Agra: मां को प्यार देने और अपने पास रखने के लिए पैसे नहीं भाव की जरूरत होती है। जो कि आधुनिकता के इस दौर में मां के प्रति प्रेम बेहद ही कम होता जा रहा है। हां सोशल मीडिया पर मां से जुड़ी तमाम भावनात्मक कहानियां आपको वायरल होती मिल जायेंगी, लेकिन असल जिंदगी बिल्कुल इससे उलट है शायद यही कलयुग की सच्चाई है। आपको मां और बेटों से जुड़ी एक घटना से रूबरू करायेंगे, जो उत्तर प्रदेश के जिला आगरा से जुडी है।
आलीशन कोठियों में मां के लिए नहीं है कोई कोना
Agra: आगरा रहने वाली विद्या देवी रामलाल वृद्धाश्रम में रहती हैं। ऐसा नहीं है, कि उनके परिवार के लोग आर्थिक कमजोर हैं। बल्कि उनके चारों बेटे करोड़पति हैं। विद्या देवी कहती है, कि मेरे करोड़पति बेटों की आलीशान कोठियों में मेरे लिए को जगह नहीं है। मेरे एक बेटे का लोहे का कारखाना, दूसरे का ट्रैक्टर के स्पेयर पार्ट का बिजनेस है। लेकिन 86 साल की उम्र में मुझे बेघर कर दिया।
जिन बेटों को माना राम-लक्ष्मण एक समय के बाद उन्होंने ही घर से निकाला
विद्या देवी आगे बताती हैं, कि 13 साल पहले मेरे पति का निधन हो गया। जब तक पति जिंदा थे, सब ठीक रहा। मेरे पति का लोहे का व्यापार था। बेटे भी व्यापार में हाथ बंटाते थे। मिल जुलकर रहते थे। उस समय तक लगता था, कि भगवान ने मुझे राम-लक्ष्मण, भरत- शत्रुघ्न जैसी संतान दी है।
Agra: सभी को अच्छी शिक्षा दिलवाकर अपने पैरों पर खड़ा कराया। मगर, जैसे ही मेरे पति का निधन हुआ। सब कुछ बदल गया। बडे़ बेटे ने व्यापार अपने हाथ में ले लिया। वो जिस घर में रहती थीं, उसे बडे़ बेटे ने गुपचुप तरीके से बेच दिया। रुपए अपने पास रख लिए। मुझे मारपीट कर घर से निकाल दिया।
बेटों के साथ रहने के लिए मां ने पंचायत का लिया सहारा
विद्या देवी कहती हैं कि एक बार मेरे हाथ की हड्डी टूट गई थी। तब रिश्तेदारों ने बेटों को समझाया। पंचायत हुई, इसके बाद बडे़ और छोटे बेटे ने 15-15 दिन अपने साथ रखने की हामी भरी। मगर, ये व्यवस्था भी लंबी नहीं चली। उस समय उनके पास चार तोले की सोने की चूड़ियां थीं। छोटे बेटे ने चूड़ी मांगी थी, उन्होंने देने से मना कर दिया था। बेटा कहता था कि चूड़ी दे दो, इसे बेचकर इलाज कराऊंगा। अगर मर गई थी अंतिम संस्कार के लिए भी रुपए की जरूरत होगी। जब उन्होंने चूड़ी नहीं दी तो हाथ ठीक होते ही उन्हें निकाल दिया गया। उन्हें दवाई भी नहीं दिलाई जाती थी।
वैश्य समाज का नेता है एक बेटा
Agra: आश्रम के संचालक शिव प्रसाद शर्मा का कहना है, कि कुछ दिन पूर्व वृद्धा की बहन शशि गोयल उन्हें लेकर आई थी। इनका एक बेटा तो वैश्य समाज का नेता भी है। उसके बावजूद भी ये मां हमारे यहां पर रह रही हैं। हमने इनके परिवार वालों से संपर्क भी किया, लेकिन परिवारीजन उलटा वृद्धाश्रम से कहते रहे कि आप हमें बदनाम कर रहे हैं। लेकिन किसी ने भी मां को अपने साथ ले जाने की बात नहीं की। अभी तक किसी बेटे ने मां को ले जाने के लिए संपर्क नहीं किया है।