Rahul Gandhi in Manipur: राहुल गांधी दो दिवसीय मणिपुर दौरे पर पीड़ितों से करेंगे मुलाकात, भाजपा ने साधा निशाना

Rahul Gandhi in Manipur

Rahul Gandhi in Manipur: कांग्रेस नेता राहुल गांधी इंफाल पहुंचे। वह राज्य के दो दिवसीय दौरे पर हैं और अपनी यात्रा के दौरान राहत शिविरों का दौरा करेंगे और इंफाल और चुराचांदपुर में नागरिक समाज के प्रतिनिधियों के साथ बातचीत करेंगे। बता दें कि राहुल गांधी 29 और 30 जून को मणिपुर में रहेंगे। वहीं भाजपा के नेता अमित मालवीय ने राहुल गांधी के दौरे पर निशाना साधा।

अमित मालवीय: राहुल गांधी शांति के मसीहा नहीं, सिर्फ राजनीतिक अवसरवादी

Rahul Gandhi in Manipur: उन्होंने कहा कि “राहुल गांधी शांति के मसीहा नहीं हैं, सिर्फ एक राजनीतिक अवसरवादी हैं, जो बर्तन को गर्म रखना चाहते हैं। उनकी मणिपुर यात्रा लोगों की चिंता के कारण नहीं बल्कि उनके अपने स्वार्थी राजनीतिक एजेंडे के कारण है। यही कारण है कि किसी को उन पर या कांग्रेस पर भरोसा नहीं है।”

वहीं भाजपा नेता अमित मालवीय ने राहुल गांधी के मणिपुर दौरे पर सवाल उठाते हुए कहा कि “आप पहले क्यों नहीं गए मणिपुर दौरे पर जब साल 2015-17 के बीच जातीय हिंसा भड़की थी। जो कांग्रेस के सीएम ओकराम इबोबी सिंह सरकार के तीन विधेयकोंमणिपुर पीपुल्स प्रोटेक्शन बिल, 2015, मणिपुर भूमि राजस्व और को पारित करने के फैसले के बाद भड़की थी।”

उन्होंने आगे कहा कि “आपके सीएम के फैसले के कारण ही बहुसंख्यक मैतेई समुदाय द्वारा आदिवासियों की जमीन हड़पने की साजिश गयी थी। उस हिंसा में नौ युवकों की गोली मारकर हत्या कर दी गई और प्रदर्शनकारी समुदायों ने दो वर्षों तक उनका अंतिम संस्कार करने से इनकार कर दिया तब कहां थे आप?”

सांसद संजय राउत: सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल मणिपुर ले जाने की करे कोशिश

Rahul Gandhi in Manipur: उद्धव ठाकरे गुट के सांसद संजय राउत ने कहा कि “राहुल गांधी से हम अपील करेंगे कि आने वाले दिनों में आप सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल मणिपुर ले जाने की कोशिश करे और अगर बीजेपी उसमें नहीं आना चाहती है तो वो उनकी बात है लेकिन और भी पार्टी है जो आपके साथ आएंगी।”

सांसद संजय राउत:मणिपुर जल रहा है और प्रधानमंत्री हवा में कर रहे हैं बात

Rahul Gandhi in Manipur: उन्होंने ये भी कहा कि “मणिपुर जल रहा है और प्रधानमंत्री, गृह मंत्री और रक्षा मंत्री हवा में बाते कर रहे हैं। हमें लगा था कि PM अमेरिका जाने से पहले मणिपुर जाएंगे और वहां की जनता से बातचीत करेंगे और गृह मंत्री ने भी बैठक बुलाई थी लेकिन कोई हल नहीं निकला।

राउत ने कहा कि “हमारी मांग थी कि सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल आप मणिपुर ले जाए और जनता के साथ हम संवाद प्रस्ताव करें। लेकिन प्रधानमंत्री न और कोई इस बारे में बोल रहें। मणिपुर हिंसा में चीन का हाथ है लेकिन सरकार चीन का नाम लेने को तैयार नहीं है अगर इस स्थिति में राहुल गांधी मणिपुर जाते हैं और वहां के लोगों से बातचीत करते हैं और शांति प्रस्तावित होती है तो हम उनके दौरे का स्वागत करते हैं।”

