80th Birth Anniversary: 29 दिसंबर 1942 को अमृतसर के एक गरीब परिवार में जन्मे हिंदी सिनेमा के सुपरस्टार राजेश खन्ना की आज 80वीं बर्थ एनिवर्सरी है। 1970 के दशक में राजेश खन्ना के लिए लड़कियों में ऐसी दीवानगी थी, कि लड़कियों के खतों को पढ़ाने के लिए खन्ना को नौकर रखने पड़ते थे, कई खत तो खून से लिखे हुए भी मिलते थे। राजेश खन्ना को प्यार से ‘काका’ बुलाते थे।
पंजाबी भाषा में छोटे को काका कहते हैं। आपको जानकर हैरानी होगी, कि राजेश खन्ना एक्टिंग के ऐसे जादूगर थे कि फिल्मों में रोने वाले सीन के लिए उनको ग्लिसरीन लगाने की जरूरत नहीं पड़ती थी। वो सीन में इतना रम जाते थे, कि आंसू खुद-ब-खुद निकल आते थे। हिंदी सिनेमा जगत में अमिताभ बच्चन की एंट्री के बाद से ही इस जादूगर का स्टारडम हिला गया था और एक दौर वो आया, कि राजेश खन्ना को अकेलापन कचौटने लगा था।
थिएटर में राजेश खन्ना की फैंस ने फाड़ दी थी शर्ट
राजेश खन्ना के दोस्तों की लिस्ट में साउथ एक्टर कमल हासन का नाम भी शामिल है। एक बार राजेश खन्ना के साथ कमल हासन एक अमेरिकन फिल्म देखने गए थे। वहां मौजूद लोगों को इस बात का बिल्कुल भी अंदाजा नहीं था, कि वहां पर राजेश खन्ना भी हैं। सब कुछ ठीक था और फिल्म भी खत्म हो गई, लेकिन राजेश खन्ना फिल्म खत्म होने के बाद उसके टाइटल एंड को देखने लगे।
80th Birth Anniversary: उधर, कमल हासन को इस बात की चिंता सताने लगी कि अगर ये बात वहां मौजूद लोगों को पता चल गई तो थिएटर में भगदड़ मच जाएगी। आखिरकार वही हुआ। लोगों ने राजेश खन्ना को पहचान लिया और उन्हें छूने के लिए वहां मौजूद लोगों में खींचातानी होने लगी। कमल हासन ने उस भीड़ से राजेश खन्ना को बचाकर बाहर निकाला, लेकिन लोगों की खींचातानी में राजेश खन्ना की शर्ट फट गई। हालांकि इसके बावजूद वो मुस्कुरता रहे।
खन्ना के शुरुआती फिल्मी दौर व फैंस की पागलपन भरी दीवानगी
1966 में राजेश खन्ना की पहली फिल्म आखिरी खत रिलीज हुई थी। इस फिल्म को 40वें ऑस्कर अवॉर्ड के बेस्ट फॉरेन लैंग्वेज फिल्म के तहत एंट्री मिली थी, लेकिन फिल्म नॉमिनेशन राउंड से बाहर हो गई थी। हालांकि, राजेश खन्ना की पहली फिल्म फ्लॉप रही। 1967 में उनकी दूसरी फिल्म राज रिलीज हुई, जिसने बॉक्स ऑफिस पर ताबड़तोड़ कमाई की। फिल्म का बजट 65 लाख था जिसने भारतीय बॉक्स ऑफिस पर 1 करोड़ का कलेक्शन किया था।
80th Birth Anniversary: राजेश खन्ना की लोगों के बीच में जबरदस्त दीवानगी थी। जहां वो फिल्मों की शूटिंग करते थे वहां पर फैंस उन्हें देखने के लिए पहुंच जाते थे, जिससे कभी-कभी हादसा भी हो जाता था। किस्सा है, फिल्म कटी पतंग की शूटिंग का, जब राजेश खन्ना शूटिंग के लिए नैनीताल गए थे। शूटिंग लोकेशन नैनी झील के आस-पास का था इसलिए उस झील को 3 दिनों के लिए चारों तरफ से नाव से बांध दिया गया। वजह ये थी कि लोग उन्हें देखने के लिए बड़ी तादाद में वहां जरूर पहुंचेंगे जिस वजह से हादसा होने का भी खतरा था।
मुमताज को उठाने में राजेश खन्ना हो गये थे चोटिल
