Court News: भारत में पिछले 22 वर्षों में ट्रायल कोर्ट्स ने 2045 अपराधियों को फांसी की सजा सुनाई है। लेकिन हैरानी वाली बात ये है, कि इन 22 वर्षों में सिर्फ 8 अपराधी ही फांसी के फंदे तक ही पहुंच पाये। इन 2045 में से 91% से ज्यादा लोगों को फांसी से राहत मिल गई। 454 लोग तो रिहा ही हो गए।
फांसी की सजा पाए कई कैदियों की फांसी तो सुप्रीम कोर्ट में सिर्फ इस आधार पर माफ हो गई, कि उनके ट्रायल में हुई देरी बहुत ज्यादा थी और हर दिन मौत का ये इंतजार उनके साथ अमानवीय व्यवहार था। ट्रायल कोर्ट में सजा से लेकर हाईकोर्ट, सुप्रीम कोर्ट या दया याचिका के जरिये रिहाई तक का सफर बहुत लंबा होता है।
Court News: 2045 अपराधियों में से 91% से ज्यादा लोगों को फांसी से राहत मिल गई। 454 लोग तो रिहा ही हो गए। दिल्ली की नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी के प्रोजेक्ट 39ए की रिपोर्ट्स के आंकड़े बताते हैं, कि फांसी सिर्फ एक फैसला नहीं एक लंबी कानूनी प्रक्रिया है जो औसतन 20-22 साल तक खिंच जाती है।
NLU की रिपोर्ट क्या कहती है?
नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी (NLU) की अलग-अलग रिपोर्ट्स बताती हैं, कि पिछले 22 साल में 2045 लोगों को ट्रायल कोर्ट्स ने फांसी की सजा सुनाई। लेकिन इन 2045 लोगों में से 454 को तो कानूनी प्रक्रिया के विभिन्न चरणों में रिहा कर दिया गया। यानी उनके खिलाफ बना मामला ही खारिज हो गया।
1412 लोग ऐसे थे जिनकी सजा हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट में कम कर दी गई। या उनका मामला दोबारा ट्रायल कोर्ट को भेज दिया गया। दिसंबर, 2022 के आंकड़े बताते हैं, कि देश में 539 कैदी ऐसे हैं, जो कानूनी प्रक्रिया के किसी न किसी चरण में अभी फांसी का इंतजार कर रहे हैं।
Court News: इनमें से 455 लोगों का केस हाईकोर्ट में लंबित है। 73 लोगों की सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई बाकी है। 4 लोगों की दया याचिका राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु के पास लंबित है। वहीं 6 लोग ऐसे भी हैं, जो दया याचिका खारिज होने के बाद अब फांसी की तारीख तय होने का इंतजार कर रहे हैं।
वे 8 अपराधी कौन हैं, जो फंदे तक पहुंचे..
बहुचर्चित निर्भया केस 2012 का था। 4 दोषियों मुकेश सिंह, विनय शर्मा, पवन गुप्ता और अक्षय कुमार सिंह को 13 दिसंबर, 2013 को पहली बार फांसी की सजा सुनाई गई। मार्च, 2020 में इन चारों को फांसी दी गई।
सन 1993 के मुंबई धमाकों के दोषी याकूब मेमन को 12 सितंबर, 2006 को पहली बार कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई थी। जुलाई, 2015 में उसे फांसी दी गई।
सन 2001 में हुए संसद हमले के दोषी मोहम्मद अफजल गुरू को 18 सितंबर, 2002 में ट्रायल कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई थी। फरवरी, 2013 में उसे फांसी दी गई।
सन 2008 के मुंबई हमलों के दोषी अजमल कसाब को 6 मई, 2010 को पहली बार फांसी की सजा सुनाई गई थी। नवंबर, 2012 में उसे फांसी दी गई।
सन 1990 में 14 साल की लड़की की हत्या और रेप के दोषी धनंजय चटर्जी को 1991 में पहली बार फांसी की सजा सुनाई गई थी। अगस्त, 2004 में उसे फांसी दी गई।