UP News: गोरखपुर के विनोद ने अफसरों को लिखा पत्र, अंतः करण से आई आवाज मुझे भारत रत्न चाहिए

UP News: ‘भारत रत्न’ देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान है। किसी क्षेत्र में असाधारण सेवा या प्रदर्शन के लिए इससे नवाज़ा जाता है। राजनीति, कला, साहित्‍य, समाजसेवा, विज्ञान, खेल आदि विधा में उत्कृष्ट होने पर भारत रत्न से सम्मानित किया जाता है। 2 जनवरी, 1954 को तत्कालीन राष्ट्रपति डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद द्वारा इस सम्मान को देने की शुरुआत की गई थी। तबसे लेकर अब तक अनेक हस्तियों को उनके विशेष योगदान के लिए भारत रत्न से सम्मानित किया जा चुका है।

UP News: लेकिन क्या किसी को ‘भारत रत्न’ इसलिए मिल सकता है क्योंकि उसे तपस्या के बाद इस बात का भान हुआ हो। या क्या कोई व्यक्ति इसकी डिमांड कर सकता है ? ये प्रश्न थोड़ा अजीबोगरीब लग सकता है लेकिन हाल ही में एक ऐसा पत्र सामने आया है, जिसे पढ़ने के बाद एकबारगी आपकी भी हंसी छूट जाएगी। उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में रहने वाले विनोद कुमार गौड़ ने वहां के आयुक्त को इस विषय पर एक पत्र लिखा है, जिसमें खुद को भारत रत्न देने की मांग की गई है।

क्या लिखा है पत्र में?

UP News: पत्र में विनोद ने लिखा है, “30 नवंबर को संध्या वंदन से पूर्व मैं ध्यान साधना में बैठा था, अचानक अंतःकरण से ‘मुझे भारत रत्न चाहिए, मुझे भारत रत्न चाहिए’ की आवाज तीव्र गति से उत्पन्न होने लगी। अतः निवेदन है कि प्रार्थी को भारत रत्न से सम्मानित करने की कृपा करें।” पत्र को गोरखपुर आयुक्त ने अपर आयुक्त को भेजा, जहां से जिलाधिकारी गोरखपुर से होता हुआ, अपर जिलाधिकारी, तहसीलदार और मुख्य विकास अधिकारी तक पहुंचा।

असली खेल तब शुरू होता है, जहां से उसका पत्र जिला अधिकारी को अग्रसारित हो गया। जिलाधिकारी के कार्यालय से मुख्य विकास अधिकारी को आगे बढ़ा दिया जाता है। पत्र के अग्रसारण की यह प्रक्रिया निचले स्तर से होते हुए लेखपाल तक पहुंचती है और उसे इस पर रिपोर्ट लगानी होती है, लेकिन रिपोर्ट लगाने से पहले ही ये पत्र सोशल मीडिया में वायरल हो गया।

विनोद ने बताया कि स्थानीय पुलिस चौकी से लेकर कैंट थाना में संपर्क किया और अंत में कमिश्नर कार्यालय को पत्र दिया। विनोद का पत्र अपर आयुक्त न्यायिक से होते हुए जिलाधिकारी तक पहुंच गया। फिर यहां से उसका यह मांग पत्र सीडीओ कार्यालय तक पहुंचा। विनोद के आवेदन पत्र पर सभी अधिकारी अपना हस्ताक्षर करते जा रहे थे और उसका पत्र आगे बढ़ता जा रहा था। ऐसे में विनोद को भी लगा कि कहीं ना कहीं उसकी मांग जायज है, नियम के तहत ही वह आगे बढ़ रहा है।

भारत रत्न की मांग पर अंतिम रिपोर्ट

UP News: विनोद भी पहले ई रिक्शा चलाता था जो 21 जुलाई को चोरी हो गया। इसके बाद ही वह पैडलगंज निवासी एक कथावाचक के संपर्क में आया और उसका ड्राइवर बन गया। विनोद सवाल उठाते हुए कहता है कि आखिर उसकी मांग जायज नहीं थी तो अधिकारी, एक दूसरे को उसका पत्र क्यों आगे बढ़ाते चले गए? ऐसा होने पर उसे भी लगा कि सब कुछ सही है। 3 महीने में मांग पत्र अधिकारियों के टेबल से होता हुआ अंतिम रिपोर्ट के लिए लेखपाल तक पहुंचा, तब जाकर यह पूरी कहानी सामने आ रही है।

अधिकारियों ने नहीं दिया जवाब

UP News: फिलहाल विनोद का कहना है कि उसे भारत रत्न पाने की प्रक्रिया से क्या लेना देना। अंतरमन से आवाज आई, जिसे पूरी करने के लिए उसने अपना प्रयास किया। अब चाहे इस पर बवाल मचा हो इससे उसे कुछ लेना देना नहीं। वहीं इस पत्र के कारण अधिकारियों की अब फजीहत हो रही है। अब जिलाधिकारी, मुख्य विकास अधिकारी इस पर अपना जवाब नहीं दे रहे हैं। एनबीटी ने भी कई बार इनसे संपर्क किया, लेकिन अधिकारियों से जवाब नहीं मिला।

Written By: Poline Barnard

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By Susheel Chaudhary

मेरे शब्द ही मेरा हथियार है, मुझे मेरे वतन से बेहद प्यार है, अपनी ज़िद पर आ जाऊं तो, देश की तरफ बढ़ते नापाक कदम तो क्या, आंधियों का रुख भी मोड़ सकता हूं ।