Pakistan Economic Crisis: दिल वालों की कही जानें वाली अपनी दिल्ली पाकिस्तान से तीन गुना अमीर

Pakistan Economic Crisis

Pakistan Economic Crisis: पाकिस्तान की शहबाज शरीफ सरकार आजकल कई मौर्चों पर लड़ रही है। चाहे वो आर्थिक बदहाली हो, बढ़ती महंगाई हो या राजनीतिक उथल-पुथल ही क्यों न हों। पाकिस्तान सरकार को समझ ही नहीं आ रहा है कि वो इन विपरीत परिस्थितियों से कैसे पार पाए। पाकिस्तान की आवाम बढ़ती महंगाई से त्रस्त है। पाकिस्तान के लोग आटा, दाल,दूध, दही के लिए भी मोहताज है। इसका अंदाजा आप इस बात से ही लगा सकते है कि  पाकिस्तान की आवाम कितनी मुश्किलों में जी रही है।

आप इसका अंदाजा इसी बात से लगा सकते है कि आटे की सुरक्षा के लिए AK-47 लिए पाकिस्तानी पुलिस के सिपाही उस ट्राली की सुरक्षा में लगे हुए है। फिर भी पाकिस्तानी की आवाम अपनी जान की बाजी लगा कर भी आटे को लूट लेना चाहते है।

Pakistan Economic Crisis: पीएम शहबाज शरीफ को IMF (इंटरनेशनल मोनेटरी फंड) से बहुत उम्मीदें थी कि IMF उसकी डूबती नैया को सहारा देगा। लेकिन IMF ने पाकिस्तान को ठेंगा दिखाते हुए शरीफ सरकार को लोन (बेलआउट फंड) देने से मना कर दिया। स्थानीय मीडिया के मुताबिक, पाकिस्तान और इंटरनेशनल मोनेटरी फंड के बीच बातचीत विफल रही थी।

पाकिस्तान इन दिनों दाने-दाने को मोहताज है, यहाँ तक कि आटे के लिए इतनी मारामारी है, कि लोगों जानें तक जा रही हैं। पाक अपने इतिहास के सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। उसकी इस दुर्दशा के लिए कोई दूसरा जिम्मेदार नहीं है। दशकों से भारत से नफरत की आग में जल रहे इस देश में आज रोटी के लाले पड़ने लगे हैं। यह देश भयंकर आर्थिक संकट की ओर बढ़ रहा है।

Pakistan Economic Crisis: कंगाली की हालत में अपनों ने भी छोड़ दिया साथ

Pakistan Economic Crisis: अब तो कंगाल पाकिस्तान का साथ उन देशों ने भी छोड़ दिया जो कि पाकिस्तान के साथ जीने मरने की कसमें खाते थे। चाहे वो चीन हो तुर्की हो या हो अरब देश उन सब नें भी पाकिस्तान को भीख के रूप में दी जाने वाले आर्थिक सहायता को तो रोक ही दिया है ओर तो ओर अब तो लोन देेने से भी कतराने लगे है।

गौरतलब है कि पाकिस्तान के हुकमरान ये समझते है कि अगर वो कश्मीर-कश्मीर राग अलापेंगे तो उनकी भूखी-प्यासी आवाम अपनी पेट की भूख भुलकर देश भक्ति में लग जाएगी लेकिन, शायद वो ये भूल जाते है कि देश भक्ति के लिए भी पाकिस्तान की मासूम आवाम को जीना बेहद जरूरी है।

Pakistan Economic Crisis: पाकिस्तान की सराकर धर्म और नफरत की राजनीति करके भी आवाम को आपस में उलझाकर अपना उल्लू सीधा करने में लगी रहती है। लेकिन, पाकिस्तान के नेताओं को ये समझना भी जरूरी है कि अब समय आ गया है कि भारत से दोस्ती का हाथ बढ़ाएं और पाकिस्तान से आतंकी गतिविधियों को तत्काल प्रभाव से बंद करना होगा। इससे पाकिस्तान को दौहरे फाएदे होंगे एक तो पाकिस्तान का फौज पर खर्चा कम होगा औऱ ये बचा हुआ पैसा वो आवाम की भूख मिटाने के काम में ला पाएंगे।

