Maharshtra: राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी की छत्रपति शिवाजी महाराज को लेकर विवादास्पद टिप्पणी के बाद महाराष्ट्र राजनीति में घमासान शुरू हो गया है। शिवसेना सांसद ने राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी पर जोरदार हमाला करते हुए कहा कि राज्यपाल BJP प्रचारक हैं वहीं केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा की ”शिवाजी महाराज हमारे भगवान हैं, हम अपने माता-पिता से ज्यादा उन्हें आदर देते हैं।”
Maharshtra:शिवसेना सांसद संजय राउत: राज्यपाल हैं BJP प्रचारक
वहीं सोमवार 21 नवंबर को केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने को कहा था कि ”शिवाजी महाराज हमारे भगवान हैं, हम अपने माता-पिता से ज्यादा उन्हें आदर देते हैं।”
गौरतलब है कि कोश्यारी ने दो दिन पहले एक कार्यक्रम में नितिन गडकरी और एनसीपी नेता शरद पवार को डॉक्टरेट की मानद उपाधि प्रदान करते हुए शिवाजी महाराज को लेकर टिप्पणी कर दी थी।
Maharshtra: उन्होंने कहा था कि ”हम जब पढ़ते थे मिडिल में, हाईस्कूल में तो हमारे टीचर हमको वो देते थे.. हू इज अवर फेवरिट हीरो.. ऐसा, आपका फेवरिट लीडर कौन है.. तो हम लोग उस समय.. जिसको सुभाष चंद्र बोस अच्छे लगे उनको, जिनको नेहरू जी अच्छे लगे, जिनको गांधी जी अच्छे लगते थे.. तो मुझे ऐसा लगता है अगर कोई आपसे कहे कि हू इज योर आइकन, हू इज योर फेवरिट हीरो, बाहर जाने की कोई जरूरत नहीं है, यहीं महाराष्ट्र में आपको मिल जाएंगे.. शिवाजी तो पुराने युग की बात हैं, मैं नए युग की बात बोल रहा हूं, कहीं मिल जाएंगे. डॉक्टर अंबेडकर से लेकर के डॉक्टर गडकरी तक.. नितिन गडकरी साब तो यहीं मिल जाएंगे”…
हालांकि, एकनाथ शिंदे की पार्टी के नेता संजय गायकवाड़ ने भी बीते सोमवार को राज्यपाल कोश्यारी के विवादित बयान को लेकर कहा कि उनको तत्काल प्रभाव से राज्यपाल के पद से हटा देना चाहिए। उन्होंने आगे ये भी कहा कि वह केंद्र से अनुरोध करते हैं कि जिस आदमी को महाराष्ट्र के इतिहास का ज्ञान नहीं है और राज्य कैसे काम करता है, उसे कहीं और भेज देना चाहिए….
सुधांशु त्रिवेदी भी कर चुके है छत्रपति शिवाजी पर टिप्पणी उस वक्त भी हुआ था हंगामा
Maharshtra: शिवसेना ने मुखपत्र सामना के माध्यम से महाराष्ट्र सीएम एकनाथ शिंदे और देवेंद्र फडणवीस की चुप्पी पर निशाना साधा। इससे पहले भी बीजेपी प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने सावरकर टिप्पणी विवाद में शिवाजी को लेकर दिए अपने एक बयान पर विरोधियों के निशाने पर आ गए थे।
त्रिवेदी ब्रिटिश हुकूमत के दौरान माफीनामा कल्चर की बात समझा रहे थे और तभी उन्होंने कहा कि “छत्रपति शिवाजी ने औरंगजेब को पांच बार पत्र लिखा था।” इसके बाद महाराष्ट्र की सियासत में बवाल छा गया था।
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