AICC प्रभारी अजय कुमार:राज्य में क़ानून-व्यवस्था धवस्त

Rahul Gandhi in Manipur: नागालैंड के AICC प्रभारी अजय कुमार ने कहा कि “केंद्र सरकार मणिपुर को खबरों से गायब कराने की कोशिश रही है। राहुल गांधी और कांग्रेस देश का ध्यान मणिपुर पर केंद्रित कराने की कोशिश कर रही है। मणिपुर में 200 से अधिक लोगों की हत्या हुईं, 1000 से ऊपर घर जले, 700 से अधिक पूजा घर, गिरजाघर तोड़े गए। राज्य में क़ानून-व्यवस्था धवस्त हो चुकी है। यह डबल इंजन की सरकार ट्रिपल समस्या वाली सरकार बन चुकी है। राहुल गांधी पीड़ित लोगों से मिलेंगे। राहुल गांधी के दौरे से प्रधानमंत्री को सीख लेनी चाहिए, उनको कोई चिंता नहीं है।”

मणिपुर का मैतेई समुदाय खुद को अनुसूचित जनजाति में शामिल करने की मांग कर रहा है और यही मांग आगे चलकर पूरे विवाद की तात्कालिक वजह बनी है। तीन मई से लेकर छह मई तक प्रदेश में जम कर हिंसा हुई, जिसमें मैतेई लोगों ने कुकी पर और कुकी लोगों ने मैतेई के ठिकानों को निशाना बनाया गया।

 मणिपुर हिंसा की क्या रही वजह

मणिपुर की आबादी करीब 38 लाख है। यहां तीन प्रमुख समुदाय हैं– मैतेईनगा और कुकी। मैतई ज्यादातर हिंदू हैं। नगाकुकी ईसाई धर्म को मानते हैं। ST वर्ग में आते हैं। इनकी आबादी करीब 50% है। राज्य के करीब 10% इलाके में फैली इम्फाल घाटी मैतेई समुदाय बहुल ही है। नगाकुकी की आबादी करीब 34 प्रतिशत है। ये लोग राज्य के करीब 90% इलाके में रहते हैं।

कैसे शुरू हुआ विवादमैतेई समुदाय की मांग है कि उन्हें भी जनजाति का दर्जा दिया जाए। समुदाय ने इसके लिए मणिपुर हाई कोर्ट में याचिका लगाई। समुदाय की दलील थी कि 1949 में मणिपुर का भारत में विलय हुआ था। उससे पहले उन्हें जनजाति का ही दर्जा मिला हुआ था। इसके बाद हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से सिफारिश की कि मैतेई को अनुसूचित जनजाति (ST) में शामिल किया जाए।

मैतेई का तर्क क्या हैमैतेई जनजाति वाले मानते हैं कि सालों पहले उनके राजाओं ने म्यांमार से कुकी काे युद्ध लड़ने के लिए बुलाया था। उसके बाद ये स्थायी निवासी हो गए। इन लोगों ने रोजगार के लिए जंगल काटे और अफीम की खेती करने लगे। इससे मणिपुर ड्रग तस्करी का ट्राएंगल बन गया है। यह सब खुलेआम हो रहा है। इन्होंने नागा लोगों से लड़ने के लिए आर्म्स ग्रुप बनाया।

नगाकुकी विरोध में क्यों हैंबाकी दोनों जनजाति मैतेई समुदाय को आरक्षण देने के विरोध में हैं। इनका कहना है कि राज्य की 60 में से 40 विधानसभा सीट पहले से मैतेई बहुल इम्फाल घाटी में हैं। ऐसे में ST वर्ग में मैतेई को आरक्षण मिलने से उनके अधिकारों का बंटवारा होगा।

सियासी समीकरण क्या हैंमणिपुर के 60 विधायकों में से 40 विधायक मैतेई और 20 विधायक नगाकुकी जनजाति से हैं। अब तक 12 CM में से दो ही जनजाति से रहे हैं।

Written By- Vineet Attri

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By Atul Sharma

बेबाक लिखती है मेरी कलम, देशद्रोहियों की लेती है अच्छे से खबर, मेरी कलम ही मेरी पहचान है।