प्रेरणा विमर्श: इंदिरा मतलब इंडिया का नैरेटिव गढ़ने वाले आज मोदी मतलब भारत के नैरेटिव में फंसाना चाहते हैं : डॉ. आनंद रंगनाथ

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प्रेरणा विमर्श: नोएडा के प्रेरणा शोध संस्थान न्यास, प्रेरणा जन सेवा न्यास और केशव सम्वाद पत्रिका की तरफ से नोएडा के सेक्टर-12 स्थित सरस्वती शिशु मन्दिर में पाँच दिवसीय प्रेरणा विमर्श – 2022, मीडिया कॉन्क्लेव एवं फिल्म फेस्टिवल के तीसरे दिन पत्रकार एवं लेखन विमर्श विषय पर कार्यशाला का आयोजन हुआ। कार्यशाला के प्रथम सत्र में पत्रकारिता कर्तव्य और राष्ट्र विषय पर विमर्श हुआ।

इस सत्र में मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे उदय माहुरकर ने कहा, कि आज के टीआरपी के दौर में पत्रकारिता विषय कठिन भी है और दिलचस्प भी है। उन्होंने गुजरात दंगों के दौरान कैसे उनके लिखे तथ्यों को बदलकर उनके ही नाम पर एक फेक नैरेटिव चलाने का प्रयास हुआ। लेकिन उन्होंने साहस दिखाया और उन चीजों का विरोध किया। जिसका फर्क यह पड़ा की उनका ही लेख बिना बदलाव के गया।

आगे ये भी कहा, कि कांग्रेस हमेशा गलत नीतियों पर चलती रही है। उदाहरण के तौर पर उन्होंने महाकाल मन्दिर के बारे में बताते हुए कहा कि, महाकाल मन्दिर को कई बार तोड़ा गया कई बार बनाया गया। अभी हाल ही में महाकाल मन्दिर का कॉरिडोर बनाया गया। जो वास्तव में सांस्कृतिक पूर्जागरण का विषय है।

प्रेरणा विमर्श: ये पहले भी हो सकता था क्योंकि महाकाल मन्दिर पर कभी कोई विवाद नहीं था। न ही ये कभी कोर्ट का मामला रहा। ये कॉरिडोर तो बहुत पहले ही बन जाना चाहिए था। चुकि राष्ट्र का सांस्कृतिक विकास कभी भी कांग्रेस के एजेंडे में नहीं था। राष्ट्र प्रथम के बदले सत्ता में बने रहने के लिए उन्होंने हमेशा मुस्लिम तुष्टीकरण को अपने शासन का मूलमंत्र बना लिया।

वहीं मुख्य वक्ता के रूप में मौजूद ब्रजेश सिंह ने कहा कि, आज का समय बहुत अनुकूल है। क्योंकि केंद्र में एक राष्ट्रवादी सरकार हैं। आधुनिक पत्रकारिता की परिकल्पना में हमें सोचना होगा आज की पत्रकारिता राष्ट्र की बुनियादी जरूरत के मुताबिक कहां है। उन्होंने कहा कि पश्चिम मीडिया भारत के खिलाफ दुष्प्रचार करते हैं। आज के समय में जब कोई राष्ट्र की बात करता है तो उसे फैसनेबल नहीं माना जाता है।

जब कोई टुकड़े-टुकड़े गैंग के खिलाफ बोलते हैं लिखते हैं तो कहा जाता है कि बोलने की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को दबाया जा रहा है। देश में बहुत से बुद्धजीवी लोग ऐसे हैं जो पश्चिमी मीडिया के नैरेटिव को आगे बढ़ाते हैं। मंच का संचालन संसद टीवी के वरिष्ठ पत्रकार एवं एंकर प्रतिबिंब शर्मा ने किया। पत्रकार एवं लेखन विमर्श के द्वीतीय सत्र में खेमों में बंटी पत्रकारिता, कितना सच है आरोप, विषय पर विमर्श हुआ। इस सत्र में मुख्य अतिथि के रूप में वरिष्ठ पत्रकार के अवधेश कुमार उपस्थित रहे।

इस दौरान उन्होंने खेमों में बंटी पत्रकारिता विषय पर चर्चा करते हुए कहा कि जीवन में कोई भी ऐसा विषय नहीं है जिस पर सभी एकमत हो। खेमे बन्दी भी सार्वजनिक जीवन में काम करने के लिए ऊर्जा प्रदान करती हैं। पत्रकारिता, समाज और राजनीति सहित सभी जगह खेमे बन्दी है। मैं पत्रकारिता के सभी विचारधाराओं का सम्मान करता हूं। जबतक कि वह पत्रकारिता राष्ट्र को नुकसान न पहुंचाएं।

दूसरा सत्र..

