America: पूर्व विदेश मंत्री हेनरी अल्फ्रेड किसिंजर का 100 वर्ष की उम्र में निधन, US-चीन से ऐसे कराई थी दोस्ती

America: हेनरी किसिंजर की पहचान एक स्कॉलर, स्टेट्समैन और दिग्गज डिप्लोमैट की रही है। अमेरिका की विदेश नीति में हेनरी किसिंजर की अमिट छाप मानी जाती है।अमेरिकी राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन और जेरल्ड फोर्ड की सरकार में हेनरी किसिंजर के पास ही विदेश नीति की कमान थी। राजनीति से रिटायर होने के बाद भी किसिंजर अपनी लेखनी से वैश्विक राजनीति को प्रभावित करते रहे।

हेनरी अल्फ्रेड किसिंजर के बारे में

America: हेनरी अल्फ्रेड किसिंजर का जन्म 27 मई, 1923 को जर्मनी के फर्थ में हुआ था। यहूदियों के खिलाफ नाजी अभियान से पहले 1938 में परिवार के साथ अमेरिका आ गए थे। 1943 में वह अमेरिकी नागरिक बन गए और द्वितीय विश्व युद्ध में यूरोप में सेना में काम किया। उन्होंने हार्वर्ड विश्वविद्यालय से 1952 में मास्टर की डिग्री और 1954 में डॉक्टरेट की उपाधि अर्जित की।

इसके बाद 17 साल तक हार्वर्ड की फैक्लटी रहे। 1970 के दशक में राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन के साथ राज्य सचिव के रूप में काम करते हुए किसिंजर का कई बड़ी बदलाव वाली वैश्विक घटनाओं में उनका हाथ था।उनकी कोशिशों से ही चीन के साथ अमेरिका की कूटनीतिक बातचीत की शुरुआत हुई। ऐतिहासिक अमेरिकी-सोवियत हथियार नियंत्रण वार्ता, इजरायल और उसके अरब पड़ोसियों के बीच संबंधों और उत्तरी वियतनाम के साथ पेरिस शांति समझौते में भी वह शामिल थे।

विवादों से रहा गहरा नाता

America: हेनरी किसिंजर का विवादों से भी नाता रहा है। बांग्लादेश के बंटबारे के वक्त उन्होंने बांग्लादेशी लोगों के नरसंहार में पाकिस्तान का साथ दिया था। बांग्लादेश की आजादी से एक महीने पहले भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी निक्सन और किसिंजर से मिलने पहुंची थीं। बैठक के बाद निक्सन और किसिंजर के बीच बातचीत के दौरान, दोनों व्यक्तियों ने इंदिरा को अपशब्द कहा था।

दोनों के बीच का ये संवाद टेप पर रिकॉर्ड हो रहा था, जिसे 2020 में सार्वजनिक कर दिया गया था। उनको 1973 का नोबेल शांति पुरस्कार दिया गया था। यह पुरस्कार उत्तरी वियतनाम के ले डक थो के साथ उनको संयुक्त रूप से दिया गया था जिन्होंने इसे अस्वीकार कर दिया था।

वहीं 1971 में भारत पाकिस्तान युद्ध के दौरान उनकी भूमिका काफी विवादास्पद रही थी। इसी युद्ध के कारण दुनिया के नक्शे पर एक स्वतंत्र देश बांग्लादेश का उदय हुआ था।

नोबेल शांति पुरस्कार भी मिला

America: उनको 1973 का नोबेल शांति पुरस्कार दिया गया था। यह पुरस्कार उत्तरी वियतनाम के ले डक थो के साथ उनको संयुक्त रूप से दिया गया था, जिन्होंने इसे अस्वीकार कर दिया था। इसे अब तक के सबसे विवादास्पद नोबेल शांति पुरस्कारों में से एक माना जाता था। नोबेल समिति के दो सदस्यों ने इस चयन पर इस्तीफा दे दिया था और कंबोडिया पर अमेरिकी गुप्त बमबारी के बारे में सवाल उठाए गए थे।

हेनरी किसिंजर ने कराई थी US-चीन की दोस्ती

America: साल 1971 में राष्ट्रपति निक्सन के कार्यकाल में राष्ट्रीय सुरक्षा, सलाहकार के तौर पर किसिंजर ने बीजिंग का गुप्त दौरा किया था। इस दौरे के गुप्त होने की वजह से वह पहले पाकिस्तान गए, उसके बाद वहां से उन्होंने बीजिंग की फ्लाइट ली। इस दौरान उन्होंने चीन के शीर्ष नेताओं से कई दिन तक बातचीत की थी।

चीन के साथ अमेरिका की कूटनीतिक बातचीत में उनकी अहम भूमिका रही। उनकी विदेश नीति की वजह से ही अमेरिकी-सोवियत हथियार नियंत्रण वार्ता हुई, इज़रायल और उसके अरब पड़ोसियों के बीच संबंधों का विस्तार हुआ और उत्तरी वियतनाम के साथ पेरिस शांति समझौते हुए।

Written By: Swati Singh

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By Susheel Chaudhary

मेरे शब्द ही मेरा हथियार है, मुझे मेरे वतन से बेहद प्यार है, अपनी ज़िद पर आ जाऊं तो, देश की तरफ बढ़ते नापाक कदम तो क्या, आंधियों का रुख भी मोड़ सकता हूं ।