Allahabad High Court: कोर्ट ने बताया लिवइन रिलेशन को हराम, कहा- ‘इस्लाम में नहीं इसकी इजाजत’

Allahbad High Court

Allahabad High Court: इलाहाबाद हाईकोर्ट की जस्टिस संगीता चंद्रा और जस्टिस नरेंद्र कुमार जौहरी की डिवीजन बेंच में लिवइन रिलेशन की अपील पुर सुनवाई की, जिसके बाद कोर्ट ने उनकी याचिका को खारिज भी कर दिया।

 किसी भी प्रकार का यौन,वासनापूर्ण,स्नेहपूर्ण कृत्य जैसे चुंबन स्पर्श,घूरना वर्जित

Allahabad High Court: बता दें कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अंतर धार्मिक लिवइन जोड़े की याचिका पर अहम फैसला सुनाया है। हाईकोर्ट की बैच ने कहा कि “इस्लाम में विवाह से पहले किसी भी प्रकार का यौन, वासनापूर्ण, स्नेहपूर्ण कृत्य जैसे चुंबन स्पर्श, घूरना वर्जित है। कोर्ट ने आगे ये भी कहा कि इसे इस्लाम में हराम बताया गया है, इसे व्यभिचार मानते हुए जिना का हिस्सा माना जाता है।”

Allahabad High Court: अविवाहित पुरुष और महिला के लिए 100 कोड़े की सजा

Allahabad High Court: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि  कुरान के अध्याय 24 के मुताबिक व्यभिचार के लिए अविवाहित पुरुष और महिला के लिए 100 कोड़े की सजा है। विवाहित पुरुष और महिला के लिए सुन्नत के अनुसार पत्थर मारकर हत्या करने की सजा है। कोर्ट ने ये कहते हुए याचिका को खारिज कर दिया।”

Allahabad High Court: आपको बता दें कि युवती की मां इस लिवइन रिलेशन से नाखुश है जिसके बाद दोनों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी जिसके बाद 29 वर्ष की हिंदू महिला और 30 वर्षीय मुस्लिम पुरुष ने याचिका दाखिल कर सुरक्षा की मांग की थी, हालांकि दोनों ने निकट भविष्य में शादी की इच्छा व्यक्त नहीं की थी। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा मुस्लिम कानून में विवाहेत्तर यौन संबंध को कोई मान्यता नहीं दी जा सकती। इसलिए इस याचिका को खारिज किया जाता है।

हिंदू लड़की ने लगाया मां पर आरोप

Allahabad High Court: गौरतलब है कि हिंदू लड़की और मुस्लिम लड़के ने कोर्ट दायर याचिका में आरोप लगाया था कि लड़की की मां के कहने पर लखनऊ के थाना हसनगंज की पुलिस उन्हें परेशान कर रही है। याचिका में कहा गया कि दोनों के धर्म अलगअलग होने के कारण लड़की के परिवार वाले उनके रिश्ते को स्वीकार नहीं कर रहे हैं।

Allahabad High Court: हालांकि कोर्ट ने कहना है कि “अगर उन्हें वास्तविक खतरा है तो वह पुलिस के पास एफआईआर दर्ज करा सकते हैं और इसके साथ ही सक्षम न्यायालय के समक्ष 156 (3) सीआरपीसी के तहत आवेदन कर सकते हैं या धारा 200 सीआरपीसी के तहत शिकायत दर्ज कराने के लिए भी स्वतंत्र हैं।”

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By Atul Sharma

बेबाक लिखती है मेरी कलम, देशद्रोहियों की लेती है अच्छे से खबर, मेरी कलम ही मेरी पहचान है।