JDU: दिल्ली में जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने इस्तीफा दे दिया। ललन सिंह जाति से भूमिहार हैं और मुंगेर से सांसद हैं। राष्ट्रीय अध्यक्ष का पद इसलिए जेडीयू में चर्चा में रहा कि जॉर्ज फर्नांडिस से लेकर ललन सिंह तक विवादों में रहे। यह पहली बार नहीं हुआ है, जब किसी राष्ट्रीय अध्यक्ष को इस्तीफा देना पड़ा हो। इसके पहले भी ऐसा हो चुका है। हर बार सब पर नीतीश कुमार ही भारी पड़े। एक तरह से कहा जाए तो “जदयू मतलब नीतीश कुमार, नीतीश कुमार मतलब जेडीयू…”
इस घटना से हुआ साफ पार्टी में नहीं है ऑल इज वैल ?
JDU: लेकिन इस पूरे घटनाक्रम से एक बात साफ होती दिख रही है कि नीतीश की पार्टी में सबकुछ ठीक तो नहीं है। पार्टी में कुछ ऐसा ही असमंजस तब भी दिखा था, जब आरपी सिंह की विदाई हुई थी। ऐसी स्थिति तब भी बनी थी जब शरद यादव का पत्ता काटा गया था। और ऐसी स्थिति तब भी बनी थी जब नीतीश को अपनी शागिर्दगी में राष्ट्रीय राजनीति में प्रवेश कराने वाले जॉर्ज फर्नांडिस को पार्टी ने बेरुखी से किनारे लगा दिया था।
JDU: नीतीश कुमार की पार्टी में ये सब पहली बार नहीं हो रहा है। जिन्होंने पार्टी बनाई और उनको (शरद यादव, जार्ज फर्नाडिस) के नीतीश ने इतना मजबूर कर दिया कि या तो उन्होंने खुद पार्टी छोड़ी या उन्हें किनारे लगा दिया गया।
नीतीश ने जॉर्ज फर्नांडिस को कैसे किया साइड?
JDU: दो चुनाव हारने के बाद 1985 में नीतीश कुमार पहली बार विधायक बने थे। हालात, यहां तक आ गए थे कि नीतीश ने घर पर ये कह दिया था कि ये उनका आखिरी चुनाव हैं। अगर इस बार चुनाव में नहीं जीते, तो राजनीति छोड़ देंगे। उस टाइम नीतीश कुमार ने लोक दल से टिकट लेकर हरनौत सीट से चुनाव जीत कर पहली बार विधानसभा में कदम रखा। उस दौर में नीतीश और लालू की दोस्ती इतनी गहरी थी कि नीतीश ने लालू प्रसाद यादव को विपक्ष का नेता बनाया था। 1994 में उन्होंने आखिरकार जनता दल से अलग होने का मन बना लिया। और तब उन्हें जॉर्ज फर्नांडिस की छत्रछाया मिली।
JDU: फिर साल 1994 में जॉर्ज फर्नांडिस ने 14 सांसदों के साथ मिलकर एक नई पार्टी जनता दल का गठन किया और नीतीश भी इस पार्टी का हिस्सा बने। कुछ ही महीने बाद फिर दोनों ने समता पार्टी बनाई। समता पार्टी ने उस बीजेपी के साथ जाना तय किया और 1998 में नीतीश को अटल बिहारी बाजपेई की सरकार में केंद्रीय मंत्री बनाया गया।
JDU: साल 2003 में नीतीश, जॉर्ज फर्नांडिस और शरद यादव ने मिलकर बनाई थी पार्टी
JDU: दोनों ही पार्टियों का गठबंधन अच्छा चल रहा था। नीतीश कुमार की साख भी दिन प्रतिदिन बिहार में बढ़ने लगी थी। 2003 में नीतीश, जॉर्ज फर्नांडिस और शरद यादव ने मिलकर नई पार्टी बनाई जनता दल (यूनाइटेड) – JDU बनाई । इसी जेडीयू के सर्वेसर्वा आज नीतीश कुमार हैं।
JDU: 2004 में केंद्र की सत्ता से एनडीए की विदाई हुई। जॉर्ज फर्नांडिस जो केंद्र में रक्षा मंत्री की भूमिका में थे, अब महज सांसद बन कर रह गए।2005 में बिहार में विधानसभा चुनाव हुए। उस समय बीजेपी ने अरुण जेटली को बिहार का पार्टी प्रभारी बनाया था। उसी समय अरुण जेटली ने नीतीश को पहली बार सीएम बनाने के लिए पार्टी के साथ सलाह मशविरा किया था। उस लाल कृष्ण आडवाणी से बात करनी बाकी थी।2005 में नीतीश कुमार सीएम बना दिए गए।
एक नेता का सूरज चमक रहा था और दूसरे का हो रहा था अस्त
JDU: साल 2009 आते-आते नीतीश जितना मजबूत हो गए थे, जॉर्ज उतने ही कमज़ोर दोनों नेताओं के बीच इतनी खटास पैदा हो गई थी कि खराब सेहत का हवाला देते हुए नीतीश ने जॉर्ज को 2009 लोकसभा चुनाव में टिकट ही नहीं दिया। जॉर्ज ने मुजफ्फरपुर से निर्दलीय चुनाव लडे़ और हार गए। इस तरह नीतीश ने अपने राजनैतिक गुरू को हमेशा के लिए साइड कर दिया।
Written By- Vineet Attri.
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