Yogi Govt 2.0: योगी आदित्यनाथ ने 27 नवंबर, 2020 को धर्मांतरण को लेकर कानून बनया था। जिसके बाद से ही, योगी का हंटर अवैध धर्मांतरण करने वालों पर लगातार चल रहा है। यूपी में अब तक धर्मांतरण कानून के तहत 291 मामले दर्ज हुए हैं। पुलिस ने इन मामलों में अबतक 507 लोगों को गिरफ्तार किया है।
आपको बता दें कि सीएम योगी की सरकार ने साल 2020 में उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध कानून लागू किया था। इसका मकसद अवैध धर्मांतरण को रोकना था।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गैर कानूनी और दबाव डालकर कराए गए धर्मांतरण को लेकर पहले से ही काफी सख्त है और ये ही कारण है कि देश में सबसे पहले यूपी में ही धर्मांतरण कानून लागू किया था।
आपको बता दें कि इस कानून के तहत सबसे अधिक धर्मांतरण के मामले अब तक बरेली जिले में दर्ज हैं और बरेली में ही पहला मामला बरेली में दर्ज किया गया था। पहली बार इस कानून के तहत अमरोहा में दर्ज हुए एक मामले में आरोपी को दोषी करार देते हुए सजा भी सुनाई गई थी।
अब तक अदालत के सामने 150 मामलों में पीड़ितों ने यह बताया कि उनका धर्मांतरण जबरदस्ती करवाया गया और इसके अलावा प्रदेश में नाबालिगों के धर्मांतरण को लेकर भी अब तक 59 मामले दर्ज किए गए हैं।
धर्मांतरण के दोषी के लिए क्या है सजा?
उत्तर प्रदेश में धर्मांतरण कानून के तहत दोषी पाए जाने वाले व्यक्ति को अपराध की गंभीरता के आधार पर अधिकतम 10 साल तक की जेल हो सकती है। सजा के साथ ही उस पर 15 हजार से 50 हजार रुपये तक का जुर्माना भी लगाया जा सकता है। इतना ही नहीं अंतर-धार्मिक विवाह करने वाले जोड़ों को शादी करने से दो महीने पहले जिला मजिस्ट्रेट को अपनी शादी को लेकर सूचना देनी पड़ती है।
गौरतलब है कि धर्मांतरण कानून के तहत अनुसूचित जाति-अनुसूचित जनजाति समुदाय के नाबालिगों और महिलाओं के धर्मांतरण पर तीन से 10 साल की सजा का प्रावधान है, जबकि जबरन सामूहिक धर्मांतरण के लिए जेल की सजा तीन से 10 साल और जुर्माना 50 हजार रुपये का है।
कानून के मुताबिक ये भी कोड किया है कि अगर विवाह का एकमात्र उद्देश्य महिला का धर्म परिवर्तन कराना था, तो ऐसी शादियों को अवैध करार दिया जाएगा।
एटीएस ने दिव्यांग बच्चों को लालच देकर धर्मांतरण करवाने नाले गिरोह का पर्दाफाश किया था और साथ ही ये भी कहा कि विदेशों से भी इस गिरोह को फंड मिलता रहा था। गिरोह को धर्म परिवर्तन करवाने के लिए ऐसी संस्था का चुनाव करते थे जिसमें दिव्यांग बच्चों को शिक्षा दी जाती थी। उनकी ये ही कोशिश रहती थी की बच्चों का ब्रैनवास करके उनका धर्मातरण करवाया जा सके। एटीएस नें गिरोंह के 40 लोगों को गिरफ्तार किया हैं।
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