Chandrayaan-3: भारत का ‘मून मिशन‘ चंद्रयान-3 सफलतापूर्वक चांद के दक्षिणी छोर पर बुधवार की शाम को लैंड हो गया। चंद्रयान-3 के चांद पर लैंड होते ही भारत उन चार देशों की फेहरिस्त में शामिल हो गया, जो चांद पर सफलतापूर्वक पहुंच चुके हैं। वहीं, चांद के साउथ पोल पर पहुंचने वाला भारत दुनिया का पहला देश बन गया है। लेकिन भारत के लिए चांद पर पहुंचने की यह राह इतनी आसान नहीं थी। एक वक्त था, जब भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो साइकिल और बैलगाड़ी से रॉकेट ढोया करता था और आज एक वक्त वह भी है, जहां चंद्रयान-3 की मदद से चांद पर कदम रख कर एक मील का पत्थर तय किया।
Chandrayaan-3: चांद साउथ पोल पर पहुचने वाला पहला देश
Chandrayaan-3: चंद्रयान 3 की चांद के साउथ पोल पर सफल लैंडिंग करवाकर भारत अंतरिक्ष की दुनिया में विकसित देशों से कई आगे निकल गया। रूस,अमेरिका और चीन से हम चांद के मामले में काफी आगे निकल गए। रूस के लूना का असफल होना ये दिखाता है कि कई न कई रूस ने अपने प्रोजेक्ट्स लूना में थोड़ी जल्दबाजी कर दी। कई न कई ओवर काॅफिडेंस शायद रूस को ले डूबा या फिर भारत से पहले चांद पर अपने देश का झंडा फेहराना चाहता था। भारत का रूस बहुत पुराना दोस्त हैं और विश्वस्त दोस्त हैं और लूना के फेल होने के बाद भी राष्ट्रपति पुतिन ने पीएम मोदी को बधाई दी। मोदी ने भी रूस के राष्ट्रपति पुतिन के लूना फेल होने पर सिंपेथी दिखाई और जल्द रूस के लूना का भी चांद के साऊथ पोल पर पहुंचने के लिए शुभकामनाएं दी।
आजादी के समय पाकिस्तान भारत से बहुत आगे था
Chandrayaan-3: स्पेश विज्ञान में भारत विकसित देशों की कतार में खड़ा हो गया है। पहले मंगल मिशन को सफलतापूर्वक पूरा करना और उसके बाद अब चांद पर चंद्रयान 3 का सफलतापूर्वक सैफ लैंडिंग करके दिखा दिया कि भारत स्पेस की दुनिया का सबसे मजबूत और अहम खिलाड़ी हैं। आपको बता दें कि आजादी के बाद पाकिस्तान ने 16 सितंबर 1961 में स्पेस एंड अपर एटमॉसफेयर रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन (SUPARCO) बनाया था। वह भी भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी (ISRO) के आधिकारिक गठन से करीब आठ साल पहले इसरो की स्थापना 1969 में हुई थी।
वर्तमान में भारत पाकिस्तान के स्पेश प्रोग्राम से काफी आगे
Chandrayaan-3: आजादी के बाद से ही खुद को अन्य विकसित और विकासशील देशों की तरह खड़ा करना भारत के लिए बड़ी चुनौती थी। 1962 में एक समिति जिसका नाम ‘अंतरिक्ष अनुसंधान के लिए भारतीय राष्ट्रीय समिति’ (इनकोस्पार) के रूप में इसकी स्थापना की गई थी। इस बीच उस वक्त की एक तस्वीर खूब वायरल होती है, जिसमें वैज्ञानिक साइकिल पर रॉकेट ले जाते हुए नजर आते हैं। 1962 से 2023 तक भारत ने अपने आप को अंतरिक्ष की दुनिया में एक मजबूत देश के तौर पर खड़ा किया है।
Chandrayaan-3: दरअसल, मिशन मून की सफलता के लिए भारत को करीब 15 साल इंतजार करना पड़ा। 15 साल की लगातार मेहनत ने बुधवार यानी 23 अगस्त ने इसरो के चंद्रयान-3 ने भारत को चांद पर पहुंचा दिया। इसरो ने चांद पर अपना पहला चंद्रयान-1 साल 2008 में भेजा था। चंद्रयान-1, चंद्रयान-2 से लेकर चंद्रयान-3 की राह में भारत ने असफलताओं के भी दौर देखे। जब चंद्रयान-2 की लैंडिंग असफल रही थी, तब पूरा देश रोया था। मगर इसी इसरो ने चंद्रयान-3 को चांद पर सफलतापूर्वक लैंड कराकर देश को झूमने का मौका दे दिया।
