Chhattisgarh News: सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो को देख आपकी आंखों में आंसू आ जायेंगे। एक परिवार की ऐसी बेबस भरी कहानी जिसमें अपने बच्चे की जान बचाने के लिए जमीन बेची, घर बेचा और अब किड़नी बेचने को तैयार पिता। मां की ऐसी करुणा भरी छाती कि बच्चे को दिन रात गले से लगाकर रखती है। न उसे खाने का खयाल है और न ही दिन-रात होने का पता है।
घटना छत्तीसगढ़ के कवर्धा जिला के रहने वाले एक परिवार की है। यहां बेबस मां-बाप अपने 13 महीने के बच्चे की जान बचाने के लिए फुटपाथ पर रहने के लिए मजबूर हैं। ब्रेन ट्यूमर से पीड़ित बच्चा हर्ष की महंगी दवाई के लिए मां-बाप रायपुर एम्स के बाहर किराए के ठेले में चाय नाश्ता बेचकर पैसे जुटाते थे। इस मजबूरी की कहानी सोशल मीडिया में वायरल हुई तो इसके बाद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इसका संज्ञान लिया है।
इस माता -पिता की मदद कीजिए 🙏🏻
13 महीने के हर्ष को ब्रेन ट्यूमर है, ऑपरेशन में सबकुच बिक गया।
बच्चे की महंगी दवाई के लिए रायपुर एम्स सामने फुटपाथ में किराए का ठेला लगाते है।
@gyanendrat1 @TS_SinghDeo @bhupeshbaghel pic.twitter.com/NLxzbcIivT— Ravi Miri ABP News (@Ravimiri1) November 14, 2022
Chhattisgarh News: आपको बताते चलें, कि बच्चे को ब्रेन ट्यूमर है। इसका इलाज रायपुर एम्स में किया गया है और बच्चे को हर सप्ताह कीमोथैरपी के लिए एम्स में एडमिट कराया जाता है। बच्चे के लिए जो दवाइयां मिलती है वह काफी महंगी होती हैं।
दवाई के पैसे जुटाने के लिए बेबस माता-पिता एम्स के गेट नंबर एक में ही फुटपाथ में साड़ी के पालने में बच्चे को सुलाते हैं। इसी के नीचे माता-पिता सो जाते हैं। वहीं दवाई के खर्चे के लिए परिवार सुबह से शाम हॉस्पिटल के सामने किराए के ठेले में चाय नाश्ता बेचता है।
मां से पता चला, कि बच्चे के ब्रेन ट्यूमर के ऑपरेशन के बाद उसके गले में छेद है। हर 10 से 15 मिनट में हर्ष के गले में बलगम हो जाता है। इसे निकालने के लिए मैनुअल इस्तेमाल करने वाले सक्शन मशीन का उपयोग करते हैं। सक्शन मशीन खराब हो गई थी।
इसे पिता बालकराम डेहरे ठीक कर रहे थे। मशीन ठीक हुई तब मां ने पंप कर बच्चे के गले से बलगम निकाला। मां ने बताया कि हमारे लिए कोई दिन रात नहीं होता है। बच्चे की सांसों के लिए हम दिन रात जागते हैं। गले में बलगम फंस जाता है तो इसकी सांस रुक जाती है।
Chhattisgarh News: आपको बता दें, कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के संज्ञान लेने के बाद सीएम ने कलेक्टर डॉ सर्वेश्वर भुरे को परिवार की हर सम्भव मदद करने के निर्देश दिए थे। कलेक्टर ने सीएमएचओ डॉ मिथलेश चौधरी और नगर निगम आयुक्त मयंक चतुर्वेदी को वहां भेजा। दोनों अधिकारियों ने हर्ष के पिता बालकराम डेहरे से पूरे मामले की जानकारी ली. देर रात तक हर्ष के परिवार को रहने का ठिकाना मिल गया।