Uttarkashi Tunnel Rescue: 13 दिन, 41 जिंदगियां और अभी भी हौसला बरकरार, मजदूरों को बचाने के लिए बनाई जा रही सुरंग

Uttarkashi Tunnel Rescue: उत्तराखंड के उत्तरकाशी में 13 दिन से 41 मजदूर जिंदगी और मौत के बीच जूझ रहे हैं, 13 दिन और 13 रातें मजदूरों ने कैसे बिताईं हैं, ये कोई नहीं जानता सिवाय उन मजदूरों को जो कि टनल में फंसे हुए हैं। दरअसल, आपको बता दें कि उत्तरकाशी के टनल में 13 दिन से फंसे 41 मजदूरों को बाहर निकालने का अभियान अभी भी जारी है।

Uttarkashi Tunnel Rescue: तमाम तरह की कोशिशें लगातार की जा रही हैं। केंद्र से लेकर राज्य सरकारें भी फुल एक्शन में नजर आ रही हैं। सीएम पुष्कर सिंह धामी भी मौजूद हैं, लेकिन तमाम कोशिशें और तमाम दुआओं के बाद भी मजदूरों बाहर नहीं निकल पा रहे हैं।

41 मजदूरों को निकालने के लिए युद्धस्तर जारी

Uttarkashi Tunnel Rescue: 41 मजदूरों को बाहर निकालने के लिए युद्धस्तर पर रेस्कयू ऑपरेशन चलाया जा रहा है, 13 दिन बीत चुके हैं, तमाम तरह की मशीनों को लगा दिया गया है, लेकिन फिर भी मजदूरों बाहर नहीं निकल पा रहे हैं।

तमाम कोशिशों के बाद अब मजदूरों को बचाने के लिए 800 एमएम का पाइप डाला जा रहा है, जिससे की मजदूरों को निकाला जा सकता है। इस वीडियो में आप देख भी सकते हैं, कि ये पाइप कितनी चौड़ी है, इसमें वो आसानी से बाहर भी आ सकते हैं। मजदूर पाइप में रेंगकर या लेटकर बाहर निकल सकते हैं।

आपको बता दें कि मलबा हटाने में इस्तेमाल हो रहे ऑगर मशीन के प्लेटफार्म में खराबी की वजह से ड्रिंलिंग में ब्रेक लग गया था, इसे ठीक किया गया। राहत और बचाव के अभियान में सेना और एनडीआरएफ के साथ कई एजेंसियां जुटी हुई हैं। लेकिन इस अभियान की कामयाबी में कई चुनौतियां चट्टान बनकर खड़ी हैं।
सुरंग में 13 दिनों से 41 जिंदगियां फंसी हैं।

उम्मीद और बुलंद हौसले के सहारे वो सभी मुश्किल भरे वक्त का सामना कर रहे हैं। उन्हें उम्मीद ही नहीं पूरा भरोसा है कि देर सवेर उन्हें सुरक्षित बाहर निकाल ही लिया जाएगा। तो वहीं रेस्क्यू ऑपरेशन में उत्तराखंड सरकार और केंद्रीय एजेंसियां कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहीं है।

मजदूरों के रेसक्यू ऑपरेशन में जुटे जवान और आईटीबीपी की टीम

Uttarkashi Tunnel Rescue: इंतज़ार की घड़ियां बेशक लंबी हो रही हैं, लेकिन ऑपरेशन जिंदगी में जुटे देवदूत दिन रात पसीना बहाकर अभियान को कामयाब बनाने में जुटे हैं। राहत और बचाव के इस मुश्किल अभियान में सेना के 100 जवान, आईटीबीपी के 150 जवान दिन रात जुटे हैं। एनडीआरएफ के 50 जवान और एसडीआरएफ के 100 जवानों ने भी दिन रात एक कर रखा है। इसके अलावा NHIDCL की टीम, बॉर्डर रोड ऑर्गनाइजेशन की टीम भी मौके पर मौजूद है। रेस्क्यू ऑपरेशन में RVNL के अलावा ONGC और PWD के टीमें भी कड़ी मशक्कत कर रही हैं।

इस अभियान की निगरानी 20 भारतीय एक्सपर्ट और 10 विदेशी एक्सपर्ट कर रहे हैं। ये अभियान बेशक मुश्किल हो, चुनौतियां बेशक कड़ी हो, लेकिन इन देवदूतों ने कड़ी मेहनत और सूझबूझ से कामयाबी के बेहद करीब पहुंच चुके हैं।

बताया जा रहा है कि सुरंग धंसने से करीब 60 मीटर तक मलबा भर गया है। अंदर फंसे मजदूरों को बचाने के लिए लगभग 57 मीटर ड्रिलिंग की जरूरत है।रेस्क्यू टीम करीब 47 मीटर तक ड्रिलिंग पूरी कर चुकी है। जबकि अभी भी करीब 11 मीटर ड्रिलिंग बाकी है।

बस कुछ मीटर का फासला बचा है, हौसला बरकरार है। यानि बचाव दल अब मजदूरों से कुछ ही मीटर के फासले पर है। लेकिन रास्ते में आ रही कई तरह की चुनौतियां मुश्किलें खड़ी कर रही हैं।ड्रिलिंग के दौरान लैंडस्लाइड रेस्क्यू टीम की मुश्किलें बढ़ा रहा है। इसकी वजह से कई बार ड्रिलिंग रोकनी भी पड़ी था। वहीं सुरंग में भरे हजारों टन पहाड़ी मलबे को हटाकार रास्ता बनाना परेशानी का सबब बना हुआ है। क्योंकि मलबे में सरिया और पत्थर की मौजूदगी ऑगर मशीन का रास्ता रोक रही है।

Written By: Poline Barnard

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By Susheel Chaudhary

मेरे शब्द ही मेरा हथियार है, मुझे मेरे वतन से बेहद प्यार है, अपनी ज़िद पर आ जाऊं तो, देश की तरफ बढ़ते नापाक कदम तो क्या, आंधियों का रुख भी मोड़ सकता हूं ।