America: इजरायल, जॉर्डन और सऊदी अरब के लड़ाकू विमानों ने अमेरिकी बॉम्बर के साथ युद्धाभ्यास किया है। इस उड़ान का मकसद ईरान को अमेरिका के सहयोगी देशों की ताकत दिखाना था। अमेरिकी सेना के अधिकारियों ने कहा कि इस संयुक्त उड़ान में मध्य पूर्व के 5 देशों के लड़ाकू विमान शामिल हुए। उन्होंने अमेरिकी बी-1बी बॉम्बर्स के साथ उड़ान भरी। ये बॉम्बर्स ब्रिटेन से उड़ान भरकर फारस की खाड़ी को पार कर स्पेन की ओर निकल गए।
इस दौरान अमेरिकी बी-1बी बॉम्बर्स ने सऊदी अरब और जॉर्डन में ट्रेनिंग रेंज में बमबारी कर अपनी ताकत भी दिखाई। बताया गया कि इस दौरान अमेरिकी बॉम्बर्स ने मिशन के दौरान एयर-लॉन्च AGM-158A JASSM क्रूज मिसाइल और 550-पाउंड GBU-38 बम कई सिम्युलेटेड टारगेट पर गिराए।
अमेरिकी सैन्य अधिकारियों का कहना है कि इस संयुक्त उड़ान में मिडिल ईस्ट के 5 देशों के फाइटर जेट शामिल हुए। उन्होंने अमेरिकी बी-1बी बॉम्बर्स के साथ उड़ान भरी। इस अभ्यास में हिस्सा लेने वाले दो देशों ने अपना नाम जाहिर नहीं करने का अनुरोध किया है। इसके एक दिन पहले ही अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने सऊदी अरब में खाड़ी सहयोग परिषद के देशों के विदेश मंत्रियों के साथ मुलाकात की थी।
इस मुलाकात का मकसद ईरान पर दबाव बनाना था, ताकि वह अमेरिकी हितों के खिलाफ कोई कार्रवाई न कर सके।मध्य पूर्व में अमेरिकी वायु सेना के डिप्टी कमांडर मेजर जनरल मार्क स्लोकुम ने बताया कि उड़ान के दौरान नकली लक्ष्यों पर जिंदा बमों को गिराना नया कदम है। ये मिशन वैश्विक सुरक्षा के प्रति हमारी प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करता है और हमारे बलों की विश्वसनीयता को दिखाता है। इसका समय यह प्रदर्शित करने के लिए है कि हम एक टीम के रूप में एक पल की सूचना पर अत्यधिक युद्ध शक्ति प्रदान कर सकते हैं।
ईरान और सऊदी अरब के बीच नई नई दोस्ती हुई है। चीन ने यह दोस्ती कराई है। लेकिन जहां एक ओर दोनों देशों की दोस्ती हुई है, वहीं दूसरी ओर अमेरिका के साथ सैन्याभ्यास में सऊदी अरब भी साथ है। अमेरिका ने ईरान के नजदीक परमाणु बॉम्बर्स उड़ाकर अपने इरादे व्यक्त किए। ऐसे में सऊदी अरब और ईरान की दोस्ती पर सवाल भी उठते हैं। साथ ही यह भी दिखाई देता है कि सऊदी अरब और ईरान की दोस्ती कितने समय तक और कितनी मजबूत रह पाएगी।
Written By: Poline Barnard
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