Bhopal gas Tragedy: सुप्रीम कोर्ट ने भोपाल गैस त्रासदी मामले में केंद्र सरकार को झटका देते हुए मुआवजा बढ़ाने वाली याचिका को खरिज कर दिया। दिसंबर 1984 में हुई भोपाल गैस त्रासदी के पीड़ितों को अतिरिक्त मुआवजा देने के लिए यूनियन कार्बाइड कॉरपोरेशन (UCC) की उत्तराधिकारी कंपनियों से अतिरिक्त 7,844 करोड़ रुपये की मांग वाली केंद्र की क्यूरेटिव पिटीशन को सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार (14 मार्च) को खारिज कर दिया।
सुप्रीम कोर्ट:12 मार्च को आदेश रखा था सुरक्षित
आपको बता दें कि पांच जजों की पीठ ने मुआवजा बढ़ाने वाली याचिका की दलीलों को तीन दिन तक सुना और अपने आदेश को 12 मार्च को सुरक्षित रख लिया था। इस संविधान पीठ में जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस अभय एक ओक, जस्टिम विक्रम नाथ और जस्टिस जेके माहेश्वरी शामिल थे।
सुप्रीम कोर्ट: केस दोबारा खोलने पर मुश्किलें बढ़ेंगी
जस्टिस संजय किशन कौल की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय पीठ ने कहा कि “समझौते के दो दशक बाद भी केंद्र सरकार इस मुद्दे को उठाने का कोई औचित्य नहीं है।” पीठ ने आगे अपने आदेश में कहा कि “भोपाल गैस त्रासदी के पीड़ितों के लिए आरबीआई के पास पड़ी 50 करोड़ रूपये की राशि का इस्तेमाल सरकार लांबित दावों को पूरा करने के लिए किया जाएगा।” साथ ही उन्होंने आगे कहा कि “केस दोबारा खोलने पर मुश्किलें बढ़ेंगी…”
Bhopal gas Tragedy: गैस रिसाव के कारण मारे गए थे 3 हजार 787 लोग
बता दें साल 1984 की 2-3 दिसंबर को राजधानी भोपाल में गैस त्रासदी हुई थी। जिसके बाद देश से विदश तक हड़कंप मच गया था। उस रात को चारों तरफ तबाही का नजारा था। यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री से मिथाइल आइसोसाइनेट गैस रिसने के कारण इस हादसे में 3 हजार 787 लोग मारे गए थे। गैस कांड के बाद यूनियन कार्बाइड कॉर्पोरेशन ने पीड़ितों को 470 मिलियन डॉलर का मुआवजा दिया था, लेकिन पीडि़तों ने ज्यादा मुआवजे की मांग की थी।
इधर गैस कांड के पीड़ितों के लिए केन्द्र ने साल 2010 डाउ केमिकल्स से 6 हजार 844 करोड़ रुपए का अतिरिक्त मुआवजा मांगा था। बता दें उस समय मनमोहन सिंह के नेतृत्व में UPA गठबंधन की सरकार थी। 2010 के दिसंबर महीने में सुप्रीम कोर्ट में क्यूरेटिव पिटीशन दाखिल की गई थी जिसे सुप्रीम कोर्ट ने आज मंगलवार (14 मार्च) को खारिज कर दिया।
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