International News: कौन है बूढ़ा, जिद्दी, खतरनाक आदमी जो मोदी सरकार को बदलना चाहत है, पढ़िए पूरी रिपोर्ट

जॉर्ज सोरोस और पीएम मोदी

International News: 92 साल का अमेरिकी अरबपति जो भारत सरकार यानी मोदी सरकार को गिराने की चाहत रखता है। दिए एक बयान के बाद भारत में जॉर्ज सोरोस को हर कोई जानने की इच्छा रखता है। आखिर कौन है वो बूढ़ा, जिद्दी और खतरनाक आदमी जो भारत में सरकार गिराने की चाहत रखता है। इसी अरबपति की पूरी कहानी आप यहां खबर इंडिया की रिपोर्ट में पढ़ सकते हैं।

सोरोस ने पीएम नरेंद्र मोदी पर आपत्तिजनक टिप्पणी की थी और भारत में जल्द ही एक लोकतांत्रिक बदलाव की उम्मीद जताई थी। जिस पर भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने सोरोस को बूढ़ा, जिद्दीऔरखतरनाकबतायाहै।

देश छोड़कर भागने से लेकर अब तक की सोरोस की कहानी

International News: सोरोस को लेकर कुछ मीडिया रिपोर्टस के मुताबिक, 1930 में हंगरी के बुडापेस्ट में एक यहूदी परिवार में पैदा हुआ सोरोस जब 9 साल के था, तभी सेकेंड वर्ल्ड वॉर शुरू हो गया। इस वक्त हंगरी में यहूदियों को खोजखोज कर मारा जा रहा था। सोरोस के परिवार ने इस नरसंहार से बचने के लिए झूठी आईडी बनवा रखी थी। जब 1945 में सेकेंड वर्ल्ड वॉर खत्म हुआ तो हंगरी में कम्युनिस्ट सरकार बनी। यही वो समय था जब सोरोस के परिवार ने देश छोड़ने का फैसला किया।

1947 में सोरोस अपने परिवार के साथ बुडापेस्ट से लंदन आ गए। लंदन पहुंचने के बाद सोरोस के परिवार के सामने सबसे बड़ी चुनौती खाने और रहने की थी। इस वक्त पैसा कमाने के लिए सोरोस ने कुली और वेटर का काम किया। इसी से वो लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में पढ़ाई का खर्च निकालते थे। पढ़ाई पूरी करने के बाद जॉर्ज सोरोस 1956 में लंदन से अमेरिका आ गए।

International News: अमेरिका में सोरोस ने फाइनेंस और इन्वेस्टमेंट सेक्टर में काम करने का फैसला किया। यह फैसला उनके लिए सही साबित हुआ। 1973 मेंसोरोस फंड मैनेजमेंटके नाम से कंपनी बनाई। इसके बाद अमेरिकी शेयर मार्केट में पैसा इन्वेस्ट करना शुरू कर दिया। अगले 6 साल यानी 1979 तक सोरोस इतने सफल बिजनेसमैन बन गए कि वह रंगभेद का सामना कर रहे ब्लैक छात्रों को स्कॉलरशिप देने लगे। इस समय तक वह दुनिया के सबसे बड़े करेंसी ट्रेडर के तौर पर मशहूर हो गए थे।

एक बैंक की तबाही और सोरोस की ताबड़तोड़ कमाई

International News: साल 1992 की बात है। यूरोपीय देशों ने अपनी करेंसी वैल्यू को स्थिर और मजबूत बनाने के लिए एक्सचेंज रेट मैकेनिज्म शुरू किया था। इसके तहत दो या ज्यादा देश अपने पैसों की वैल्यू को फिक्स कर देते हैं। 1989  से पहले जर्मनी तेजी से डेवलप हो रहा था, लेकिन बर्लिन की दीवार गिरने के साथ ही यहां की अर्थव्यवस्था पूरी तरह से तबाह होने लगा। इसी वक्त यूके ने जर्मनी के साथ एक्सचेंज रेट मैकनिज्म के तहत करेंसी की वैल्यू फिक्स कर दी। जिससे जर्मनी की कमजोर हो रही करेंसी को मजबूती मिले।

जर्मनी की करेंसी मजबूत होना तो दूर, यूके के पाउंड की वैल्यू भी गिरने लगी। यूके सरकार ने इससे बचने के लिए इंट्रेस्ट रेट बढ़ाए। इसके बावजूद जर्मन करेंसी की वैल्यू घटती रही। इसी समय जॉर्ज सोरोस ने यूके की करेंसी पर शॉर्ट पोजिशन ले ली। 16 सितंबर 1992 को जर्मनी के सेंट्रल बैंक ने सहयोगी देशों से अपने करेंसी के वैल्यू को नए सिरे से तय करने की मांग की। इसके बाद यूके ने जर्मनी के साथ हुए एक्सचेंज रेट मैकेनिज्म एग्रीमेंट को तोड़ दिया। इससे दोनों देशों की करेंसी धड़ाम हो गई। बैंक ऑफ इंग्लैंड तबाह हो गया और सोरोस ने 1 अरब डॉलर से ज्यादा कमाए।

