Chandrayaan-3 Mission: आज ‘दो टुकड़ों’ में बंट जाएगा चंद्रयान-3, प्रोपल्‍शन मॉड्यूल को विक्रम लैंडर से अलग करेगा ISRO

Chandrayaan-3 Mission

Chandrayaan-3 Mission: मिशन चंद्रयान-3के लिए आज का दिन काफी अहम है।लैंडिंग का समय जितना नजदीक आ रहा है, उतनी ही बेसब्री बढ़ती जा रही है। चंद्रयान 3 के लॉन्च के 34 दिन बाद आज लैंडिंग मॉड्यूल विक्रम मॉड्यूल अलग होंगे। इससे पहले बुधवार को चंद्रयान चंद्रमा की कक्षा में काफी करीब पहुंच गया था।चंद्रयान चांद की कक्षा 153 किलोमीटर x 163 किलोमीटर में पहुंच गया है। इसरो की ओर से कहा गया है यह तय कार्यक्रम के अनुसार ही पहुंचा है। चंद्रयान से लैंडिंग मॉड्यूल अलग होने के बाद इस मिशन का अहम चरण पूरा हो जाएगा।

चंद्रयान 153 किमी x 163 किमी की कक्षा में

Chandrayaan-3 Mission: इसरो ने बुधवार को घोषणा की कि चंद्रयान 3 फिलहाल गोलाकार कक्षा में है। इसे 153 किमी x 163 किमी की कक्षा में प्रक्षेपित किया गया। इसके साथ ही चंद्रमा की कक्षा में होने वाली सभी प्रक्रियाएं पूरी हो गईं और अब चंद्रयान बेहद खास चरण में पहुंच गया है। प्रोपल्शन मॉड्यूल और लैंडर अब अलग-अलग यात्रा के लिए तैयार हैं। आज चंद्रयान-3 प्रोपल्शन मॉड्यूल को लैंडर और रोवर से अलग किया जाएगा।

18 और 20 अगस्त डी-ऑर्बिट

Chandrayaan-3 Mission: प्रोपल्शन मॉड्यूल से अलग होने के बाद विक्रम लैंडर को 18-20 अगस्त को डीऑर्बिट किया जाएगा। दूसरे शब्दों में कहा जाए तो यह धीमा होने के लिए चंद्रयान 3 की विपरीत दिशा में घूमता है। 18 अगस्त की रात को, इंजन की एक मिनट की सक्रियता जांच को सही दिशा में ले जाती है। 30 अगस्त को भी यही प्रक्रिया अपनाई जाएगी। इसके बाद चंद्रयान-3 गोलाकार कक्षा में प्रवेश करेगा और 23 अगस्त को चंद्रयान चंद्रमा पर उतरेगा।

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Chandrayaan-3 Mission:आज ISRO दोपहर में करीब 1 बजे प्रोपल्शन और लैंडर मॉड्यूल को अलग करने का ऑपरेशन पूरा करेगा। लेकिन इसके बाद विक्रम लैंडर  गोलाकार ऑर्बिट में नहीं घूमेगा।  वह फिर से अंडाकार ऑर्बिट में ही घूमेगा। इसके बाद 18 और 20 अगस्त को होने वाले डीऑर्बिटिंग के जरिए विक्रम लैंडर को 30 किलोमीटर वाले पेरील्यून और 100 किलोमीटर वाले एपोल्यून ऑर्बिट में डाला जाएगा। नजदीकी तारे का मतलब है कि वह चंद्रमा की सतह के करीब है। अपोलो का अर्थ है चंद्रमा की सतह से परे। यह योजना के अनुसार है। हालाँकि, ईंधन, चंद्र वातावरण, गति आदि के कारण रास्ते में थोड़ा अंतर हो सकता है। सामान्य तौर पर मिशन अलग नहीं है। हालाँकि, एक बार 30 किमी से 100 किमी की दूरी तय की जाती है। फिर शुरू होता है इसरो के लिए सबसे मुश्किल दौर इसका मतलब है सॉफ्ट लैंडिंग।

Chandrayaan-3 Mission: 30 किलोमीटर की दूरी तक पहुंचने के बाद विक्रम लैंडर की गति धीमी हो गई। चंद्रयान 3 चंद्रमा पर धीरे से उतरेगा।  यह सबसे जटिल और कठिन चरण होगा।  जब तक इसरो अपनी भविष्य की योजनाओं पर कोई बयान नहीं देता,तब तक आज के मॉड्यूल सेपरेशन पर ध्यान देते हैं।

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Written By: Poline Barnard

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By Atul Sharma

बेबाक लिखती है मेरी कलम, देशद्रोहियों की लेती है अच्छे से खबर, मेरी कलम ही मेरी पहचान है।