सुप्रीम कोर्ट: सर्वोच्च अदालत का मानना है कि अनुच्छेद 370 का अस्तित्व समाप्त होने की अधिसूचना जारी करने की राष्ट्रपति की शक्ति जम्मू-कश्मीर संविधान सभा के भंग होने के बाद भी बनी रहती है।अनुच्छेद 370 मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा, “अनुच्छेद 370 जम्मू-कश्मीर के संघ के साथ संवैधानिक एकीकरण के लिए था और यह विघटन के लिए नहीं था, और राष्ट्रपति घोषणा कर सकते हैं कि अनुच्छेद 370 का अस्तित्व समाप्त हो गया है और साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र शासित प्रदेश के रूप में लद्दाख के पुनर्गठन को बरकरार रखा और वही पीएम मोदी ने कोर्ट के फैसले का स्वागत किया।”
पीएम मोदी: न्यायालय ने, अपने गहन ज्ञान से, एकता के मूल…
पीएम ने ट्विट करते हुए कहा कि “यह जम्मू, कश्मीर और लद्दाख में हमारी बहनों और भाइयों के लिए आशा, प्रगति और एकता की एक शानदार घोषणा है। न्यायालय ने, अपने गहन ज्ञान से, एकता के मूल सार को मजबूत किया है जिसे हम, भारतीय होने के नाते, बाकी सब से ऊपर प्रिय मानते हैं और संजोते हैं।”
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, “यह जम्मू, कश्मीर और लद्दाख में हमारी बहनों और भाइयों के लिए आशा, प्रगति और एकता की एक शानदार घोषणा है। न्यायालय ने, अपने गहन ज्ञान से, एकता के मूल सार को मजबूत किया है जिसे हम, भारतीय होने के नाते, बाकी सब से ऊपर प्रिय मानते हैं और संजोते हैं।” pic.twitter.com/3FsQKkRKgN
— ANI_HindiNews (@AHindinews) December 11, 2023
भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा: पीएम मोदी का जताया आभार…
वहीं भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हुए जम्मू कश्मीर से धारा 370 हटाने को लेकर कहा कि “पीएम मोदी का आभार उनकी वजह से ही धारा 370 हट सकी।”
भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा, “भारतीय जनता पार्टी अनुच्छेद 370 पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए फैसले का स्वागत करती है…” pic.twitter.com/zyTwF1zIj6
— ANI_HindiNews (@AHindinews) December 11, 2023
DPAP अध्यक्ष गुलाम नबी आज़ाद: लेकिन इस फैसले से जम्मू-कश्मीर के लोगों को अफसोस
सुप्रीम कोर्ट: जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 को हटाए जाने को संवैधानिक रूप से वैध ठहराया। इसपर डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आज़ाद पार्टी(DPAP) के अध्यक्ष गुलाम नबी आज़ाद ने कहा, “एक उम्मीद थी क्योंकि कई चीज़ों में हमने कहा था कि जो कोर्ट कहेगा वह आखिरी फैसला होगा… मैं बुनियादी तौर पर कहता हूं कि इसे खत्म करना ग़लत था। इसे करते वक्त जम्मू-कश्मीर की राजनीतिक पार्टियों से पूछा नहीं गया… हम अदालत के खिलाफ नहीं जा सकते लेकिन इस फैसले से हम, जम्मू-कश्मीर के लोगों को अफसोस है…”
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