Delhi News: राम नाम जपना पराया माल अपना, लेकिन यहाँ ये कहावत बदल गई है, राम नाम जपना जनता का माल अपना, और इस कहावत पर दिल्ली के मुखिया अरविन्द केजरीवाल बिलकुल फिट बैठे हैं। आम आदमी पार्टी का विज्ञापन प्रेम और विज्ञापनों पर भारी भरकम खर्च से यह बात तो साबित होती है कि आम आदमी की राजनीति करने वाले इस दल को आम आदमी की नहीं बल्कि खुद की सरकार बचाए रखने की फिक्र अधिक रहती है।
बेतहाशा विज्ञापनों और उन पर लुटाया जा रहा सरकारी धन जनता को तो कुछ हद तक भ्रम में डाल सकता है, लेकिन ईमानदारी का दम भरने वाले दिल्ली सीएम अरविंद केजरीवाल की ईमानदारी पर प्रश्नचिह्न लगाने के लिए काफी है?
Delhi News: ईमानदारी और आदर्शवाद की दुहाई देने वाले दिल्ली के विवादास्पद मुखिया यानि अरविंद केजरीवाल ने भ्रष्टाचार को आम बना दिया है। दिल्ली की जनता को ठगने में ये मुखिया कलाकार हैं। व्यवस्था परिवर्तन के नाम पर दिल्ली की जनता को कैसे ठगना है वो इन्हे अच्छे से आता हैं। अब इसी कड़ी में केजरीवाल के दामन पर एक और दाग लगा हैं।
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को बड़ा झटका लगा है। उपराज्यपाल के मुताबिक, दिल्ली सरकार ने सरकारी विज्ञापन की आड़ में पार्टी का विज्ञापन दिया था। इसलिए ये रकम आम आदमी पार्टी से वसूली जानी चाहिए।
Delhi News: दरअसल, दिल्ली के एलजी को शिकायतें मिली थी कि आम आदमी पार्टी सरकार ने सरकारी विज्ञापन के नाम पर राजनीतिक एड निकाले थे। सुप्रीम कोर्ट की रूलिंग के आधार पर एक जांच करके कमेटी का भी गठन किया गया था।
कमेटी ने जांच के दौरान पाया कि तकरीबन 97 करोड़ 15 लाख रुपये के आस-पास की रकम है जिसे केजरीवाल की आम आदमी पार्टी सरकार ने सरकारी एड बताकर राजनीतिक विज्ञापन दिए थे।इन रुपयों के भुगतान करने के लिए आप सरकार को 15 दिनों का समय दिया गया हैं।
Delhi News: वही भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने केजरीवाल सरकार को आड़े हाथो लेते हुए कहा की “आप का मतलब, Aur Adverisement-vali Party बन चुका है।” आज जो निर्देश आया है 97 करोड़ रुपये वसूले जाए आम आदमी पार्टी से पॉलिटिकल एड के लिए।
वहीं दिल्ली विधानसभा में विपक्ष के नेता रामवीर सिंह बिधूड़ी ने यहां आयोजित संवाददाता सम्मेलन में ‘विज्ञापन घोटाले’ का आरोप लगाया और इसकी केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) जांच की मांग की और उन्होंने कहा कि इस संदर्भ में उपराज्यपाल से मुलाकात की जाएगी।
उन्होंने आगे ये भी कहा कि “पिछले आठ सालों में विज्ञापन पर लगभग 2,000 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं। इस बीच, विपक्षी भाजपा ने उपराज्यपाल के निर्देशों का स्वागत किया और दावा किया कि सत्तारूढ़ पार्टी से वसूल की जाने वाली राशि बढ़कर 400 करोड़ रुपये हो जाएगी।”
अजय माकन: उपराज्यपाल के फैसले का किया स्वागत
वहीं, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अजय माकन ने भी उपराज्यपाल के फैसले का स्वागत करते हुए कि कहा कि उन्हें खुशी है कि वो ‘अपनी नींद से जाग गए’ हैं।
दिलचस्प बात यह है कि माकन ने सरकारी विज्ञापन में सामग्री नियमन समिति’ को 16 सितंबर 2016 में शिकायत की गई थी। इस समिति का गठन सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने यह देखने के लिए किया है कि विज्ञापन उच्चतम न्यायालय के निर्देशों के अनुरूप हैं या नहीं… सीसीआरजीए ने तब ‘आप’ सरकार को निर्देश दिया था कि पार्टी के विज्ञापनों पर खर्च की गई रकम को राज्य के खजाने में जमा किया जाए।
पाँच वर्षों बाद, आज उपराज्यपाल ने इस ओर संज्ञान ले कर मुख्य सचिव को वसूली की कार्यवाही शुरू करने को कहा है।
लेकिन केवल 97 करोड़ क्यों?
