Central Vista Inaugration: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी आज शाम 7 बजे ‘कर्तव्य पथ’ का उद्घाटन करेंगे। दिल्ली के इंडिया गेट कैंपस यानी राजपथ में सेंट्रल विस्टा एवेन्यू बनकर तैयार हो गया है। सत्ता के प्रतीक तत्कालीन राजपथ का नाम बदलकर कर्तव्य पथ करना जन प्रभुत्व और सशक्तिकरण का एक उदाहरण है और साथ ही इस पर वे नेताजी सुभाष चंद्र बोस की ग्रेनाइट से बनी प्रतिमा का भी अनावरण करेंगे। ‘राजपथ’ का महज नाम ही ‘कर्तव्य पथ’ नहीं किया गया है।
दरअसल, आजादी के अमृत महोत्सव के मौके पर पीएम नरेंद्र मोदी ने लाल किले की प्राचीर से ‘पंच प्रण’ किए थे. इन्हीं पंच प्रण में से एक था गुलामी की हर सोच से मुक्ति. देखा जाए, तो नरेंद्र मोदी सरकार का ये फैसला उसी प्रण की ओर बढ़ाया गया कदम है. क्योंकि, राजपथ भारत के औपनिवेशिक अतीत से जुड़ा वो पन्ना है, जो गुलामी की छाप को दर्शाता है।
दिल्ली: मान सिंह रोड पर 'कर्तव्य पथ' का रास्ता दिखाने वाला एक साइनबोर्ड लगाया गया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज दिल्ली में इंडिया गेट पर 'कार्तव्य पथ' का उद्घाटन करेंगे और नेताजी सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा का अनावरण करेंगे। pic.twitter.com/2PfoRV3PMT
— ANI_HindiNews (@AHindinews) September 8, 2022
Central Vista Inaugration: यहां आने वाले देशी-विदेशी पर्यटकों को स्वरूप भी कुछ बदला-बदला नजर आएगा। हालांकि, इसके मूल शिल्प को कायम रखा गया है। सिर्फ लोगों को नया अनुभव कराने के लिए बदलाव किए गए हैं। इसके निर्माण का प्रमुख कारणों में से एक मौजूदा मांग को पूरा करने के लिए संसद भवन की अपर्याप्त सुविधाएं और बुनियादी ढांचा को विकसित करना था।
केंद्र सरकार के कार्यालय विभिन्न स्थानों पर फैले हुए हैं जो अंतर-विभागीय तालमेल और अनावश्यक यात्रा को प्रभावित करते हैं जिससे भीड़ भाड़ और प्रदूषण होता है। इसी जटिल समस्या से निदान के लिए सेंट्रल विस्टा परियोजना को अमल में लाया गया है।
जब भारत और भारतीय ब्रिटिश की गुलामी करते थे, उस वक़्त भारत का राष्ट्रपति भाव वाइसरॉय हॉउस के नाम से जाना जाता था. यहां तक पहुचंने के लिए जो सड़क थी जो इंडिया गेट तक जाती है उसे तब’ किंग्स वे’ कहा जाता है. ऐसा King George V के सम्मान में किया गया था।
इसे 1920 के आसपास एडविन लुटियंस और नई दिल्ली के आर्किटेक्ट हर्बर्ट बेकर द्वारा औपचारिक रूप में बनाया गया था। 1911 में जब ब्रिटिश सरकार ने अपनी राजधानी को कोलकाता से दिल्ली स्थानांतरित करने का फैसला किया तब उन्होंने प्रशासनिक राजधानी के रूप में सेवा करने के लिए नई दिल्ली का निर्माण शुरू किया।
लुटियन ने राजधानी क्षेत्र के आसपास केंद्रित एक आधुनिक शाही शहर की अवधारणा तैयार की थी, जिसे उन्होंने ‘किंग्सवे’ नाम दिया। यह नाम लंदन में किंग्सवे के समान था। 1911 के दौरान दिल्ली आए जॉर्ज पंचम के सम्मान में सड़क का नाम किंग्सवे रखा गया था, जहां औपचारिक रूप से राजधानी को दिल्ली स्थानांतरित करने के निर्णय की घोषणा हुई थी।
पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा था कि ‘गुलामी का एक भी अंश हमारे मन में नहीं रहना चाहिए। अगर ऐसा है, तो हमें इसे उखाड़ फेंकना होगा। गुलामी की सोच किसी भी देश को दीमक की तरह धीरे-धीरे खाती है। जिसका पता बरसों बाद चलता है। इस सोच ने कई विकृतियां पैदा की हैं तो, गुलामी की सोच से मुक्ति पानी ही होगी’…
