Delhi News: देश की धड़कन दिल्ली में सोती रहती है पुलिस, दरिंदे देते रहते हैं घटनाओं को अंजाम

Delhi police

Delhi News: दिल्ली में कानून व्यवस्था का खौफ नही बचा हैं। यह तीन मामले सामने आए है जहां दावा होता हैं पुलिस की मुस्तैदी है, तैनाती है नए साल के मौके पर। लेकिन एक दर्दनाक हादसा वहां पर होता है और पुलिस सोती रहती हैं। पहली कंझावला केस में अजंलि की मौत जिस भयावह तरीके से हुई उसके बाद दिल्ली पुलिस सवालों के घेरे में हैं।

दूसरा मामला आदर्श नगर का है जहां दोस्ती तोड़ने पर एक युवक इस कदर भड़का कि लड़की को चाकू से गोद डाला। लड़की घायल है और उसकी हालत गंभीर बनी हुई है और तीसरा मामला पांडव नगर इलाके का है लड़की शादी के लिए नहीं मानी तो उसके सात जबरदस्ती की कोशिश की गई, कार में खींचा गया, तेज़ाब तक फेंकने की भी धमकी दी गई।

Delhi News: कंझवला केस में अंजलि को केवल 12 किलोमीटर तक नहीं घसीटा गया, बल्कि उसकी लाश के साथ ही दिल्ली पुलिस की साख भी घिसटती चली गई। यहां तक की हादसे के 36 घंटे बाद पुलिस को पहली बार पता चलता है कि जो स्कूटी हादसे का शिकार बनी, उस स्कूटी पर एक नहीं बल्कि दो लड़कियां सवार थीं।

अब बात करे पांडव नगर इलाके की तो जानकारी के मुताबिक एक युवक ने लड़की को जबरन नए साल के जश्न में शामिल होने के लिए कहा था। जब लड़की ने शामिल होने से मना कर दिया तो आरोपी ने उस पर तेज़ाब फेंकने की धमकी दी। इसके साथ ही आरोपी की जांच जारी हैं।

Delhi News: वहीं दिल्ली के आदर्श नगर में दोस्ती तोड़ने पर युवती पर चाकू से कई वार किए गए। हमले के बाद घायल लड़की को अस्पताल में भर्ती कराया गया। अभी लड़की की हालत स्थिर बताई जा रही हैं। साथ ही फरार सुखविंदर सिंह उर्फ सूखा को गिरफ्तार कर लिया गया है।

Delhi News: सवाल यह है, कि आखिर दिल्ली में महिलाएं सुरक्षित हैं? या फिर दिल्ली में हैवानियत सवार लोगों की संख्या ज्यादा बढ़ गई है। क्योंकि कंझावला की घटना हो, उसके बाद आदर्श नगर में चाहे चाकू मारने की घटना हो और अब पांडव नगर में लड़की से बदसलूकी का मामला हो। नए साल की जो शुरूआत हुए कुछ ही दिन हुए है ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि अब दिल्ली में लोगों के ज़हन में कानून का खौफ नहीं है?

Written By- @Nitisha Agarwal

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By Susheel Chaudhary

मेरे शब्द ही मेरा हथियार है, मुझे मेरे वतन से बेहद प्यार है, अपनी ज़िद पर आ जाऊं तो, देश की तरफ बढ़ते नापाक कदम तो क्या, आंधियों का रुख भी मोड़ सकता हूं ।