S Jayshankar: शीतकालीन सत्र के पहले दिन विदेश मंत्री ने चीन को दी नसीहत, कहा-“हम LAC में एकतरफा बदलाव की कोशिशों को बर्दाश्त नहीं करेंगे”

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S Jayshankar: चीन पर बहुत ज्यादा विश्वास नहीं किया जा सकता अक्सर इसकी कथनी और करनी में हमेंशा से अंतर ही रहा है। ये एक कारण है कि भारत के विदेश मंत्री को वक्त-वक्त पर चीन को नसीहत देनी पड़ती है और इस बार भी भारत के विदेश मंत्री ने सदन में पहले दिन चीन को LAC के मुदंदे को लेकर नसीहत दी हैं। उन्होंने कहा कि “हम LAC में एकतरफा बदलाव की कोशिशों को बर्दाश्त नहीं करेंगे।”

आपको बता दें कि बुधवार 7 दिसंबर को शीतकालीन सत्र के पहले दिन विदेश मंत्री डॉ एस जयशंकर ने सदन में चीन को नसीहत देते हुए कहा कि “कूटनीतिक तौर पर हमने चीन को स्पष्ट किया है कि हम LAC में एकतरफा बदलाव की कोशिशों को बर्दाश्त नहीं करेंगे। अगर वे ऐसा करना जारी रखते हैं जो सीमा क्षेत्र में गंभीर चिंताएं पैदा करती हैं तो हमारे संबंध सामान्य नहीं रहे सकते।”

S Jayshankar: संसद में विदेश मंत्री डॉ एस जयशंकर ने कहा कि “जहां तक गणतंत्र दिवस समारोह का संबंध है, हमने मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फत्ताह अल-सिसी को मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया है और उन्होंने विनम्रतापूर्वक निमंत्रण स्वीकार किया है।”

विदेश मंत्री ने कहा कि “हम अपनी कंपनियों से रूसी तेल खरीदने के लिए नहीं कहते, हम उनसे वह खरीदने के लिए कहते हैं जो उनके लिए सबसे अच्छा विकल्प है। यह बाजार पर निर्भर करता है। यह एक समझदार नीति है कि हम भारतीय लोगों के लिए अच्छा सौदा कहां से लाते हैं।”

इससे पहले चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने कहा था कि ” दोनों देशों को एक दूसरे के लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद करनी चाहिए, न किएक दूसरे की ऊर्जाओं को बर्बाद करने में“… और साथ ही कहा कि  हमें सही रास्ते पर आगे बढ़ना है।

S Jayshankar: उन्होंने कहा कि, “जब दोनों देश स्थिरता और समृद्धि हासिल करेंगे और यहां शांति और सद्भाव बनी रहेगी तब ही वैश्विक शांति को एक मजबूत नींव मिलेगी और जैसा कि एक भारतीय कहावत है कि अपने भाई की नाव को पार करने में मदद करें तो आपकी नाव पार पहुंच जाएगी।

मैं उम्मीद करता हूं कि भारत और चीन एक दूसरे के साथ एक रणनीतिक सहमति बनाएंगे कि दोनों देश एक दूसरे के लिए ख़तरा नहीं बनेंगे और एक दूसरे के विकास का मौका देंगे, दोनों आपसी विश्वास बनाना जारी रखेंगे और ग़लतफ़हमी और ग़लत अनुमानों से बचेंगे और एक दूसरे की सफलता के भागीदार बनेंगे।

इससे पहले भी भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने पिछले महीने ही दोनों देशों के रिश्तों पर कहा था कि चीन के सीमा समझौतों के उल्लंघन के बाद फिलहाल भारत और चीन के संबंध सबसे मुश्किल दौर से गुज़र रहे हैं। ये बयान उन्होंने म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन (एमएससी) 2022 में परिचर्चा के दौरान दिया था।

S Jayshankar: जब उनसे इस दौरान एक सवाल के जवाब में कहा था कि, “भारत को चीन के साथ एक समस्या है। वो ये है कि 1975 से 45 साल तक सीमा पर शांति रही, सीमा प्रबंधन स्थिर रहा, कोई सैनिक हताहत नहीं हुआ“…

उन्होंने ये भी कहा कि “लेकिन अब ये बदल गया है क्योंकि हमने चीन के साथ सीमाजो असल में वास्तविक नियंत्रण रेखा हैउस पर सैन्यबलों की तैनाती नहीं करने के लिए समझौते किएलेकिन चीन ने उन समझौतों का उल्लंघन किया है।

S Jayshankar: विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि “ज़ाहिर तौर पर मौजूदा समय में चीन के साथ भारत के संबंध बहुत कठिन दौर से गुज़र रहे हैं” और उन्होंने ये भी कहा कि पश्चिमी देशों के साथ भारत के रिश्ते जून 2020 से पहले भी बेहद अच्छे थे.

इससे पहले भी एस जयशंकर ने कहा था कि वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर विवाद इसलिए बढ़ा क्योंकि चीन ने दोनों देशों के बीच हुए लिखित समझौतों की अवहेलना की है।

उस समय विदेश मंत्री ने कहा था कि “जब एक बड़ा देश लिखित समझौतों की अवहेलना करता है, तो यह पूरे अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के लिए चिंता का कारण बनता है।विदेश मंत्री ने कहा कि “स्वाभाविक तौर पर सीमा की स्थिति दोनों देशों के बीच के संबंधों की स्थिति को भी तय करेगी“…

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By Atul Sharma

बेबाक लिखती है मेरी कलम, देशद्रोहियों की लेती है अच्छे से खबर, मेरी कलम ही मेरी पहचान है।