फिल्म रोटी 1974 में रिलीज हुई थी जिसमें राजेश खन्ना के साथ मुमताज नजर आईं थीं। फिल्म का क्लाईमैक्स सीन था जिसमें राजेश खन्ना को मुमताज को अपने कंधों पर लेकर बर्फ से भरी वादियों में लेकर दौड़ना था। इस सीन का परफेक्ट शॉट देने के लिए राजेश खन्ना ने 8 दिनों तक प्रैक्टिस की थी, जिसके बाद इस सीन को शूट किया गया था। जब इस सीन की शूटिंग पूरी हो गई थी तो उनके बाएं कंधे पर लाल निशान बन गए थे क्योंकि उस समय मुमताज का वजन थोड़ा अधिक था। इस वजह से राजेश खन्ना का कंधा चोटिल हो गया था।
आत्महत्या करने की सोचते थे काका, ऑन स्क्रीन पर मरने वाले सीन से परेशान हो जाती थी मां
राजेश खन्ना और डिंपल कपाड़िया के रिश्ते में शादी के 11 साल बाद ही दरार आनी शुरू हो गई थी। खबरें ये थीं कि राजेश खन्ना नहीं चाहते थे कि डिंपल फिल्मों में काम करें। इसी वजह से दोनों में काफी बहस होती थी। कुछ समय बाद दोनों अलग-अलग रहने लगे थे, लेकिन तलाक कभी नहीं लिया। एक इंटरव्यू में खुद राजेश खन्ना ने बताया था कि डिंपल से अलग रहने के बाद उन्होंने 14 महीनों के लिए खुद के आस-पास एक दीवार बना ली थी।
80th Birth Anniversary: लोगों पर उन्होंने विश्वास करना छोड़ दिया था, नई फिल्में साइन नहीं करते थे। लगातार फिक्र में डूबे रहते थे और आत्महत्या करने के बारे में सोचते थे। आपको बता दें, कि 20 फिल्मों में ऑन स्क्रीन राजेश खन्ना की मौत हुई है। किस्सा ये है कि जब किसी फिल्म में उनकी मौत हो जाती थी तो उनकी मां दुखी हो जाती थीं। वो उनसे कहती थीं, उन डायरेक्टर्स के साथ काम मत करो जो तुम्हें फिल्मों में मार देते हैं।
विभाजन के दौरान खन्ना के परिवार ने चुना था भारत
लाला हीरानंद खन्ना और चंद्ररानी खन्ना के घर पर 29 दिसंबर 1942 काका का जन्म हुआ। उनके एक बड़े भाई भी थे। राजेश खन्ना का पहला नाम जतिन खन्ना था। उनके पिता स्कूल टीचर थे। 1947 में जब देश का बंटवारा हुआ तो उस विभाजन में राजेश खन्ना के परिवार ने भारत को चुना और अमृतसर में बस गए।
80th Birth Anniversary: देश विभाजन में उनके पिता की नौकरी चली गई जिस वजह से उन्हें तंगी का सामना करना पड़ा। हालात इस कदर बदतर थे कि वो परिवार का पालन-पोषण नहीं कर पा रहे थे। इसी वजह से उन्होंने 6 साल के राजेश खन्ना को मुंबई में रहने वाले रिश्तेदार चुन्नी लाल खन्ना और लीलावती को सौंप दिया।
कैंसर की बीमारी को खन्ना ने दुनिया से छुपाये रखा
2011 में राजेश खन्ना को पता चला था कि उन्हें कैंसर है, लेकिन वो ये बात सिर्फ अपने करीबियों तक ही सीमित रखना चाहते थे। उन्होंने परिवार के लोगों से कह दिया था, कि ये बात उनके फैंस तक ना पहुंचे। जून 2012 में उनकी तबीयत खराब होने लगी थी जिस वजह से उन्हें 23 जून को मुंबई के लीलावती अस्पताल में भर्ती कराया गया था। तबीयत में सुधार होने के बाद उन्हें 8 जुलाई को अस्पताल से छुट्टी मिल गई थी।
14 जुलाई को फिर से राजेश खन्ना को लीलावती अस्पताल में भर्ती कराया गया था, लेकिन उन्हें इस बात का अंदेशा हो गया था, कि उनके पास अब ज्यादा दिन नहीं हैं। इसलिए उन्होंने अपने परिवार वालों से कहा था कि वो अपने घर में आखिरी सांस लेना चाहते हैं।
80th Birth Anniversary: 16 जुलाई को उन्हें अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया था जिसके 2 दिन बाद, 18 जुलाई को राजेश खन्ना का निधन उनके बंगले आशीर्वाद में हो गया। राजेश खन्ना के निधन के बाद दुनिया को पता चला था कि वो कैंसर से पीड़ित थे। उनकी अंतिम यात्रा में करीब 10 लाख से ज्यादा लोग शामिल हुए थे।