Shraddha Hatyakand: धार्मिक बंधन की बेडियां भी हिंदू लड़की के नहीं रोक पाई कदम, फैसले पर मां-बाप को अधिकारों और कानून का दिया हवाला

पुलिस हिरासत में दरिंदा आफजाब

Shraddha Hatyakand: हिंदू लड़की श्रध्दा कोई पहली लड़की नहीं है, जो आफताब जैसे लोगों के चंगुल में फसी हो। ऐसा एक दो नहीं बल्कि हजारों ऐसे मामले हैं, जिनमें आये दिन हिंदू लड़कियां ऐसे लोगों का शिकार होती हैं। इस दो दिन के प्यार में अंधी ये लड़कियां बचपन से मिल रहे अपने परिजनों के प्यार चंद मिनटों में भूल जाती हैं।

शायद ही कोई होगा जो दिल्ली के इलाके महरौली में प्रेमी आफताब द्वारा हिंदू लड़की श्रध्दा की हत्या कर किए गये 35 टुकड़ों को जंगल में फेंकने वाली इस घटना से अनभिज्ञ होगा।घटना का खुलासा हो गया। देश दुनिया को पता चल गया पूरा मामला क्या था? लेकिन बात करें उस पढ़ी लिखी शिक्षित लड़की श्रध्दा की जो झूठे प्यार के जाल में ऐसी फंसी, कि उसने अपने मातापिता को ही कानून और अधिकार का पाठ पढ़ा दिया।

शिकायत में श्रद्धा के पिता ने कहा, कि वे हिन्दू हैं और कोली जाति से आते हैं। उन्होंने आफताब के मुस्लिम होने और अंतरधार्मिक विवाह न करने की श्रद्धा को सलाह दी। तब श्रद्धा ने अपने पिता के सलाह को सिरे से खरिज करते हुए खुद के बालिग होने और अपने फैसले लेने में सक्षम होने की बात कही।

Shraddha Hatyakand: श्रद्धा की दिवंगत माँ ने भी अपनी बेटी को समझाने की बहुत कोशिश की। लेकिन वह अपना घर छोड़ कर आफताब के साथ रहने मुंबई चली गई। आपको बता दें, कि श्रद्धा की माँ का निधन 23 जनवरी 2020 को हो गया था। और श्रध्दा के आफताब से संबंध साल 2019 से थे।

मातापिता के लगातार मना करने के बावजूद श्रध्दा साफ बोलती है, किमैं 25 साल की हूँ, मुझे फैसले लेने का पूरा अधिकारी है। धर्म जाति गोत्र सभी को भूलकर आफताब को सबकुछ मानने वाली ये श्रध्दा फिर खुद भी टुकड़ों में जगहजगह फेंकी जाती है। दुख है, कि परिजनों को जिसके लिए छोड़ा उसी ने श्रध्दा के टुकड़ेटुकड़े कर दिए।

Shraddha Hatyakand: बात करें आफताब की तो घटना को अंजाम देना अलग बात है, लेकिन चाकुओं से 35 टुकड़े कर जंगल में फेंकना ये जिहादी मानसिकता कहां से पनपती है? सामान्य व्यक्ति की घटना को सोचकर ही रुह कांपने लगती है। लेकिन इन लोगों का यह एक प्रेम करने का बहाना होता है..

जो हिंदू लड़कियों को जिहादी मानसिकता से मौत घाट उतारा जाता है या फिर प्यार है, तो इस निर्मम तरीखे से हत्या करना कहां तक जायज है। या फिर ये रूप कौन सा है? जो लड़की एक आफताब के लिए अपने परिजनों को छोड़ देती है और फिर वही आफताब साजिश के तहत उसी श्रध्दा को ऐसे मारता है, कि सुनकर हर कोई हैरान है।

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By Susheel Chaudhary

मेरे शब्द ही मेरा हथियार है, मुझे मेरे वतन से बेहद प्यार है, अपनी ज़िद पर आ जाऊं तो, देश की तरफ बढ़ते नापाक कदम तो क्या, आंधियों का रुख भी मोड़ सकता हूं ।