Hindu Marriage: हिंदू विवाह पर इलाहाबाद HC ने दी टिप्पणी, कहा- “एक भी फेरा छूटा तो अवैध मानी जाएगी शादी”

Hindu Marriage: हिंदू धर्म में शादी के दौरान फेरों की रस्म को सबसे अधिक महत्व दिया जाता है। माना जाता है कि जब तक 7 फेरे न हो जाएं, शादी पूरी नहीं होती। अब इस पर इलाहबाद हाई कोर्ट ने भी ठप्पा लगा दिया है। कोर्ट ने एक मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि हिंदू विवाह तब तक वैध नहीं माना जाता, जब तक 7 फेरे न लिए जाएं। सारे रीति-रिवाजों से संपन्न हुए विवाह को कानूनी तौर पर वैध माना जाएगा।

Hindu Marriage: उच्च न्यायालय ने कहा कि यदि विवाह वैध नहीं है तो कानून की नजर में वह विवाह नहीं है। हिंदू कानून में सप्तपदी, एक वैध विवाह का आवश्यक घटक है। परंतु वर्तमान मामले में इस साक्ष्य की कमी है। उच्च न्यायालय ने हिंदू विवाह अधिनियम 1955 की धारा सात को आधार बनाया है, जिसके अनुसार एक हिंदू विवाह पूरे रीति-रिवाज से होना चाहिए, जिसमें सप्तपदी (पवित्र अग्नि को साक्षी मानकर दूल्हा और दुल्हन द्वारा अग्नि के सात फेरे लेना) उस विवाह को पूर्ण बनाती है।

क्या था मामला?

Hindu Marriage: हिंदू विवाह पर यह टिप्पणी न्यायमूर्ति संजय कुमार सिंह ने की। दरअसल, स्मृति सिंह उर्फ मौसमी ने अप्रैल 2022 में कोर्ट में एक याचिका दायर की थी। इसमें बताया कि 2017 मौसमी की शादी सत्यम सिंह से हुई। कुछ समय बाद मौसमी ने अपने पति और ससुराल पक्ष के लोगों पर दहेज और मारपीट करने का मामला दर्ज कराया। मौसमी ने अपने पति सत्यम पर पत्नी को बिना तलाक दिए दूसरी शादी करने का मामला दर्ज कराया। लेकिन जब उससे इस बारे में सबूत मांगे गए तो उसके पास महज एक फोटो था, इसमें भी महिला का चेहरा धुंधला था। सत्यम के पास ऐसा कोई सबूत भी नहीं था, जिसमें मौसमी फेरे लेते हुए दिखाई दे रही हो।

‘सप्तपदी’ के बिना हिंदू शादी अधूरी-HC

Hindu Marriage: स्मृति सिंह की याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति संजय कुमार सिंह ने हालिया आदेश में कहा कि शादी तो जब तक उचित रीति-रिवाज और सातफेरों के साथ नहीं होती तब तक शादी को संपन्न नहीं माना जाता है। शादी तभी संपन्न होती है जब रीति-रिवाजों को उचित तरीके से किया जाता है। अदालत ने कहा कि अगर शादी वैध नहीं है तो कानून के नजर में भी शादी नहीं मानी जाती है। हिंदू कानून के तहत वैध शादी के लिए ‘सप्तपदी’ सेरेमनी का होना जरूरी है। लेकिन मौजूदा केस में इसकी कमी है।

हाई कोर्ट ने पत्नी के पक्ष में दिया फैसला

Hindu Marriage: पुलिस ने इस मामले को झूठा पाया। इसके बाद मौसमी के पति ने वाराणसी के डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में परिवाद दायर किया। जिस पर अदालत ने मौसमी को समन जारी किया। इसी समन के खिलाफ मौसमी हाई कोर्ट पहुंची। मौसमी ने बताया कि उसके पति ने यह मामला बदले की भावना से किया है, उसके पास मेरी शादी के कोई सबूत नहीं हैं। कोर्ट ने दोनों पक्षों की जिरह सुनने के बाद जिला कोर्ट का समन रद्द कर दिया और मौसमी के हक में फैसला सुना दिया।

Written By: Poline Barnard

ये भी पढ़ें..

Jodhpur: पीएम मोदी ने राजस्थान को दी 5 हजार करोड़ की विकास परियोजनाओं की सौगात, गहलोत सरकार पर जमकर साधा निशाना
Madhya Pradesh: महिलाओं को सरकारी नौकरियों में मिलेगा 35 फीसदी आरक्षण, शिवराज सरकार का बड़ा फैसला

By Susheel Chaudhary

मेरे शब्द ही मेरा हथियार है, मुझे मेरे वतन से बेहद प्यार है, अपनी ज़िद पर आ जाऊं तो, देश की तरफ बढ़ते नापाक कदम तो क्या, आंधियों का रुख भी मोड़ सकता हूं ।