Bageshwar Dham Sarkar: रामचरितमानस की प्रतियां जलाने पर भड़के बागेश्वर धाम सरकार ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि “रामचरितमानस की प्रतियों को जलाना घोर निंदनीय कृत्य है। हिंदुओं को टारगेट करना, हिंदू आस्था को टारगेट करना, सनातनियों को टारगेट करना, ये एक काफी बड़ी लॉबी है, जो ये सब काम कर रही है।”
उन्होंने आगे कहा कि “ये प्लांटेड लोग हैं जिन्हें ऐसा करने को कहा गया है। मगर मुझे खुशी है कि बागेश्वर धाम से ये संदेश गया है कि सनातनियों को एकजुट होने की आवश्यकता है, हिंदुओं को एकजुट होने की जरूरत है।”
Bageshwar Dham Sarkar: धीरेंद्र शास्त्री ने कहा कि “यह सब बखेड़ा हिन्दुओं को आपस में लड़ाने के लिए किया जा रहा है और साथ ही आगे कहा कि अब वक्त आ गया है कि हर एक हिन्दू जाग जाए। जिन लोगों ने रामचरितमानस का अपमान किया है उनके बारे में खुद आपको सोचना होगा कि ऐसे लोगों से हाथ मिलाया जाए या नहीं….”
बागेश्वर धाम सरकार: रामचरितमानस का अपना करने वालों को छोड़ देना चाहिए भारत
बागेश्वर सरकार ने आगे कहा कि “रामचरितमानस का अपना करने वालों को भारत छोड़ देना चाहिए।इन लोगों को भारत में ही नहीं रहना चाहिए।रामचरितमानस का अपमान कर इन लोगों ने भारत में रहने का अधिकार खो दिया है।” और साथ ही धीरेंद्र शास्त्री ने सरकार से निवेदन करते हुए कहा ” रामचरितमानस को राष्ट्रीय ग्रंथ घोषित करने की भी मांग रखी।”
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— Bageshwar Dham Sarkar (Official) (@bageshwardham) January 30, 2023
भाजपा नेता की तहरीर पर हुआ था केस दर्ज
आपको बता दें कि रविवार को लखनऊ में प्रतियां जलाने का सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल होने के बाद भाजपा नेता सतनाम सिंह लवी ने पीजीआई कोतवाली में तहरीर दी थी। इसके बाद, माहौल बिगाड़ने, धार्मिक भावनाएं भड़काने की धाराओं में आरोप में पुलिस ने केस दर्ज किया था।
गौरतलब है कि रविवार सुबह अखिल भारतीय ओबीसी महासभा के कार्यकर्ताओं ने वृंदावन में प्रदर्शन करके रामचरितमानस की प्रतियां जलाई थी। नारेबाजी कर इस पर बैन लगाने की मांग की थी और साथ ही कार्यकर्ताओं ने रामचरितमानस में संशोधन करने की मांग की। हालांकि, इस दौरान स्वामी प्रसाद मौर्य इस दौरान मौजूद नहीं थे।
स्वामी प्रसाद मौर्य : रामचरित मानस को पाबंदी लगाने की थी मांग
मौर्य ने तुलसीदास द्वारा रचित रामचरितमानस के कुछ हिस्सों पर यह कहते हुए पाबंदी लगाने की मांग की थी कि उनसे समाज के एक बड़े तबके का जाति, वर्ण और वर्ग के आधार पर अपमान होता है।
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