Delhi Ordinance Row: दिल्ली अध्यादेश पर केजरीवाल के समर्थन में बोले सिद्धु, “LG निर्वाचित प्रतिनिधियों को ना समझे कठपुतली”

Delhi Ordinance Row

Delhi Ordinance Row: सरकार की शक्तियों को लेकर उपराज्यपाल और आप सरकार के बीच जारी गतिरोध के बीच में केंद्र सरकार के द्वारा लाए गए अध्यादेश का आम आदमी पार्टी कड़ा विरोध कर रही हैं। दिल्ली अध्यादेश पर आम आदमी पार्टी को कांग्रेस का साथ मिल रहा  है। वहीं पंजाब कांग्रेस आम आदमी पार्टी के साथ खड़ी नहीं होना चाहती हैं। इसी बीच पंजाब कांग्रेस नेता नवजोत सिंह सिद्धु ने पार्टी के मत खिलाफ जाकर दिल्ली अध्यादेश पर आम आदमी पार्टी का साथ दिया है।

सिद्धु ने दिल्ली अध्यादेश पर कांग्रेस का स्टैंड लिया

Delhi Ordinance Row: मीडिया से बातचीत के दौरान कांग्रेस नेता सिद्धु ने दिल्ली अध्यादेश पर कांग्रेस का समर्थन किया है। उन्होंने कहा कि राज्यपाल और उपराज्यपाल निर्वाचित प्रतिनिधियों को अपनी कठपुतली नहीं बना सकते है। राज्यपाल और उपराज्यपाल से इस देश की लोकतांत्रिक ताकत को गुलाम नहीं बनाया जा सकता हैं। एलजी किसी चुनी हुई सरकार को हिदायत नहीं दे सकती हैं। उपराज्यपाल चुने हुई नुमाइंदों को गुलाम नहीं बना सकता और अपनी नॉमिनेटेड फोर्स नहीं थोप सकता है। अगर ये सरकार रही तो राहुल गांधी के पीधे चलते हुए हर कोई कह रहा है कि ये देश नहीं रहेगा, इस देश का लोकतंत्र नहीं रहेगा।

राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा ने अध्यादेश को राज्यसभा में पेश करना सही ठहराया

Delhi Ordinance Row: आप नेता और राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा ने राज्यसभा सभापति जगदीप धनखड़ को एक पत्र लिखा है। राघव चड्ढा ने कहा कि चुनी हुई सरकार से उसका संवैधानिक अधिकार छीनता है। यह नाजायज, अनुचित और अस्वीकार्य है।

राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा ने अध्यादेश को असंवैधानिक बताया

Delhi Ordinance Row: आम आदमी पार्टी के नेता और राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा ने अध्यादेश को असंवैधानिक ठहराया और उसके तीन कारण भी बताएं। पहले कारण को स्पष्ट करते हुए बोले केंद्र का अध्यादेश सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के खिलाफ है। दुसरा कारण संविधान के अनुच्छेद 239AA की धज्जियां उड़ाता है। तीसरा कारण को स्पष्ट करते हुए बोले इस अध्यादेश को लेकर एक केस सुप्रीम कोर्ट में अभी विचाराधीन है।

Delhi Ordinance Row: इस मसले को संविधान पीठ को विचार के लिए सौंप दिया गया हैं। राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा ने कहा कि अध्यादेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है। जिसने 20 जुलाई 2023 के अपने आदेश के जरिए इस सवाल को संविधान पीठ को भेजा है।

Written By: Juhi Pandit

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By खबर इंडिया स्टाफ