Aligarh: 15 दिनों में ऐसे बदल गये नगर पंचायत जट्टारी के समीकरण, ब्राह्मणों ने कर दिया बड़ा खेल

नगर पंचायत प्रत्याशी, जट्टारी

Aligarh: इन दिनों यूपी में नगर निकाय के चुनाव चल रहे हैं, चुनाव का पहला चरण 4 मई को हो चुका है तो दूसरा चरण 11 मई को होना बाकी है। ऐसे में शहरों में जहां हर रोज राजनीतिक समीकरण बदल रहे हैं तो वहीं देहात के लोग इन चुनावों का दूर से ही आनंद ले रहे हैं।

कुछ ऐसा ही हाल इन दिनों अलीगढ़ जिला मुख्यालय से करीब 50 किलोमीटर दूर नगर पंचायत जट्टारी का है। करीब 40 हजार की आबादी वाले कस्बा जट्टारी में करीब 14 हजार मतदाता हैं। नगर पंचायत जट्टारी से लगे हुए फाजिलपुर, दुर्गापुर, गंगापुर और दीपनगर मजरा हैं।

इन दिनों नगर पंचायत जट्टारी के नगर निकाय चुनावों का आंकड़ा बेहद ही दिलचस्प होता दिखाई दे रहा है। पिछले 15 दिनों से चुनावी रण का स्वाद लगातार तीखा होता जा रहा है। जट्टारी के चुनाव के समीकरण हम बताएं इससे पहले आपको बता दें कि भाजपा से चौधरी मनवीर सिंह व निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में प्रदीप बंसल व चिंटू नंबरदार चुनावी मैदान में हैं।

लगातार बदलते समीकरण परेशान करने वाले

Aligarh: चौधरी मनवीर सिंह 2 बार के नगर पंचायत अध्यक्ष रहे हैं व पिछली पंचवर्षीय शीट पिछड़ा वर्ग में होने के कारण मनवीर सिंह ने अपने करीबी निर्दलीय प्रत्याशी राजपाल सिंह को मैदान में उतारा और सत्ताधारी भाजपा पार्टी के प्रत्याशी राजेन्द्र सिंह को शिकस्त देते हुए 365 वोटों से जीत दिलाई थी। वैसे तो मनवीर सिंह जट्टारी की राजनीति के चाणक्य माने जाते हैं, लेकिन इन दिनों चल रहे चुनावी समीकरण उन्हें विचलित करने वाले हैं।

पिछले करीब 15 दिनों से जट्टारी की चुनावी हवा लगातार बदल रही है। जट्टारी में सबसे ज्यादा वर्चस्व जाट व वैश्य समाज का है। चुनाव में मनवीर सिंह व चिंटू नंबरदार ये दोनों प्रत्याशी जाट समाज से ताल्लुक रखने के कारण जाट वोट बिखरा हुआ दिखाई दे रहा हैं। साथ ही वैश्य समाज से इकलौते निर्दलीय प्रत्याशी प्रदीप बंसल अपने समाज में अच्छी पकड़ बनाए हुए हैं। वहीं मुस्लिम समुदाय माफिया अतीक और असरफ की हत्या के बाद से भाजपा से खासा नाराज माना जा रहा है। इसलिए इसका नुकसान भाजपा प्रत्याशी मनवीर सिंह को चुनावों में उठाना पड़ सकता है।

ब्राह्मण वोटरों ने साधी चुप्पी

Aligarh: जाट और वैश्य समाज के बाद बड़ी संख्या में ब्राह्मण समाज का वोट है, लेकिन समाज से कोई प्रत्याशी नहीं होने के कारण ब्राह्मण वोट चुप्पी साधे हुए है। कहा तो यह भी जा रहा है कि जिले के एक बड़े नेता के इशारे पर ही यह वोट एक प्रत्याशी को जाएगा।

सूत्रों की मानें तो अंदरूनी कलह के चलते भाजपा प्रत्याशी से भाजपा कार्यकर्ताओं के साथ संघ(आरएसएस) का कार्यकर्ता भी विरोध में हैं। यह नाराजगी मनवीर सिंह को भारी पड़ सकती हैं। वैसे जट्टारी के चुनाव में मुस्लिम और जाटव समाज की अहम भूमिका रहने वाली है। मगर हो कुछ भी जट्टारी चुनाव की स्थिति 11 मई को मतदान होने के बाद 13 मई को परिणाम आने के बाद ही साफ हो पाएगी कि आखिर जीत का सहरा किसके सिर बंधेगा।

पोखरों पर कब्जा बना चुनावी मुद्दा

Aligarh: नगर पंचायत जट्टारी के चुनावों में पिछले दशकों में हुए पोखरों पर अवैध कब्जे का मुद्दा गरमाया हुआ है। हर कोई प्रत्याशी इन कब्जों को हटाने का वायदा करके जनता से वोट मांग रहा है। इसके साथ ही व्यापारियों का उत्पीड़न भी चुनावी मुद्दा बना हुआ है। बहरहाल जट्टारी की जनता को पोखरों की सफाई, एक बड़े खेल मैदान, हरे-भरे पार्क, गाड़ियों के लिए पार्किंग, बस स्टैंड, बाजार में सार्वजनिक शौचालयों के निर्माण, चौकी को थाना व पीएचसी को सीएचसी बनाने और जाम से निजात पाने के लिए एक बाईपास की दरकार है।

ये भी पढ़ें..

The Kerala Story: लव जिहाद के जरिये हिन्दू लड़कियों को बनाया आईएसआईएस का एजेंट

Agra: चुन्नी की परफ्यूम ने मचाया बवाल, दूल्हा को कंधे पर रख ले भागे बाराती

By खबर इंडिया स्टाफ