Mary Kom: 6 बार वर्ल्ड चैंपियन रही इस खिलाड़ी ने क्यों छोड़ी बॉक्सिंग? संन्यास की असली वजह का किया खुलासा

Mary Kom: मैरी कॉम ने मीडिया से बातचीत में साफ किया है कि वो संन्यास की कगार पर हैं। हालांकि, उन्होंने अभी तक संन्यास का ऐलान नहीं किया है। इससे पहले न्यूज एजेंसी एएनआई ने जानकारी दी थी कि मैरी कॉम ने बुधवार को मुक्केबाजी से संन्यास की घोषणा की। आपको बता दें कि मैरी कॉम 6 बार की वर्ल्ड चैंपियन बॉक्सर रह चुकी है। हालांकि, संन्यास लेते हुए उन्होंने कहा है कि अभी मेरे अंदर जीत की भूख है। मैं और खेलना चाहती हूं। ऐसे में सवाल है कि फिर मैरी कॉम ने क्यों छोड़ी बॉक्सिंग?

Mary Kom: मैरी कॉम ने अपनी इस घोषणा के पीछे की असली वजह भी बताई। दरअसल, मैरी कॉम के संन्यास की वजह किसी की भी कोई साजिश या कुछ और नहीं बल्कि उनकी खुद की उम्र है।

क्या बोली मैरी कॉम?

Mary Kom: उन्होंने कहा, मैं 24 जनवरी को डिब्रूगढ में एक स्कूल के कार्यक्रम में भाग ले रही थी जहां मैं बच्चों की हौसला अफजाई कर रही थी। मैने कहा था कि मेरे भीतर अभी भी खेलों में नयी ऊंचाइयां छूने की भूख है लेकिन ओलंपिक में उम्र की सीमा होने से मैं भाग नहीं ले सकती। मैं हालांकि अपना खेल जारी रख सकती हूं। और मेरा फोकस फिटनेस पर है। 41 वर्ष की मेरीकोम ने आगे लिखा है कि, मैं जब भी संन्यास का फैसला लूंगी, सभी को बताऊंगी, कृपया अपनी खबर दुरूस्त कर लें।

ऐसा रहा मैरी कॉम का कैरियर

Mary Kom:  मैरी कॉम ने मुक्केबाजी इतिहास में कई कीर्तिमान रचे हैं। मैरी कॉम विश्व की पहली महिला मुक्केबाज हैं, जिन्होंने छह बार विश्व विजेता का खिताब जीता है। वहीं, मैरी कॉम 2014 के एशियाई खेलों में स्वर्ण जीतने वाली भारत की पहली महिला हैं। उन्होंने 2012 लंदन ओलंपिक में कांस्य पदक जीता था। 2006 में मैरीकॉम को पद्मश्री, 2009 में उन्हें देश के सर्वोच्च खेल सम्मान राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार से भी नवाजा गया।

एक दिहाड़ी मजदूर की बेटी ने बॉक्सिंग के रास्ते होते हुए राज्य सभा तक का सफर करने वाली मैरी कॉम ने माना कि उन्होंने अपने स्पोर्ट्स करियर में सबकुछ हासिल कर लिया है।

48 किलोग्राम की कैटेगरी में फाइट करने वाली मैरी कॉम ने 2002, 2005, 2006, 2008 और 2010 में वर्ल्ड चैंपियन बनी थी। उन्होंने छठी बार वर्ल्ड चैंपियन का चोला 2018 में पहना था।

40 वर्ष तक होती है प्रतियोगिता की अनुमति

Mary Kom: आपको बता दें कि,अंतर्राष्ट्रीय मुक्केबाजी संघ (आईबीए) के नियम के अनुसार, पुरुष और महिला मुक्केबाजों को केवल 40 वर्ष की आयु तक विशिष्ट स्तर की प्रतियोगिता में लड़ने की अनुमति होती हैं।

Written By: Vineet Attri 

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By Susheel Chaudhary

मेरे शब्द ही मेरा हथियार है, मुझे मेरे वतन से बेहद प्यार है, अपनी ज़िद पर आ जाऊं तो, देश की तरफ बढ़ते नापाक कदम तो क्या, आंधियों का रुख भी मोड़ सकता हूं ।