मणिपुर हिंसा को अब करीब 51 दिन हो गए है आपको बता दें कि 3 मई को जातिगत हिंसा हो गई थी और अब भारत के गृहमंत्री अमित शाह ने ऑल पार्टी मीटिंग बुलाई है। जिसकी अध्यक्षता अमित शाह करेंगे। मिटिंग के दौरान मणिपुर हिंसा में तय किया जाएगा कि भारत सरकार कि अब क्या रणनीति रहने वाली है। मणिपुर के शिक्षा मंत्री बसंता सिंह ने बताया कि मीटिंग में राष्ट्रीय पार्टियों के साथ मणिपुर के मुद्दे पर चर्चा होगी।
बता दें कि मणिपुर हिंसा का असर अब बच्चो पर भी पड़ने लगा है । सरकार ने हिंसा को देखते हुए 4 मई से बंद स्कूलों की छुट्टियां 1 जुलाई तक बढ़ा दी गई हैं। इस बीच मणिपुर के 1,500 बच्चों ने मिजोरम के स्कूलों में एडमिशन ले लिया है।
राहुल गांधी: 50 दिनों से मणिपुर जल रहा है पर PM मौन क्यों हैं?
हालांकि, इस बैठक को कांग्रेस ने बहुत लेट और नाकाफी बताया है। कांग्रेस का कहना है कि अगर मणिपुर के लोगों के साथ बातचीत की कोशिश दिल्ली में बैठकर की जाएगी, तो इसमें गंभीरता नहीं दिखेगी। इसके बाद कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी मणिपुर हिंसा को लेकर मोदी सरकार पर हमला बोलते हुए लिखा है कि “50 दिनों से मणिपुर जल रहा है पर PM मौन रहे।”
वहीं, राहुल गांधी ने ट्वीट लिखते हुए कहा कि “बैठक ऐसे समय में हो रही है जब PM मोदी अमेरिका की यात्रा पर हैं, इससे पता चलता है कि यह बैठक पीएम के लिए महत्वपूर्ण नहीं है।”
50 दिनों से जल रहा है मणिपुर, मगर प्रधानमंत्री मौन रहे।
सर्वदलीय बैठक तब बुलाई जब प्रधानमंत्री खुद देश में नहीं हैं!
साफ है, प्रधानमंत्री के लिए ये बैठक महत्वपूर्ण नहीं है।
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) June 22, 2023
मणिपुर के शिक्षा मंत्री बसंता सिंह: पिछले महीने इंफाल में भी बुलाई गई थी ऑल–पार्टी मीटिंग
मणिपुर के शिक्षा मंत्री बसंता सिंह ने कहा कि “जयराम रमेश को पता नहीं है कि पिछले महीने इंफाल में एक ऑल–पार्टी मीटिंग हो चुकी है। इस मीटिंग में पूर्व CM और कई कांग्रेस नेता शामिल हुए थे। अमित शाह के मणिपुर दौरे के समय भी विपक्षी पार्टियों की मीटिंग बुलाई गई थी।”
बता दें कि इससे पहले कांग्रेस के महासचिव जयराम रमेश ने मणिपुर हिंसा को लेकर तंज कसा था कि आपको मणिपुर हिंसा को लेकर ऑल पार्टी मीटिंग करनी चाहिए थी।
मणिपुर हिंसा के मामले पर कई राजनीतिक दल कर रहे है राष्ट्रपति शासन की मांग
मणिपुर में जारी हिंसा के बीच कई पार्टियां राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू करने की मांग कर रही हैं। हालांकि, आपको बता दें कि इस मीटिंग में राष्ट्रपति शासन को लेकर कोई चर्चा नहीं होगी इस बात की पूर्ण संभावना है। गौरतलब है कि असम CM हिमंता बिस्वा सरमा ने 10 जून को मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह से मुलाकात कर राज्य के हालात पर चर्चा की थी।
केसी वेणुगोपाल दावा सोनिया गांधी के संदेश के बाद जागी सरकार
कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने कहा कि सरकार तब जागी है जब सोनिया गांधी ने मणिपुर के लोगों को संबोधित किया। इस गंभीर समस्या पर होनी वाली बैठकों से PM का दूर रहना उनकी कायरता दिखाता है। ऐसे हालात में भी मणिपुर की पक्षपात करने वाली सरकार को न हटाना और राष्ट्रपति शासन लागू न करना एक मजाक जैसा लग रहा है।
