होता है। तमिल में जली का अर्थ है सिक्के की थैली और कट्टू का अर्थ है बैल का सिंग जल्लीकट्टू को तमिलनाडु के गौरव तथा संस्कृति का प्रतीक माना जाता है। इस खेल की परंपरा 2500 साल पुरानी बताई जाती है।

पोंगल उत्सव के दौरान होने वाले इस खेल में परंपरा के अनुसार शुरुआत में तीन बैलों को छोड़ा जाता है जिन्हें कोई नहीं पकड़ता। बताया जाता है कि ये गांव के सबसे बूढ़े बैल होते हैं। जिन्हें गांव की शान के रूप में देखा जाता है। इन बैलों के जाने के बाद जलीकट्टू का असली खेल शुरू होता है।

सिक्कों की थैली बैलों के सिंगों पर बांधी जाती है। फिर उन्हें भड़काकर भीड़ में छोड़ दिया जाता है, ताकि लोग उन्हें पकड़कर सिक्कों की थैली हासिल कर सकें। इस खेल में बैलों पर काबू पाने वाले लोगों को इनाम भी दिया जाता है। इस खेल के लिए बैल को खूंटे से बांधकर उसे उकसाने की प्रैक्टिस करवाई जाती है।

Written By- Vineet Attri

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By Atul Sharma

बेबाक लिखती है मेरी कलम, देशद्रोहियों की लेती है अच्छे से खबर, मेरी कलम ही मेरी पहचान है।