Bihar News: पटना हाई कोर्ट ने अपने महत्वपूर्ण फैसले में कहा कि किसी महिला के माथे पर जबरदस्ती सिंदूर लगाना हिंदू कानून के तहत विवाह नहीं है। एक हिंदू विवाह तब तक वैध नहीं है जब तक वह स्वैच्छिक न हो और ‘सप्तपदी’ (दूल्हा और दुल्हन द्वारा पवित्र अग्नि के चारों ओर फेरे लेने) की रस्म के साथ न हो। न्यायाधीश पीबी बजंथ्री ऐवं न्यायाधीश अरुण कुमार झा ने अपीलकर्ता रविकांत की याचिका पर सुनवाई करते हुए उक्त फैसला सुनाया।
Bihar News: खंडपीठ ने पाया कि अपीलकर्ता रविकांत जो उस समय सेना में एक सिग्नलमैन था, उसे बंदूक की नोक पर 10 साल पहले बिहार के लखीसराय जिले में अपहरण कर लिया गया था और प्रतिवादी दुल्हन के माथे पर सिंदूर लगाने के लिए मजबूर किया गया था।
पटना हाईकोर्ट का बड़ा फैसला
Bihar News: उन्होंने शादी को रद्द करने के लिए फैमिली कोर्ट का भी रुख किया, जिसने 27 जनवरी, 2020 को उनकी याचिका खारिज कर दी। उनकी अपील पर सुनवाई करते हुए, हाईकोर्ट की बेंच ने कहा कि फैमिली कोर्ट के निष्कर्ष त्रुटिपूर्ण थे और आश्चर्य व्यक्त किया कि जिस पुजारी ने प्रतिवादी की ओर से सबूत दिया था, न तो उन्हें ‘सप्तपदी’ के बारे में कोई जानकारी थी और न ही उन्हें वह स्थान याद था, जहां विवाह संस्कार किया गया था।
क्या है पूरा मामला?
Bihar News: टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, बिहार के लखीसराय में 10 साल पहले सेना के एक जवान को अगवा कर लिया गया था। इसके बाद उसकी जबरदस्ती शादी करवा दी गई थी जबकि पीड़ित इसके लिए राजी नहीं था। 30 जून 2013 को पीड़ित और उसके अंकल को कुछ लोगों ने अगवा कर लिया था। लखीसराय के एक मंदिर में पूजा अर्चना के दौरान इस घटना को अंजाम दिया था।
बाद में जाकर उसकी शादी करा दी गई। पीड़ित सेना रविकांत के चाचा ने पुलिस में इसकी शिकायत दर्ज कराने की कोशिश मगर पुलिस वालों ने शिकायत दर्ज नहीं की। इसके बाद पीड़ित ने लखीसराय की सीजेएम कोर्ट में इसकी शिकायत की। फैमिली कोर्ट में भी उन्होंने अर्जी लगाई लेकिन 27 जनवरी 2020 को अपील खारिज हो गई। लोअर कोर्ट से राहत नहीं मिलने के बाद उन्होंने पटना हाईकोर्ट का रुख किया।
खंडपीठ ने कहा कि प्रतिवादी दुल्हन यह साबित करने में विफल रही कि सप्तपदी का मौलिक अनुष्ठान “कभी पूरा हुआ था और इस तरह, कथित विवाह कानून की नजर में अमान्य है”। कोर्ट ने “जबरन” विवाह को यह देखते हुए रद्द कर दिया कि हिंदू विवाह अधिनियम के प्रविधानों के अवलोकन से, यह स्पष्ट है कि विवाह तब पूर्ण और बाध्यकारी हो जाता है जब पवित्र अग्नि के चारों ओर दूल्हा और दुल्हन फेरा लेते हैं। इसके विपरीत, यदि ”सप्तपदी” नहीं है तो शादी पूरी नहीं मानी जाएगी।
Written By: Vineet Attri
ये भी पढ़ें..