पिछले ही हफ्ते नौसेना के नए ध्वज से सेंट जॉर्ज क्रॉस को हटाया गया था और ये बताना भी जरूरी है कि इसी गुलामी की मानसिकता को हटाने के लिए पीएम नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री निवास का नाम 7, रेस कोर्स रोड से बदलकर 7, लोक कल्याण मार्ग रखा था।
कर्तव्य पथ बेहतर सार्वजनिक स्थानों और सुविधाओं को प्रदर्शित करेगा, जिसमें पैदल रास्ते के साथ लॉन, हरे भरे स्थान, नवीनीकृत नहरें, मार्गों के पास लगे बेहतर बोर्ड, नई सुख-सुविधाओं वाले ब्लॉक और बिक्री स्टॉल होंगे।
इसके अलावा इसमें पैदल यात्रियों के लिए नए अंडरपास, बेहतर पार्किंग स्थल, नए प्रदर्शनी पैनल और रात्रि के समय जलने वाली आधुनिक लाइटों से लोगों को बेहतर अनुभव होगा।
इसमें ठोस अपशिष्ट प्रबंधन, भारी वर्षा के कारण एकत्र जल का प्रबंधन, उपयोग किए गए पानी का पुनर्चक्रण, वर्षा जल संचयन और ऊर्जा कुशल प्रकाश व्यवस्था जैसी अनेक दीर्घकालिक सुविधाएं शामिल हैं।
#WATCH दिल्ली: पुनर्विकसित कर्तव्य पथ का वीडियो जिसका आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उद्घाटन करेंगे। जिसके बाद इसे सार्वजनिक उपयोग के लिए खोला जाएगा। pic.twitter.com/wpo4jirGIn
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सेंट्रल विस्टा दिल्ली में 3.2 किलोमीटर की दूरी में फैला है, जिसमें एक नया संसद भवन, उपराष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के लिए नया निवास और कार्यालय, नए मंत्रालय भवन और उत्तर और दक्षिण ब्लॉकों को संग्रहालयों में बदलना शामिल है।
कुल 13,450 करोड़ रुपए की लागत से तैयार हो रही इस सेंट्रल विस्टा परियोजना में इस साल नवंबर तक नया संसद भवन तैयार करने की कवायद तेज चल रही है। इसे दो साल से भी कम समय में पूरा करना एक बड़ी उपलब्धि है।
अब राजपथ नहीं,
'कर्तव्य पथ' पर चलेगा नया भारत! pic.twitter.com/3Yyt4fMvYK— BJP Uttar Pradesh (@BJP4UP) September 7, 2022
इसके अलावा नेताजी सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा उसी स्थान पर स्थापित की जा रही है, जहां इस साल की शुरुआत में पराक्रम दिवस (23 जनवरी) के अवसर पर नेताजी की होलोग्राम प्रतिमा का अनावरण किया गया था।
ग्रेनाइट से बनी यह प्रतिमा हमारे स्वतंत्रता संग्राम में नेताजी के अपार योगदान के लिए उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि होगी, और देश के उनके प्रति ऋणी होने का प्रतीक होगी। मुख्य मूर्तिकार अरुण योगीराज द्वारा तैयार की गई 28 फुट ऊंची प्रतिमा को एक ग्रेनाइट पत्थर से उकेरा गया है और इसका वजन 65 मीट्रिक टन है।
इससे पहले भी मोदी सरकार ने कई मार्गों के नाम बदलकर जन-केंद्रित नाम रखे। साल 2015 में रेसकोर्स रोड का नाम बदलकर लोक कल्याण मार्ग किया गया, जहां प्रधानमंत्री आवास है।
साल 2015 में औरंगजेब रोड का नाम बदलकर एपीजे अब्दुल कलाम रोड किया गया था और साल 2017 में डलहौजी रोड का नाम दाराशिकोह रोड कर दिया गया था अकबर रोड का नाम बदलने के भी अनेक प्रस्ताव आए हैं, लेकिन अभी तक कोई निर्णय नहीं लिया गया है।
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