Karishma Kapoor: 90 के दशक में दिल की सुनकर फिल्मों का करती थी चयन, इस फिल्म ने बदला एक्ट्रेस का करियर

Karishma Kapoor: 90 के दशक की बेहतरीन एक्ट्रेस करिश्मा कपूर आखिरी बार साल 2012 में डेंजरस इश्क में नजर आई थी। लेकिन अब एक्ट्रेस एक बार अपनी अदाओं का जलवा बिखेरने के लिए बिल्कुल तैयार हैं। एक्ट्रेस बहुत जल्द नेटफ्लिक्स की ‘मर्डर मुबारक’ (Murder Mubarak) में अभिनय करने के लिए तैयार हैं। इस बीच करिश्मा कपूर ने अपने लेटेस्ट इंटरव्यू में बताया कि 90 के दशक में फिल्मों में कोई प्लानिंग या कैलकुलेशन नहीं होती थी।

Karishma Kapoor: अपनी फिल्मों में पूरे जुनून के साथ किया काम

अपने लेटेस्ट इंटरव्यू में करिश्मा ने कहा कि उस वक्त हम सिर्फ काम करते थे। कोई हिसाब-किताब नहीं था, ऐसा कुछ नहीं था। हम सहज ट्रेंड से आगे बढ़े और हम सिर्फ एनर्जी और जुनून से आगे बढ़े। हमने वास्तव में वैसे ही काम किया। इसकी कभी गणना नहीं की गई कि ‘ओह, अगर मैं यह गाना करूंगा, अगर मैं यह फिल्म करूंगी, तो यह होगा. हमें बताने और सलाह देने वाला कोई नहीं था, कोई पीआर टीम और स्टाइलिस्ट नहीं था, कुछ भी नहीं था। हम बस सेट पर थे और फिल्में बनाईं।

हीरो नंबर 1 से बदला करिश्मा कपूर का करियर

करिश्मा कपूर ने उसी इंटरव्यू में बताया कि जब हीरो नंबर 1 रिलीज हुई तो उन्हें लगा कि चीजें आखिरकार उनके लिए हो रही हैं। उन्होंने बताया कि उस फिल्म से उनके करियर में बदलाव आना शुरू हुआ, खासकर कमर्शियल फिल्मों के मामले में,उन्होंने कहा कि ईमानदारी से कहूं तो, मुझे लगता है कि जब हीरो नंबर 1 आया, तो मुझे लगता है कि उस फिल्म से उस कमर्शियल क्षेत्र में चीजें बदल गईं। फिर जाहिर तौर पर, यह राजा हिंदुस्तानी या दिल तो पागल है जैसी फिल्मों तक पहुंच गया। हीरो नंबर 1 से मुझे कहीं न कहीं लगता है कि यह सिर्फ एक पर्सनलमेटर है।

करिश्मा कपूर ‘मर्डर मुबारक’ से बॉलीवुड में फिर से वापसी करने जा रही हैं। इस फिल्म का निर्देशन होमी अदजानिया ने किया है। ‘मर्डर मुबारक’ के प्रमोशन के दौरान जब उनसे पूछा गया कि आप इन दिनों बॉलीवुड में क्या बदलाव महसूस करती हैं। इस सवाल के जवाब में करिश्मा कहती हैं, ‘सच कहूं तो अब काफी सारी चीजें बदल गई हैं। हम तब दिल की सुनते थे और जो सही लगता था, वह फिल्म कर लेते थे। किसी चीज के लिए हिसाब-किताब नहीं करते थे।’

पीआर टीम और स्टाइलिश के बिना काम

करिश्मा कपूर अपनी बात जारी रखते हुए कहती हैं, ‘तब हमारे पास कोई पीआर टीम और स्टाइलिश नहीं होता था। सब कुछ हमलोग खुद ही हैंडल करते थे। हम सेट पर जाते थे और शूटिंग शुरू कर देते थे। न तो हमें कोई सलाह देने के लिए होता था न ही कोई ये समझाने के लिए कि यह फिल्म सही नहीं है या फिर इसे करो। बस काम करने के लिए मन में एक जुनून था, इसलिए काम करते चले गए।’

Written By: Swati Singh

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मेरे शब्द ही मेरा हथियार है, मुझे मेरे वतन से बेहद प्यार है, अपनी ज़िद पर आ जाऊं तो, देश की तरफ बढ़ते नापाक कदम तो क्या, आंधियों का रुख भी मोड़ सकता हूं ।