Kanpur Dehat Demolition: यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ को लोग ‘बाबा बुलडोजर’ के नाम से जानते है। वैसे तो बाबा के बुलडोजर का खौफ माफियाओं और अपराधियों के बीच में ऐसा है कि रात में सपनें में भी आ जाए तो उनकी रूह कांप जाती है। लेकिन,कभी-कभी बाबा का बुलडोजर गरीबों के आशियाने पर भी चल जाता है। जो कि, उनके खून-पसीने की कमाई से बना होता है। कहा तो ये भी जाता है कि बुलडोजर एक मशीन है उसके अंदर न ही सोचने समझने की शक्ति है और न ही उसके अंदर कोई भावना है। लेकिन कानपुर प्रशासनिक अधिकारियों में तो दोनों ही भावना समाहित थी कि वो सोच भी सकते थे और समझ भी सकते थे। लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। जब पीड़ित परिवार अपनी गुहार लेकर डीएम और एसीपी से मिलने गया तब उसको हड़का कर भगा दिया।
मृतका का बेटा शिवम: प्रशासन ने झोपड़ी में आग लगाने के साथ ही मंदिर को भी तोड़ डाला
वहीं, बेटे शिवम ने रोते हुए कहा कि “एसडीएम, एसओ, लेखपाल सभी ने मिलकर मेरे घर में आग लगा दी। मैं और पिता बाहर नहीं निकलते तो हम भी मारे जाते। झोपड़ी के बाहर मंदिर व नल को भी तोड़ दिया। इसके पहले भी डीएम के यहां पर गए थे, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई थी।”
Kanpur Dehat Demolition: शिवम-SDM कह रहे थे कि कोई बच न पाएं
शिवम ने आगे कहा कि “एसडीएम, लेखपाल, जिलाधिकारी ने साजिश के चलते घर में आग लगाकर सब कुछ राख कर दिया। मम्मी और बिट्टी (बहन) अंदर ही रह गए। हम अंदर गए, लेकिन उनको बचा नहीं पाए। आग लगाने के बाद ये सभी लोग भाग गए। SDM कह रहे थे कि कोई बच न पाए।“
राज्यमंत्री प्रतिभा शुक्ला: प्रशासन उनकी बात ही नहीं मानता तो उनका मंत्री होने का क्या मतलब?
कानपुर देहात के प्रशासनिक अधिकारियों पर राज्यमंत्री प्रतिभा शुक्ला ने भी आरोप लगाया कि उन्होंने खुद पीड़ित परिवार की पैरवी की थी और प्रशासन को आदेश दिया था कि इनके खिलाफ कोई गैर-कानूनी कार्यवाही न की जाएं। जब उनको पता लगा कि इस प्रशासन की कार्यवाही की वजह से एक महिला और उसकी बेटी की आग से झुलसने के बाद मौत हो गई तब उन्होंने मीडिया से बात करते हुए कहा कि जब प्रशासन उनकी बात ही नहीं मानता तो उनका मंत्री होने का क्या मतलब है?
Kanpur Dehat Demolition: उत्तर प्रदेश के कानपुर देहात जिले के एक गांव से दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है। जिसने भी सुना उसकी आंखे भर आयी। यहां अतिक्रमण विरोधी अभियान के दौरान 45 वर्षीय महिला प्रमिला और उसकी 20 साल बेटी नेहा की आग से जलकर मौत हो गई। इस मामले में पीड़ित के परिवार के सदस्य ने पुलिस पर गंभीर आरोप लगा रहे हैं।
परिजन: पुलिस ने ही झोपड़ी में लगाई आग
परिजनों का आरोप है कि पुलिस ने ही झोपड़ी में आग लगा दी, जिसके बाद मां और बेटी की जलकर मौत हो गई, वहीं पुलिस का दावा है कि महिलाओं ने खुद आग लगा ली। मृतक महिला के पति ने भी कई गंभीर आरोप लगाए हैं, जिसमें उन्होंने कहा है कि तमाम अधिकारियों ने उनसे मिलने से ही इनकार कर दिया।
घर का मुखिया: प्रशासन की मिलीभगत से गिरा उनका आशियाना
मीडिया से बात करते हुए घर के मुखिया ने कई चौंकाने वाले खुलासे किए। उसने एक शख्स पर आरोप लगाया कि उसकी प्रशासन से मिलीभगत के बाद उनका घर गिराया जा रहा था। इसके लिए वो डीएम से मिलने भी गए थे, लेकिन डीएम ने मिलने से इनकार कर दिया। डीएम के मिलने से इंकार करने के बाद वो एसपी से मिलने पहुंचे तो उन्होंने भी डांट कर भगा दिया।
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वहीं आलोक सिंह ADG कानपुर जोन ने बताया कि “कानपुर देहात के अंतर्गत एक गांव में कथित तौर पर प्रशासन द्वारा अतिक्रमण के खिलाफ कार्रवाई के दौरान झोपड़ी में आग लगने से एक महिला और उसकी बेटी की जलकर मौत हो गई। घटना के बारे में पता किया जा रहा है। तहरीर के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी।”
वहीं कानपुर आयुक्त डॉ. राज शेखर ने कानपुर देहात की घटना के संदर्भ मे बताया कि “घटना में एफआईआर दर्ज़ कर ली गई है। हम आरोपी को पकड़ने का प्रयास कर रहे हैं। लेखपाल व एसडीएम को निलंबित किया है।”
Kanpur Dehat Demolition: पुलिस अधीक्षक (एसपी) बीबीजीटीएस मूर्ति ने कहा कि “महिला और उसकी बेटी ने खुद को झोपड़ी के अंदर बंद कर लिया और आग लगा ली, जिससे उनकी मौत हो गई। हम जांच करेंगे और अगर कोई गलत काम हुआ है, तो हम अपराधी को नहीं छोड़ेंगे।”
गौरतलब है कि पुलिस अधिकारी ने बताया कि यह घटना सोमवार (13 फरवरी) देर शाम जिले के रूरा क्षेत्र के मडौली गांव में हुई, जहां पुलिस, जिला प्रशासन और राजस्व अधिकारी सरकारी भूमि से अतिक्रमण हटाने गए थे। एक पुलिस अधिकारी ने कहा कि रूरा स्टेशन हाउस ऑफिसर (एसएचओ) दिनेश गौतम और प्रमिला के पति गेंदन लाल भी महिलाओं को बचाने की कोशिश में झुलस गए। वहीं ग्रामीणों ने कहा कि अधिकारी बुलडोजर लेकर पहुंचे और उन्हें कोई पूर्व सूचना नहीं दी गई।
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