सोनिया गांधी:लोगों का पलायन देखकर मुझे गहरा दुख
बता दें कि सोनिया गांधी ने 21 जून को मणिपुर हिंसा को लेकर एक वीडियो संदेश जारी किया था। उस प्रसारित वीडियो में मणिपुर के लोगों को संबोधित करते हुए कहा था कि लोगों को अपने घरों से पलायन करना पड़ा, ये देखकर मुझे गहरा दुख हुआ है।
सोनिया गांधी: मणिपुर के लोगों से शांति बहाली की अपील
दरअसल, सोनिया गांधी ने 21 जून को एक वीडियो संदेश जारी करके लोगों से शांति और सद्भाव बनाए रखने की अपील की। उन्होंने कहा था कि इस हिंसा ने ने हमारे राष्ट्र की अंतरात्मा पर एक गहरा घाव छोड़ है। इस हिंसा ने आपके राज्य (मणिपुर) में लोगों के जीवन को तबाह कर दिया और हजारों लोगों को उजाड़ दिया है। इसके बाद ही केंद्रीय गृह मंत्रालय ने ट्वीट कर ऑल–पार्टी मीटिंग बुलाए जाने के बारे में बताया। पूरी मणिपुर हिंसा में अब तक 100 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। 40 हजार से ज्यादा लोगों को अपने घर छोड़ने पड़े हैं।
क्यों लोग कह रहे हैं, इसे गृह युद्ध?
मणिपुर का मैतेई समुदाय खुद को अनुसूचित जनजाति में शामिल करने की मांग कर रहा है और यही मांग आगे चलकर पूरे विवाद की तात्कालिक वजह बनी है। तीन मई से लेकर छह मई तक प्रदेश में जम कर हिंसा हुई, जिसमें मैतेई लोगों ने कुकी पर और कुकी लोगों ने मैतेई के ठिकानों को निशाना बनाया गया।
मणिपुर हिंसा की क्या रही वजह…
मणिपुर की आबादी करीब 38 लाख है। यहां तीन प्रमुख समुदाय हैं– मैतेई, नगा और कुकी। मैतई ज्यादातर हिंदू हैं। नगा–कुकी ईसाई धर्म को मानते हैं। ST वर्ग में आते हैं। इनकी आबादी करीब 50% है। राज्य के करीब 10% इलाके में फैली इम्फाल घाटी मैतेई समुदाय बहुल ही है। नगा–कुकी की आबादी करीब 34 प्रतिशत है। ये लोग राज्य के करीब 90% इलाके में रहते हैं।
कैसे शुरू हुआ विवाद: मैतेई समुदाय की मांग है कि उन्हें भी जनजाति का दर्जा दिया जाए। समुदाय ने इसके लिए मणिपुर हाई कोर्ट में याचिका लगाई। समुदाय की दलील थी कि 1949 में मणिपुर का भारत में विलय हुआ था। उससे पहले उन्हें जनजाति का ही दर्जा मिला हुआ था। इसके बाद हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से सिफारिश की कि मैतेई को अनुसूचित जनजाति (ST) में शामिल किया जाए।
मैतेई का तर्क क्या है: मैतेई जनजाति वाले मानते हैं कि सालों पहले उनके राजाओं ने म्यांमार से कुकी काे युद्ध लड़ने के लिए बुलाया था। उसके बाद ये स्थायी निवासी हो गए। इन लोगों ने रोजगार के लिए जंगल काटे और अफीम की खेती करने लगे। इससे मणिपुर ड्रग तस्करी का ट्राएंगल बन गया है। यह सब खुलेआम हो रहा है। इन्होंने नागा लोगों से लड़ने के लिए आर्म्स ग्रुप बनाया।
नगा–कुकी विरोध में क्यों हैं: बाकी दोनों जनजाति मैतेई समुदाय को आरक्षण देने के विरोध में हैं। इनका कहना है कि राज्य की 60 में से 40 विधानसभा सीट पहले से मैतेई बहुल इम्फाल घाटी में हैं। ऐसे में ST वर्ग में मैतेई को आरक्षण मिलने से उनके अधिकारों का बंटवारा होगा।
सियासी समीकरण क्या हैं: मणिपुर के 60 विधायकों में से 40 विधायक मैतेई और 20 विधायक नगा–कुकी जनजाति से हैं। अब तक 12 CM में से दो ही जनजाति से रहे हैं।
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