Chandrayaan-3: बुधवार 23 अगस्त को जो लैंडर चांद के साउथ पोल पर लैंड हुआ, उसका नाम विक्रम साराभाई के नाम पर रखा गया। विक्रम साराभाई व्यापक रूप से भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम का जनक माना जाता है। भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो की स्थापना साल 1962 में हुई थी तब इसे भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष अनुसंधान समिति (INCOSPAR) कहा जाता था। विक्रम साराभाई उसके चीफ थे। इसके स्थापना के एक साल बाद ही भारत ने पहला रॉकेट लॉन्च किया था। उसके पार्ट्स को साइकिल पर लादकर लॉन्च सेंटर तक पहुंचाया गया था। वह तस्वीर आज भी सोशल मीडिया पर वायरल होती रहती है। पहला रॉकेट 21 नवंबर 1963 को यहीं से लॉन्च किया गया और इसके साथ ही भारतीय स्पेस प्रोग्राम की ऐतिहासिक शुरूआत हुई थी। इसके बाद साल 1969 में 15 अगस्त को इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन (ISRO) बनाया गया। चंद्रयान मिशन, जिसे इंडियन लूनर एक्सप्लोरेशन प्रोग्राम के रूप में भी जाना जाता है, जिसमें इसरो द्वारा संचालित अंतरिक्ष मिशनों की एक सीरिज शामिल है। पहला मिशन, चंद्रयान-1, 2008 में लॉन्च किया गया था और सफलतापूर्वक चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश कर गया।
भारत का सबसे भरोसेमंद लॉन्च व्हीकल का नाम पोलर सैटेलाइट
Chandrayaan-3: गौरतलब है कि भारत की पहली सैटेलाइट का नाम आर्यभट्ट था जिसे साल 1975 के 19 अप्रैल को लॉन्च किया गया था। प्रसिद्ध खगोलशास्त्री के नाम पर इस सैटेलाइट का नाम आयर्भट्ट रखा गया था। इसे इसरो ने ही बनाया था और सोवियत संघ ने लॉन्च किया था। भारत का सबसे भरोसेमंद लॉन्च व्हीकल का नाम पोलर सैटेलाइट लॉन्च वीह्कल है। इसे साल 1994 के अक्टूबर महीने में लॉन्च किया गया था और तब से जून 2017 तक लगातार इसरो ने 39 सफल मिशनों को अंजाम दिया।
Chandrayaan-3: पोलर सैटेलाइट एक विश्वसनीय लॉन्च वीइकल के रूप में उभरा और पोलर के जरिये ही 2008 में चंद्रयान-1 और 2013 में मंगल ऑर्बिटर स्पेसक्राफ्ट को लॉन्च किया था। चंद्रयान-3 मिशन के लैंडर ‘विक्रम‘ ने चंद्रमा की सतह पर उतरने के लिए अपेक्षाकृत एक समतल क्षेत्र को चुना उसके कैमरे से ली गयी तस्वीरों से यह पता चला है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने कहा कि विक्रम के सफलतापूर्वक चंद्रमा पर पहुंचने के तुरंत बाद ‘लैंडिंग इमेजर कैमरा‘ ने ये तस्वीरें कैद कीं। तस्वीरें चंद्रयान-3 के लैंडिंग स्थल का एक हिस्सा दिखाती हैं।
Chandrayaan-3: ‘चंद्रयान-3′ की चंद्रमा की सतह पर सफलतापूर्वक सॉफ्ट लैंडिंग के बाद अब रोवर मॉड्यूल इसरो के वैज्ञानिकों द्वारा दिए गए 14 दिवसीय कार्य शुरू करेगा। उसके विभिन्न कार्यों में चंद्रमा की सतह के बारे में और जानकारी हासिल करने के लिए वहां प्रयोग करना भी शामिल है। ‘विक्रम‘ लैंडर के चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग कर अपना काम पूरा करने के बाद अब रोवर ‘प्रज्ञान‘ के चंद्रमा की सतह पर कई प्रयोग करने के लिए लैंडर मॉड्यूल से बाहर निकलने की संभावना है। द्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर चंद्रयान-3 को सफलतापूर्वक उतारने की भारत की सफलता पर दुनियाभर में रहने वाले भारतीय प्रवासियों सहित विभिन्न लोगों ने खुशी जतायी है। भारत का चंद्रमा मिशन चंद्रयान-3 बुधवार शाम 6 बजकर चार मिनट पर चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरा। इसके साथ ही भारत चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर यान उतारने वाला पहला देश बन गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसरो सहित पूरे भारत को मिशन सफल होने पर बधाई दी।
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