इसी तरह मलेशिया और थाईलैंड की करेंसी पर शॉर्ट पोजिशन लेकर सोरोस ने खूब पैसा कमाया। 1995 में जॉर्ज सोरोस को लग गया था, कि एशियन कंट्री मलेशिया और थाईलैंड के करेंसी की कीमत जरूरत से ज्यादा है। इसी वजह से उसने इन दोनों देशों की ढेर सारी करेंसी खरीद ली। 1997 में जब एशियाई देशों में मंदी आई तो मलेशिया की करेंसी में 50% और थाइलैंड की करेंसी में 45% तक गिरावट आई। इससे एक बार फिर सोरोस ने खूब पैसा कमाया। इस वक्त जॉर्ज सोरोस की नेटवर्थ 71 हजार करोड़ रुपए से भी ज्यादा है।

इन 4 किस्सों से समझिए सोरोस का अड़ियलपन

  • जॉर्ज सोरोस अमेरिका की डेमोक्रेटिक पार्टी को सबसे ज्यादा चंदा देने वाले लोगों में से एक हैं। 2003 में अपने एक इंटरव्यू में जॉर्ज सोरोस ने अमेरिकी सरकार को गिराने की चुनौती दी थी। उन्होंने कहा था कि जॉर्ज डब्ल्यू बुश की सरकार को गिराना उनके जीवन का सबसे बड़ा उद्देश्य है। सोरोस ने बुश को हराने के लिए करीब 125 करोड़ रुपए खर्च करने की बात स्वीकार की थी। हालांकि जॉर्ज बुश वो चुनाव जीत गए। इसके बाद बराक ओबामा, हिलेरी क्लिंटन और जो बाइडेन को राष्ट्रपति बनाने के लिए जॉर्ज सोरोस ने खूब पैसा खर्च किया।

  • एक बार फॉक्स न्यूज से जॉर्ज सोरोस काफी ज्यादा चिढ़ गए थे। वह खुलकर इस मीडिया कंपनी से टकरा गए। इसके बाद सोरोस ने 1 मिलियन डॉलर फॉक्स न्यूज को बर्बाद करने के लिए खर्च कर दिए। ये पैसा जॉर्ज सोरोस ने मीडिया मैटर्स नाम की एक वेबसाइट को दिया था। 2004 में लॉन्च होने के बाद इस वेबसाइट ने फॉक्स न्यूज के खिलाफ एक के बाद एक कई रिपोर्ट पब्लिश की। इस वेबसाइट ने फॉक्स न्यूज को रिपब्लिकन पार्टी का मुखपत्र बताना शुरू कर दिया।

  • जॉर्ज सोरोस चाहते थे कि यूनाइटेड किंगडम यूरोपीय यूनियन का ही हिस्सा रहे। इसके लिए उनके कहने पर ब्रिटेन में यूरोपियन यूनियन में रहने के लिए कैंपेन चलाया गया। गार्डियन ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया है कि इस कैंपेन पर 4 लाख पाउंड से ज्यादा खर्च हुआ।

  • 2017 में जॉर्ज सोरोस ने अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प कोठगकह दिया था। सोरोस ट्रंप से इतना ज्यादा चिढ़ गए थे कि उन्होंने कहा था कि ट्रंप ट्रेड वॉर शुरू करने की तैयारी कर रहे हैं। उन्होंने कहा था कि इससे फाइनेंशियल मार्केट और ज्यादा खराब परफॉर्म करेंगे। देश की इकोनॉमी पर इसका सीधा असर पड़ेगा।

ये भी पढ़ें..

International: बूढ़े, जिद्दी जॉर्ज सोरोस चाहते हैं, दुनिया उनके हिसाब से चले..हम उन देशों में नहीं: एस जयशंकर

Punjab News: खालिस्तानी समर्थक की अमित शाह को धमकी, जो हश्र इंदिरा गांधी का हुआ वही अमित शाह का भी होगा

By Susheel Chaudhary

मेरे शब्द ही मेरा हथियार है, मुझे मेरे वतन से बेहद प्यार है, अपनी ज़िद पर आ जाऊं तो, देश की तरफ बढ़ते नापाक कदम तो क्या, आंधियों का रुख भी मोड़ सकता हूं ।