Karva Chauth: हिंदू कौम इस दुनिया की सबसे चुतियम कौम है। हर दर्जे की बाहियात कौम है। यही कारण है कि सदियों से मरते-कटते आए हैं, अपना अस्तित्व मिटाते आए हैं। करवाचौथ का मजाक उड़ाने वाले, मजाक बनाने वाले, करवाचौथ को एकता कपूर का आविष्कार बताने वालों को समर्पित। मेरी बुआ 78 साल की हैं।
मैंने उनसे पूछा कि कब से करवाचौथ होता आया है? उनका जवाब था कि लला, तुमाई अम्मा रखती थी, हमाई अम्मा रखती थीं। बुआ की अम्मा अर्थात मेरे बाबा की माँ। मेरे बाबा का जन्म 1910 में हुआ था। अर्थात उससे पहले से हमारे यहां करवाचौथ होता आया है। तब एकता कपूर, उसके पापा व बॉलीवुड पैदा नहीं हुआ था।
- आज भी मेरे घर में टीवी नहीं है तो किस एकता कपूर या फिल्म ने सिखाया दिया करवाचौथ?
- काश करवाचौथ का मजाक बनाने वाले झट्टरों को लोक संस्कृति-सभ्यता आदि की समझ होती?
- बंगाल, बिहार के साथ ही नॉर्थ ईस्ट व साउथ के बहुत से ऐसे पर्व व त्यौहार हैं जो हमारे क्षेत्र में नहीं होते, तो क्या उन्हें खारिज ही कर दूं?
करवाचौथ में कोई ढकोसला नहीं होता, कोई अश्लीलता नहीं होती बल्कि रिश्ते के प्रति समर्पण का वो पवित्र भाव होता है जिसके लिए एक स्त्री महीनों पहले तैयारी शुरु कर देती है। स्त्री पर दवाब नहीं डालता कोई बल्कि वह स्वेच्छा से पूरे हर्षोल्लास से ये उत्सव मनाती है।
अगर कोई स्त्री से कहे कि करवाचौथ मत रखो, ये ढकोसला है तो थप्पड़ मार देगी वहीं, इस तरह का समर्पण है इस इस पर्व को लेकर हमारे क्षेत्र में. आज के दिन हर आंगन में जो उल्लास होता है, उसे वही समझ पाएगा, जिस क्षेत्र में करवाचौथ होता है।
Karva Chauth: जो करवाचौथ का मजाक उड़ा रहे हैं, एकता कपूर का आविष्कार बता रहे हैं, वो आज फिरोजाबाद, आगरा क्षेत्र घूम लें, समझ आ जाएगा कि करवाचौथ का सुहागिन स्त्री के लिए कितना महत्व है।
भक्क..
‘बहुत सरल हूं’
लेखक – अभय प्रताप सिंह, पत्रकार