Madras: हाईकोर्ट ने छुट्टी के दिन किए गए काम के लिए मजदूरी के लाभ की मांग करते हुए कुडनकुलम न्यूक्लियर पावर एम्प्लॉइज यूनियन की तरफ से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि लोक सेवक स्कूली बच्चों की तरह हैं जो हमेशा छुट्टियों और काम से छूट का स्वागत करते हैं। अदालत घोषित अवकाश (अंबेडकर जयंती) पर काम करने के लिए दोगुने वेतन का दावा करने वाली याचिका पर सुनवाई कर रही थी।
जस्टिस जी आर स्वामीनाथन: काश अंबेडकर ने भी कहा होता ‘‘मेरी मृत्यु पर छुट्टी की घोषणा मत करो”
मदुरै खंडपीठ के जस्टिस जी आर स्वामीनाथन ने कहा कि “हालांकि, डॉ. अंबेडकर ऐसे व्यक्ति थे जो चाहते थे कि लोग उनकी जयंती पर छुट्टी घोषित करने के बजाय कड़ी मेहनत करें और यह भावनाओं और प्रतीकों की एक प्रणाली प्रचलित है।”
जस्टिस जी आर स्वामीनाथन ने आगे कहा कि ‘‘भारत रत्न श्री ए.पी.जे. अब्दुल कलाम की तरह, काश उन्होंने भी कहा होता ‘‘मेरी मृत्यु पर छुट्टी की घोषणा मत करो, इसके बजाय एक अतिरिक्त दिन काम करो, अगर तुम मुझसे प्यार करते हो।’’
Madras:जस्टिस स्वामीनाथन- हम भावनाओं और प्रतीकों को स्वीकार करते हैं, लेकिन दक्षता के बजाय…
हालांकि, जस्टिस जी आर स्वामीनाथन ने कहा कि “हम भावनाओं और प्रतीकों को स्वीकार करते हैं। दक्षता के बजाय शिष्टाचार हमारी पहचान है। जब भी दिवंगत न्यायाधीशों की स्मृति में संदर्भ होते हैं, तो दोपहर 03.15 बजे कोर्ट की घंटी बजेगी। दोपहर 03.45 बजे समारोह का समापन होगा।”
उन्होंने आगे कहा कि “दिवंगत आत्मा के सम्मान के प्रतीक के रूप में माननीय मुख्य न्यायाधीश द्वारा शेष दिन के लिए न्यायालय के कार्य को स्थगित करने की सत्यनिष्ठा से घोषणा की जाती है। जब विदाई समारोह का आयोजन किया जाता है तो भी 90 मिनट के कार्य समय का इसी तरह नुकसान होता है। सरकारी कर्मचारी स्कूली बच्चों की तरह होते हैं। छुट्टियों का अनुदान और काम से छूट का हमेशा स्वागत करते हैं।’’
कोर्ट ने ट्रेड यूनियन की अपील की खारिज
आपको बता दें कि ट्रेड यूनियन के सदस्यों ने 2018 में अंबेडकर जयंती पर काम करने वाले ‘राउंड-द-क्लॉक शिफ्ट वर्कर्स’ के लिए दोगुने वेतन का दावा करते हुए अदालत का दरवाजा खटखटाया था, जो दूसरे शनिवार को पड़ा था। प्रबंधन ने उनके दावे को यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि चूंकि कर्मचारियों को छुट्टी के दिन काम करने का लाभ पहले ही दिया जा चुका है, इसलिए उन्हें दोहरा लाभ नहीं दिया जा सकता है।
सुनवाई के दौरान, ट्रेड यूनियन की तरफ से पेश हुए वकील ने अदालत को बताया गया कि ‘राउंड-द-क्लॉक शिफ्ट वर्कर्स’ दोहरा लाभ नहीं मांग रहे हैं, बल्कि केवल 1958 के अधिनियम की धारा 5(2)(बी) के अनुसार लाभ चाहते हैं। पीठ ने कहा कि जहां तक ‘राउंड-द-क्लॉक शिफ्ट वर्कर्स’ का सवाल है तो दूसरे शनिवार की कोई अवधारणा नहीं है।
जस्टिस ने ये भी कहा कि ‘‘14 अप्रैल 2018 केवल डॉ. अम्बेडकर जयंती को राष्ट्रीय अवकाश घोषित करने के कारण अवकाश बन गया। कोई भी ‘राउंड-द-क्लॉक शिफ्ट वर्कर्स’ जिसने 14 अप्रैल 2018 को काम किया था, वो अधिनियम की धारा 5 2)(बी) में निर्धारित लाभ का हकदार होगा। जहां तक ऐसे श्रमिकों का संबंध है, यह छुट्टी के दिन पड़ने वाली छुट्टी के दिन काम करने का मामला नहीं था।’’
Written By- Vineet Attri.
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