यह वसूली 675 करोड़ होना चाहिए।मैंने विस्तार से अपने 4 October के पत्र में LG को बताया था (यह पत्र संलग्न है) 👇🏾👇🏾👇🏾https://t.co/tIH1cpnfvH
— Ajay Maken (@ajaymaken) December 20, 2022
Delhi News: दिल्ली हो या पंजाब आम आदमी पार्टी की सरकार इन्हें अगर विज्ञापनबाजी की सरकारें कहें तो कुछ गलत नहीं होगा। केजरीवाल दिल्ली में ऐसा कई बार कर चुके हैं कि काम कुछ लाख का होता है और उसके गुणगान करने के लिए विज्ञापनों पर करोड़ों खर्च कर दिए जाते हैं। अपने राज्य में ही नहीं बल्कि, गुजरात और हिमाचल प्रदेश में चुनाव के समय छवि बनाने के लिए करोड़ों के विज्ञापन दिए गए।
आपको बता दे की केजरीवाल ने इस साल जनवरी में पंजाब चुनाव प्रचार के दौरान कहा कि “कोरोना के चलते चुनाव आयोग ने डोर टू डोर कैंपेनिंग के लिए कहा था और हम तो डोर टू डोर ही करते हैं। दूसरे दल तो खूब पैसे खर्चते हैं। बड़े-बड़े विज्ञापन देते हैं। ऐसे विज्ञापन देना आम आदमी पार्टी को नहीं आता। हमारे पास तो विज्ञापनों के लिए पैसे ही नहीं हैं, क्योंकि हम ईमानदार पार्टी हैं।”
Delhi News: केजरीवाल के शब्दों में यदि विज्ञापन न देना ईमानदारी की परिभाषा है तो साफ कह सकते हैं कि दिल्ली और पंजाब की सरकारें बेईमानी पर उतर आई हैं। अरविंद केजरीवाल का फोकस विकास पर कम चेहरा चमकाने पर ज्यादा है। केजरीवाल सरकार ने जनता के पैसे को सिर्फ प्रचार-प्रसार के लिए खर्च किया, वो आंकड़ा चौंकाने वाला है।
न्यूज़लॉन्ड्री द्वारा आरटीआई के जरिए पूछे गए सवाल के अनुसार दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार ने वित्त वर्ष 2021-22 में विज्ञापनों पर कुल 488 करोड़ रुपये खर्च किए। इसके पहले साल 2012-13 में आम आदमी पार्टी सरकार ने 11.18 करोड़ रुपये विज्ञापन पर खर्च किया। यह आंकड़ा 2013-14 में बढ़कर 25.24 करोड़ हो गया। इसके बाद 2014-15 में यह 11.12 करोड़ रुपये पर आ गया।
Delhi News: आपको बता दें कि आरटीआई से हैरान करने वाला खुलासा हुआ कि कोरोना काल में जब दिल्ली के लोग ऑक्सीजन की कमी से मर रहे थे तब केजरीवाल सरकार हर रोज विज्ञापन पर 71 लाख रुपये खर्च कर रही थी।
बीजेपी के आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने इस पर निशाना साधते हुए आरोप लगाया था कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने अप्रैल-जून 2021 के बीच खुद के प्रचार के लिए के लिए 63.86 करोड़ खर्च कर दिए।
ये सीएजी की रिपोर्ट में आया है कि किस तरह से आम आदमी पार्टी द्वारा अपने विज्ञापन में और कैसे टैक्सपेयर का पैसा खर्च किया गया? अपने विज्ञापन और मार्केटिंग के लिए अलग-अलग राज्यों में जहां पर उन्हें चुनाव लड़ना था। मतलब जनता के खर्च पर अपनी राजनीति की गई। अगर उनकी स्कीम इतनी अच्छी होती तो इतने पैसे उड़ाने की जरुरत ही नहीं होती।
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