महादेव मंदिर: सावन का पहला सोमवार गोरखपुर में एक ऐसा शिव मंदिर,जो अक्रांता महमूद गजनवी की क्रूरता का करता है बयान

महादेव मंदिर

महादेव मंदिर: सावन महीने की शुरुआत हो चुकी है।सावन का आज 10 जुलाई को पहला सोमवार है। भक्तों का भोले के द्वार में सुबह से आना शुरू हो जाता है ।12 ज्योतिर्लिंग के अलावा भी देश में ऐसे शिव मंदिर हैं, जहां की अपनी आलौकिक कहानियां हैं। एक ऐसी ही कहानी है जो हम आपको बताने जा रहे है।गोरखपुर में देवों के देव महादेव का एक बहुत ही प्रसिद्ध मंदिर है। इस स्वयंभू शिवलिंग को झारखंडी महादेव मंदिर के नाम से जाना जाता है।

महादेव मंदिर: भोलेनाथ के इस मंदिर में सावन और शिवरात्रि के अलावा भी सालभर भक्तों का तांता लगा रहता है।भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए दूर-दूर से भक्त आते हैं। सावन के सोमवार और शिवरात्रि में बाबा के मंदिर में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है। यहां विशाल मेले का आयोजन होता है। इस मंदिर की कहानी ऐसी है, जिसे जानकर आप भी हैरान रह जाएंगे।

महादेव मंदिर:कहां पर है यह मंदिर?

महादेव मंदिर: सावन माह में इस म‍ंदिर की महत्ता और भी बढ़ जाती है। सदियों पुराना यह शिव मन्दिर गोरखपुर से 30 किलोमीटर दूर खजनी कस्‍बे के सरया तिवारी गांव में स्थित है। शिव मंदिर में एक शिवलिंग है जो हजारों साल पुराना है। मान्‍यता है कि यह शिवलिंग भू-गर्भ से स्वयं प्रकट हुआ था और जब महमूद गजनवी ने भारत पर आक्रमण किया, तो यह शिवमंदिर भी उसके क्रूर हाथों से अछूता नहीं रहा।

महादेव मंदिर: उसने मंदिर को ध्‍वस्‍त कर दिया, गोरखपुर में भी एक ऐसा शिव मंदिर है, जो सदियों से उसकी क्रूरता की दास्‍तान बयां कर रहा है। महमूद गजनवी ने शिव मंदिर में स्थित शिवलिंग को तोड़ने का भरपूर प्रयास किया, लेकिन जब वो शिवलिंग को तोड़ने में नाकामयाब रहा, तो उस पर कलमा खुदवा दिया। लेकिन उसने जिस मंशा से शिवलिंग पर कलमा खुदवाया था, उसकी वो मंशा भी पूरी नहीं हुई. शिवभक्‍त आज भी यहां पूजा-पाठ के साथ जल और दुग्‍धाभिषेक के लिए आते हैं।

महमूद गजनवी: 1001 से 1026 ई. के बीच 17 बार आक्रमण

महादेव मंदिर: महमूद गजनवी ने बगदाद के खलीफा के आदेश पर भारत के कई हिस्सों पर आक्रमण किए। उसने भारत पर 1001 से 1026 ई. के बीच 17 बार आक्रमण किए। हर बार के आक्रमण में उसने यहां के हिंदू, बौद्ध और जैन मंदिरों को ध्वस्त करके उनको लूटना शुरू कर दिया। भारत पर कई मुस्लिम आक्रांताओं ने आक्रमण किया, जिसमें सबसे क्रूर आक्रांताओं में एक महमूद गजनवी भी था। ऐसा माना जाता है कि महमूद गजनवी ने भारत पर 17 बार आक्रमण किया था। गजनवी ने जब भारत पर आक्रमण किया तो क्रूरता की सारी हदें पार कर दी। उसने हिन्‍दुस्‍तान को जमकर लूटा और मंदिरों को ध्‍वस्‍त कर चला गया।

शिवलिंग भू-गर्भ से स्वयं प्रकट हुआ

महादेव मंदिर: मान्‍यता है कि यह शिवलिंग भू-गर्भ से स्वयं प्रकट हुआ था। जब महमूद गजनवी ने भारत पर आक्रमण किया, तो यह शिवमंदिर भी उसके क्रूर हाथों से अछूता नहीं रहा। उसने मंदिर को ध्‍वस्‍त कर दिया, लेकिन शिवलिंग को टस से मस नहीं कर पाया। जब गजनवी थक-हार गया, तो उसने शिवलिंग पर कलमा खुदवा दिया।

शिवलिंग पर उर्दू में ऐसा क्या लिखा है?

महादेव मंदिर: महमूद गजनवी ने शिवलिंग पर उर्दू में ‘ला इलाहा इलाल्लाह मुहम्मदुर रसूलुल्लाह’ लिखवा दिया। महमूद गजनवी ने सोचा था कि वह इस पर कलमा खुदवा देगा, तो हिन्‍दू इसकी पूजा नहीं करेंगे। लेकिन, महमूद गजनवी के आक्रमण के सैकड़ों साल बाद भी हिन्‍दू श्रद्धालु इस मंदिर में आते हैं और शिवलिंग पर जलाभि‍षेक करने के साथ दूध और चंदन आदि का लेप भी लगाते हैं। सावन मास में इस मंदिर का महत्‍व और भी बढ़ जाता है। यहां पर दूर-दूर से लोग दर्शन करने आतेे हैं और अपनी मनोकामना पूर्ति की मन्‍नतें भी मांगते हैं।

चमत्कारिक है शिव मन्दिर

महादेव मंदिर: भगवान शिव को महादेव के नाम से भी पुकारा जाता है। यही वजह है कि सरया तिवारी गांव के इस शिवलिंग को नीलकंठ महादेव के नाम से जाना जाता है। यहां के लोगों का मानना है कि इतना विशाल शिवलिंग पूरे भारत में सिर्फ यहीं पर है। मान्यता है कि शिव के इस दरबार में जो भी भक्‍त आकर श्रद्धा से बाबा से कामना करता है, उसे भगवान शिव जरूर पूरी करते हैं।

महादेव मंदिर: स्थानीय लोगों का कहना है कि “इस मं‍दिर के आसपास के टीलों की खुदाई में जो नर कंकाल मिले, उनकी लम्बाई तकरीबन 12 फीट थी। उनके साथ कई भाले और दूसरे हथियार भी मिले थे, जिनकी लम्बाई 18 फीट तक थी। इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि यहां पर कई कोशिशों के बाद भी कभी छत नहीं लग पाया है और यहां के शिव खुले आसमान के नीचे रहते हैं।”

महादेव मंदिर: मान्‍यता है कि इस मंदिर के बगल में स्थित पोखरे के जल को छूने से एक कुष्‍ठ रोग से पीडि़त राजा का कुष्‍ठ ठीक हो गया था और तभी से लोग चर्म रोगों से मुक्ति पाने के लिये आकर यहां पांच मंगलवार और रविवार को स्‍नान करते हैं।

Written By- Polline Barnard.

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By Atul Sharma

बेबाक लिखती है मेरी कलम, देशद्रोहियों की लेती है अच्छे से खबर, मेरी कलम ही मेरी पहचान है।