Sri Lanka India Relation: राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे ने मांगा पीएम मोदी से समर्थन पढ़िए पूरी रिपोर्ट

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Sri Lanka India Relation: श्रीलंकाई राष्ट्रपति रनिल विक्रमसिंघे बीते सप्ताह जब भारत दौरे पर आए। श्रीलंका के राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे ने भारत से जुड़े एक मामले में सभी दलों का समर्थन मांगा तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनसे तमिलों से जुड़े 13वें संशोधन को लागू करने की प्रतिबद्धता को पूरा करने के लिए कहा था कि मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, अब श्रीलंका की सत्तारूढ़ पार्टी ने इसे ये कहते हुए ख़ारिज कर दिया है कि राष्ट्रपति विक्रमसिंघे के पास 13वां संशोधन लागू करने का अधिकार नहीं है।

श्रीलंका पोदुजना पेरामुना (एसएलपीपी या पीपल्स फ़्रंट) के महासचिव सागर करियावसम ने कहा है कि राष्ट्रपति विक्रमसिंघे जब तक ताज़ा चुनाव करवाकर जीत नहीं जाते तब तक उनके पास 13वां संशोधन लागू करने का कोई ‘मौलिक अधिकार’ नहीं है। उन्होंने साल 2019 के राष्ट्रपति चुनावों के नतीजों का हवाला देते हुए कहा कि इसमें गोटाबाया राजपक्षे को बड़ी जीत मिली थी।

मोदी ने बयान जारी कर क्या कहा?

Sri Lanka India Relation:  प्रधानमंत्री मोदी ने रानिल विक्रमसिंघे से मिलने के बाद 21 जुलाई को जारी बयान में कहा हम आशा करते हैं कि श्रीलंका की सरकार 13वें संशोधन को लागू करने की अपनी प्रतिबद्धता का पालन करेगी और प्रांतीय परिषद चुनाव करवाएगी। दरअसल भारत और श्रीलंका के रिश्तों में तमिलों का मुद्दा भी काफ़ी अहम रहा है। भारत चाहता है कि श्रीलंका अपने संविधान के 13वें संशोधन का पालन करे यह संशोधन 1987 में तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री राजीव गांधी और तत्कालीन श्रीलंकाई राष्ट्रपति जेआर जयवर्धने के बीच समझौते के बाद हुआ था।

भारत चाहता है कि श्रीलंका अपने संविधान के 13वें संशोधन का पालन करे यह संशोधन 1987 में तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री राजीव गांधी और तत्कालीन श्रीलंकाई राष्ट्रपति जेआर जयवर्धने के बीच समझौते के बाद हुआ था। इसका मक़सद ये था कि श्रीलंका में तमिलों और सिंघलियों का जो संघर्ष है, उसे रोका जा सके 13वें संशोधन के ज़रिए प्रांतीय परिषद बनाने की बात थी। ताकि सत्ता का विकेंद्रीकरण हो सके।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नई दिल्ली में विक्रमसिंघे के साथ बातचीत के दौरान उम्मीद जताई है कि श्रीलंकाई नेता 13वें को लागू करने और प्रांतीय परिषद चुनाव कराने के लिए प्रतिबद्ध होंगे। उन्होंने तमिलों के लिए सम्मान के साथ जीवन सुनिश्चित करने का आग्रह किया। अगर यह संशोधन लागू होता है तो तमिलों को उनके अधिकार मिल जाएंगे।

जानिए क्या हैं पूरा मामला?

Sri Lanka India Relation:  दरअसल मामला यह है कि श्रीलंका में तमिलों को अल्पसंख्यक का दर्जा प्राप्त है। अभी उन्हें बहुत सारे अधिकार प्राप्त नहीं हैं। इसलिए श्रीलंका में लंबे समय से संविधान में संशोधन किए जाने की मांग उठ रही है। ताकि तमिलों को भी उनके अधिकार प्राप्त हो सकें। साथ ही साथ सत्ता में भी उनकी भागीदारी हो सके। अभी तमिलों की सत्ता में कोई सहभागिता नहीं है।

तमिलों और सिंघलियों के बीच भी हमेशा मतभेद बना रहता है। इसलिए राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे ने कहा कि अल्पसंख्यक तमिलों के जातीय मेल-मिलाप के जटिल मुद्दे पर आम सहमति बनाने के लिए सभी राजनीतिक दलों को चर्चा में भाग लेना चाहिए और संविधान के 13वें संशोधन (13ए) का पूर्ण क्रियान्वयन पूरे देश के लिए करना चाहिए।

श्रीलंका के अधिकांश तमिलों की राय 13वां संशोधन पूरी तरह लागू किया जाए। नई दिल्ली आने से पहले विक्रमसिंघे ने विकास और सत्ता हस्तांतरण के प्रस्ताव के साथ तमिल नेताओं से मुलाक़ात की थी। 13वें संशोधन को लागू करने का भी प्रस्ताव दिया था। हालांकि श्रीलंका के सबसे बड़े तमिल सांसदों के समूह तमिल नेशनल अलायंस ने इस प्रस्ताव को सिरे से ख़ारिज कर दिया था। श्रीलंका के अधिकांश तमिलों की राय है कि अगर 13वां संशोधन पूरी तरह लागू कर दिया जाए तो भी तमिलों के आत्मनिर्णय के अधिकार की ऐतिहासिक मांग का कोई अंतिम समाधान नहीं निकलेगा। पिछली सरकारों ने भी इसको लेकर वादे किए, लेकिन बाद में इसे पूरी तरह से लागू करने में विफल रही।

Written By: Vineet Attri

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By Susheel Chaudhary

मेरे शब्द ही मेरा हथियार है, मुझे मेरे वतन से बेहद प्यार है, अपनी ज़िद पर आ जाऊं तो, देश की तरफ बढ़ते नापाक कदम तो क्या, आंधियों का रुख भी मोड़ सकता हूं ।