इस सत्र में मुख्य वक्ता के रूप में स्वराज के कन्सलटिंग एडिटर एवं क़ॉलमनिस्ट डॉ आनंद रंगनाथ उपस्थित रहे। इस दौरान उन्होंने कहा, कि सच के साथ खड़ा होना कोई खेमा बन्दी नहीं है। मैं तो सच के साथ हूं। सच कई प्रकार के नहीं होते हैं। सच एक ही प्रकार का होता है। कई लोग उस सच को दिखाने के लिए अलग अलग प्रारूपों का इस्तेमाल करते हैं। जिसमें सच का स्वरूप बदल जाता है। पत्रकारिता में सरकार के खिलाफ आलोचना के लिए स्पेश होना चाहिए। जो आज की पत्रकारिता में नहीं दिखता।

प्रेरणा विमर्श: उन्होंने आगे ये भी कहा, कि एक समय था जब ये लेफ्ट स्लोगन दिया करते थे इंदिरा मतलब भारत, भारत मतलब इंदिरा। आज यही लोग देश मतलब मोदी के नैरेटिव में फंसाना चाहते हैं। लेकिन मुझे इनके नैरेटिव में नहीं फंसना है। देशहित में राष्ट्रहित में काम करने की जरूरत है। सारे आईएसएम से दूर रहना है, लेकिन क्रिटिसिजम से दूर नहीं भागना है। सत्र का संचालन वरिष्ठ पत्रकार एवं लेखक मनीष ठाकुर ने किया।

तीसरा सत्र..

विमर्श के तीसरे सत्र में लेखनी गढ़ती भविष्य का भारत विषय पर विमर्श हुआ। सत्र के मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित रहे लेखक अनुज धर ने नेताजी सुभाष चन्द्र बोस के मृत्यु से जुड़ी सभी तथ्यों पर विस्तृत रूप से चर्चा की इस दौरान उन्होंने उनसे जुड़ी तथ्यों को फिल्मों के माध्यम से लोगों को अवगत कराया। आगे बताया कि 1947 में जो आजादी मिली वह वास्तव में आजादी नहीं ऐटार्नी ऑफ पावर थी। इस दौरान उन्होंने गांधी परिवार की भी काफी आलोचना की। इस सत्र में मुख्य अतिथि के रूप में प्रो. प्रमोद कुमार उपस्थित रहे। सत्र का संचालन वरिष्ठ पत्रकार एवं एंकर रामवीर श्रेष्ठ ने किया।

प्रेरणा विमर्श: आपको बता दें, कि पाँच दिवसीय यह कार्यक्रम 09 नवम्बर से 13 नवम्बर तक चलेगा। कार्यक्रम का शुभारम्भ 9 नवंबर को भविष्य के भारत विषय पर आयोजित प्रदर्शनी के उद्घाटन के साथ हुआ। वही दस नवंबर को पत्रकारिता के छात्र एवं शिक्षकों के लिए छात्र एवं शिक्षक विर्मश कार्यशाला का आयोजन हुआ। 11 नवंबर को पत्रकार एवं लेखक विर्मश कार्यशाला हुआ। 12 नवंबर को सोशल मीडिया विमर्श कार्यशाला, 13 नवंबर को लघु फिल्म एवं वृति चित्र प्रदर्शन के साथ ही केशव संवाद पत्रिका विमोचन एवं पुरस्कार वितरण कार्यक्रम का भी आयोजन होगा। प्रेरणा विर्मश-2022 भविष्य के भारत में समाज की भूमिका का चिन्तन, विर्मश है।

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By Susheel Chaudhary

मेरे शब्द ही मेरा हथियार है, मुझे मेरे वतन से बेहद प्यार है, अपनी ज़िद पर आ जाऊं तो, देश की तरफ बढ़ते नापाक कदम तो क्या, आंधियों का रुख भी मोड़ सकता हूं ।