New Delhi: हार्ट-अटैक आजकल बेहद आम हो गया है। बुजुर्ग हो या युवा किसी को भी चलते-फिरते हार्ट अटैक हो रहा है। यहां तक कि फिटनेस का बेहद ध्यान रखने वाले बॉलीवुड स्टार्स और आम लोग भी इसकी चपेट में आसानी से आ रहे हैं। कोरोना के बाद से अचानक बढ़े हार्ट डिजीज के ट्रेंड को लेकर कई रिसर्च और स्टडीज भी आई हैं।
New Delhi: कोरोना वायरस के बाद पिछले 3 सालों में हार्ट अटैक से मौतों के मामले तेजी से बढ़े हैं।पहले हमें 50 से 55 साल के लोगों में अटैक की संभावना देखने को मिलती थी। एक्सरसाइज न करना, हाई ब्लड प्रेशर होना, कोलेस्ट्रोल बढ़ना, डायबिटीज होना पहले यह कारण माने जाते थे।
New Delhi: लेकिन आजकल हम यह देख रहे हैं कि 20 से 25 वर्ष के युवाओं में ना ब्लड प्रेशर है, ना डायबिटीज है उसके बावजूद हार्ट अटैक जैसी बीमारियां देखने को मिल रही है। ऐसे में सवाल है कि क्या भारत में तेजी से बढ़ते हार्ट अटैक के मामलों का कोरोना से कोई कनेक्शन है। स्वास्थ्य मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया ने इसका जवाब दिया है।
New Delhi: भावनगर में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने कहा,”इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) ने हाल ही में एक स्टडी की है। इसमें पता चला है कि जिन लोगों को सीवियर कोविड हुआ था, उन लोगों को सख्त मेहनत से कुछ समय के लिए परहेज करना चाहिए। मांडविया ने कहा, “जो लोग गंभीर रूप से कोविड-19 संक्रमण का शिकार हुए थे, उन्हें दिल के दौरे से बचने के लिए थोड़ा बचकर रहना चाहिए। ऐसे लोग एक या दो साल तक ज्यादा भाग-दौड़ करने से बचें।
ICMR ने दिया जवाब
New Delhi: दरअसल, ICMR ने हाल ही में एक स्टडी की है. इसमें वैक्सीन और अचानक हो रही मौतों के बीच के संबंध को लेकर उठ रहे सवाल का जवाब ढूंढा गया है। अपनी स्टडी का हवाला देते हुए आईसीएमआर ने बताया है कि भारत में कोविड-19 वैक्सीन की वजह से युवाओं की अचानक मौत होने का जोखिम नहीं बढ़ा है।
आईसीएमआर ने कहा है कि कोविड-19 से पहले अस्पताल में भर्ती होना, परिवार में अचानक मौतें होने के पुराने केस और लाइफस्टाइल में बदलाव ने अचानक होने वाली मौत की संभावना को बढ़ा दिया है।
इसके अलावा आईसीएमआर ने स्टडी में कहा है कि कोविड की वजह से अस्पताल में भर्ती होने की हिस्ट्री, परिवार में होने वाली अचानक मौत का रिकॉर्ड, मौत से पहले 48 घंटे तक शराब पीना, ड्रग्स लेना या फिर मौत से 48 घंटे पहले जबरदस्त एक्सरसाइज करना, कुछ ऐसे फैक्ट्स हैं, जिनके अचानक मौत का खतरा बढ़ जाता है। आईसीएमआर ने 1 अक्टूबर, 2021 से लेकर 31 मार्च, 2023 तक स्टडी की।
इस स्टडी में देश के कुल 47 अस्पतालों को शामिल किया गया. साथ ही इस स्टडी में 18 से 45 साल की उम्र के लोग शामिल हुए, जो स्पष्ट रूप से स्वस्थ थे। उनमें से एक भी व्यक्ति पुरानी बीमारी से नहीं जूझ रहा था। स्टडी में जानकारी मिली है कि जिन लोगों ने वैक्सीन की दो डोज ली थी। उनमें अचानक होने वाली मौत का खतरा बेहद कम था।
"COVID-19 vaccination did not increase the risk of unexplained sudden death among young adults in India. Past COVID-19 hospitalization, family history of sudden death and certain lifestyle behaviours increased the likelihood of unexplained sudden death," says ICMR Study pic.twitter.com/pmeh0et1On
— ANI (@ANI) November 21, 2023
युवाओं में क्या पहले भी हार्ट अटैक के मामले आते थे सामने?
New Delhi: नेशनल हार्ट इंस्टीट्यूट के निदेशक डॉ ओपी यादव कहते हैं, ”पिछले दो या तीन दशक पहले देखें, तो क़रीब 10 प्रतिशत हार्ट अटैक ऐसे लोगों में होते थे जो 40 से कम उम्र के होते थे। इतना ही नहीं बॉयपास सर्जरी भी दस प्रतिशत, 40 साल से कम उम्र के लोगों पर की जा रही थी। डॉ ओपी यादव कहना है कि युवाओं में पहले भी हार्ट अटैक के मामले सामने आ रहे थे लेकिन कुछ सेलिब्रिटी लोगों की हार्ट अटैक से मौत होने की ख़बरे सामने आने के बाद ये चर्चा होने लगी कि युवाओं में हार्ट अटैक के मामले बढ़ रहे हैं।
डॉ ओपी यादव सवाल उठाते हुए कहते हैं, क्या हमने ये देखा कि जिस व्यक्ति को हार्ट अटैक आया उसे कोई को-मॉर्बिडिटी जैसे – डायबीटिज़, हाइपरटेंशन, मोटापा जैसी कोई समस्या थी। उसका लिपिड प्रोफ़ाइल क्या था।वे कहते है कि जब भी ऐसी मौत होती है तो इस बात का आकलन भी किया जाना चाहिए क्योंकि ये देखा गया है हार्ट अटैक के मामले की ऑटोप्सी भी नहीं होती।
डॉक्टर क्या सलाह देते हैं?
New Delhi: अगर आप पहले दिन 200 मीटर चल रहे हैं तो कुछ दिन बाद 400 मीटर चले और ऐसे अपनी गति धीरे-धीरे बढ़ाएँ। सख़्त और कठिन कसरत कतई न करें।अगर आपको लगता है कि पहले जिस काम या कसरत से आपकी साँस नहीं फूलती थी लेकिन अब उसमें बदलाव देख रहे हैं तो डॉक्टर को बताएँ,आँखों के सामने अंधेरा छाना,चक्कर आना साँस लेने में दिक़्क़त,छाती में दर्द जैसी समस्याएं।
अगर दिल की धड़कन तेज़ जाए जो आमतौर पर नहीं होती थी, ये सब लक्षण कोरोना से ठीक होने के बाद दिखे तो डॉक्टर को ज़रूर दिखाएँ। डॉक्टरों का कहना है कि जो भी मरीज़ कोरोना से ठीक हुए हो और किसी भी उम्र के हों, कसरत ज़रूर करें लेकिन उसका स्तर धीरे-धीरे बढ़ाएँ।
Written By: Poline Barnard
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