अब बात करें पाकिस्तान की अभी कि आर्थिक हालात बहुत पतली है। पाकिस्तान की आवाम बुरे दौर से गुजर रहे है। किसी भी राष्ट्र या राज्य के विकास को मापने के कई पैमाने हैं। इसमें एक पैमाना गाड़ियों की बिक्री भी है। इस आंकड़े से उस राज्य या देश की समृद्धि का भी पता चलता है।

Pakistan Economic Crisis: इस तथ्य पर आज हम दिल्ली और पाकिस्तान की तुलना करते हैं। यहां हम पाकिस्तान की तुलना एक आर्थिक महाशक्ति बन चुके अपने देश से करना मुनासिब नहीं समझते। पाकिस्तान इस तुलना के लायक ही नहीं है। आज तो हम इस देश की तुलना केवल अपनी राजधानी से कर सकते है। अब आपको लग रहा होगा कहीं हम आत्ममुग्ध तो नही हो गए है। लेकिन, ये तुलना जो हम कर रहें है वो विलकुल सहीं और सटीक है।

पाकिस्तान से भारत की तुलना करने वाले ये खबर पढ़ लें

Pakistan Economic Crisis: किसी भी देश की आवाम की अमीरी या लग्जिरीयस लाइफ का अंदाज उसके रहन-सहन के अंदाज के साथ ही उसके बेड़ें में कितनी बड़ी और आलीशान कारें है। इससे पता चलता है कि वो कितना अमीर है। अब बात करते है पाकिस्तान में साल 2022 में जितना कारें बेची गई है उससे ज्यादा कारें तो केवल दिल्ली वालों ने ही खरीद ली है। साल 2022 में दिल्ली वालों ने 6 लाख से ज्यादा कारें खरीदी जो कि साल 2021 की तुलना में 32 फीसदी अधिक है।

वैसे भी 2021 में कोरोना की वजह से ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री थोड़ी प्रभावित हुई थी। लेकिन, दिल्ली वालों का दिल तो देखिए जनाब… उन्होंने तब भी कारें खरीदने में कजूसी नही की… उस वक्त भी देश के ऑटोमोबाइल सेक्टर ने शानदार प्रगति की है। यहां हर सप्ताह एक से बढ़कर एक कारें लॉन्च होती हैं।

Pakistan Economic Crisis: आज दुनिया की करीब-करीब सभी प्रमुख कार कंपनियां भारत में अपनी गाड़ियां बेचती हैं। ऑटोमोबाइल सेक्टर के इस विकास का सीधा संबंध देश की आर्थिक प्रगति से है। देश में इन कारों को खरीदने वाले ग्राहक हैं तभी तो ये कंपनियां कारोबार करती हैं।

दूसरी तरफ हमारा पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान है। आज की तारीख में वहां की बहुसंख्यक जनता रोटी के लिए संघर्ष कर रही है। ऐसे में कार खरीदने की बात तो दूर है। एक रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान में ऑटोमोबाइल सेक्टर की स्थिति बेहद खराब है। बीते साल इस देश में केवल 2.31 लाख गाड़ियों की बिक्री हुई। बीते कुछ सालों में पाकिस्तान का यही हाल रहा है। यानी केवल अपनी दिल्ली में ही पाकिस्तान की तुलना में करीब-करीब तीन गुना अधिक कारें बेची गईं। अगर देश भर के आंकड़ों की बात करें तो पूरे देश में वर्ष 2022 में 2.11 करोड़ से अधिक निजी गाड़ियों की बिक्री हुई। यानी पाकिस्तान की तुलना में करीब-करीब 100 गुना अधिक है।

Written By— Swati Singh…

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By Atul Sharma

बेबाक लिखती है मेरी कलम, देशद्रोहियों की लेती है अच्छे से खबर, मेरी कलम ही मेरी पहचान है।