United Nation: संयुक्त राष्ट्र में ग्लोबल साउथ की आवाज बनकर गरजा भारत पढ़िए पूरी रिपोर्ट

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United Nation: वैश्विक भू-राजनीति की यथास्थिति प्रकृति कोविड-19 के प्रकोप और उसके बाद यूक्रेन युद्ध के बाद बाधित हो गई, जो अब अपने दूसरे वर्ष में है। इन संकटों ने न तो केवल वैश्विक भू-राजनीति को हिलाकर रख दिया, बल्कि वैश्विक भू-राजनीति की प्रकृति के लिए नई चुनौतियों का मार्ग भी प्रशस्त किया। इनमें खाद्य और ऊर्जा की आपूर्ति प्रतिभूतिकरण, प्रौद्योगिकी हस्तांतरण, ऊर्जा परिवर्तन और जलवायु परिवर्तन के मुद्दे और वैश्विक समुदाय पर उनके प्रभाव शामिल हैं। भारत की इस गर्जना से ग्लोबल साउथ के सभी देश भी खुश हैं।

इनमें से कुछ महत्वपूर्ण मुद्दों के साथ, वैश्विक भू-राजनीति में अन्य महत्वपूर्ण चुनौती वैश्विक शासन संस्थानों की “वास्तविक बहुपक्षवाद” की आवश्यकता के रूप में है, जो सभी देशों को एक समान आवाज प्रदान करेगी। इसलिए, वैश्विक भू-राजनीति में ग्लोबल साउथ के लिए एक नए आख्यान की आवश्यकता है। ग्लोबल साउथ का सबसे दिलचस्प पहलू यह है कि यह अब गुटनिरपेक्षता के वैचारिक ढांचे में काम नहीं कर रहा है। जहां शीत युद्ध की राजनीति के दायरे में तटस्थता पर जोर दिया गया था। बल्कि, यह एक एकजुट गुट के रूप में उभर रहा है

इसी तरह G-20 जैसे बहुपक्षीय गुटों में ग्लोबल साउथ देशों की सदस्यता वैश्विक भू-राजनीति को नए प्रवचन दे रही है। हालाँकि यहाँ यह रेखांकित करने की आवश्यकता है कि ग्लोबल साउथ की एकजुटता को चीन द्वारा बाधित किया जा रहा है जो अपने भूराजनीतिक एजेंडे को बढ़ावा देने की कोशिश कर रहा है।

ग्लोबल साउथ के प्रति भारत का दृष्टिकोण

United Nation: गुटनिरपेक्ष आंदोलन के नेता के रूप में भारत का समृद्ध इतिहास और वैश्विक राजनीति में इसका आर्थिक और भू-राजनीतिक दबदबा नई दिल्ली को वैश्विक भू-राजनीति में एक बड़ी भूमिका निभाने के लिए प्रेरित कर रहा है। 2022-23 में जी-20 की अध्यक्षता का पद ग्रहण करना इसका प्रमाण है।

साथ ही ग्लोबल साउथ का नेता होने के नाते, भारत ग्लोबल साउथ मूवमेंट को एक आवाज प्रदान करता है। चाहे जलवायु परिवर्तन का सवाल हो या ऊर्जा परिवर्तन का सवाल हो या फिर नियामक मुद्दों पर रुख अपनाना हो या ग्लोबल साउथ के हितों की रक्षा करना हो भारत ने वर्षों से अंतरराष्ट्रीय मंचों पर सक्रिय भूमिका निभाई है।

वैश्विक खाद्य सुरक्षा की स्थिति भयावह

United Nation: कंबोज ने कहां वैश्विक खाद्य असुरक्षा की स्थिति भयावह है और पिछले चार वर्षों में भोजन की भारी कमी का सामना करने वाले लोगों की संख्या बढ़ी है। संयुक्त राष्ट्र के अनुमान के मुताबिक, 62 देशों में 36.2 करोड़ लोगों को मानवीय सहायता की जरूरत है जो एक रिकॉर्ड संख्या है। कंबोज ने कहा जब खाद्यान्न की बात आती है तो समानता, किफायती कीमत और पहुंच के महत्व को पर्याप्त रूप से समझना हम सभी के लिए आवश्यक है। हमने पहले ही देखा है।

Written By: Vineet Attri

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By Susheel Chaudhary

मेरे शब्द ही मेरा हथियार है, मुझे मेरे वतन से बेहद प्यार है, अपनी ज़िद पर आ जाऊं तो, देश की तरफ बढ़ते नापाक कदम तो क्या, आंधियों का रुख भी मोड़ सकता हूं ।